अब कुछ नहीं बचा वायनाड में लैंडस्लाइड के बाद गांव पहुंचे लोगों को छलका दर्द

Wayanad Landslide: अधिकारियों ने उन लोगों को भी खोज अभियान में शामिल होने की अनुमति दी, जिन्होंने रविवार सुबह 9 बजे से पहले काम के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. प्रशासन ने खोज दल में लापता लोगों के रिश्तेदारों और जीवित बचे लोगों को भी शामिल किया है.

अब कुछ नहीं बचा वायनाड में लैंडस्लाइड के बाद गांव पहुंचे लोगों को छलका दर्द
वायनाड. वायनाड के मेप्पाडी क्षेत्र में 30 जुलाई को हुईं लैंडस्लाइड की घटनाओं में तीन गांवों के तबाह होने के 13 दिन बाद रविवार को जीवित बचे कई लोग खोज दल के साथ पहली बार आपदा ग्रस्त जगह पर पहुंचे. लैंडस्लाइड के कारण नष्ट हो चुके अपने घरों को देखकर लोगों का दर्द एक बार फिर छलक उठा और अपने आंसुओं को बहने से नहीं रोक पाए. रविवार सुबह एक दिन के विराम के बाद लैंडस्लाइड प्रभावित वायनाड में लापता लोगों की तलाश के लिए व्यापक खोज फिर से शुरू हुई. अग्निशमन दल द्वारा 30 जुलाई को बचाए गए ग्रेसी और उनके पति थंकाचन जब आंशिक रूप से नष्ट हो चुके अपने घर के सामने पहुंचे तो देखा कि वह कीचड़ से भरा हुआ था. ग्रेसी ने कहा, “मैं आज भी उस रात को यादकर करके कांप उठती हूं.” उन्होंने बताया कि पूरा घर हिल रहा था और पानी तथा कीचड़ घर में घुस गया तथा वे भागकर दूसरी मंजिल पर चले गए. ग्रेसी ने कहा, “चारों तरफ मलबा और कीचड़ था जिसके कारण हम घर से बाहर नहीं निकल पाए.” थंकाचन ने कहा कि दोबारा हुए भूस्खलन के तुरंत बाद सुबह पांच बजे के आसपास अग्निशमन दल के कर्मचारी यहां पहुंचे और उन्हें बचा लिया. उन्होंने कहा, “हम भूस्खलन की घटना के बाद पहली बार यहां आए हैं. पहले यहां काफी घर थे, लेकिन अब कुछ नहीं बचा.” उनके घर को छोड़कर उस इलाके के आसपास के सभी घर बह गए हैं. पंचिरी मट्टोम में रहने वाले माहिन ने संवाददाताओं को बताया कि वह उस इलाके में गए जहां उनका घर था लेकिन उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और पेड़ के तने के अलावा वहां कुछ नहीं दिखा. माहिन ने कहा, “वहां कुछ नहीं बचा है. सबकुछ या तो बह गया या दब गया. वहां केवल बड़े-बड़े पत्थर और पेड़ के तने देखे जा सकते हैं.” शुक्रवार दोपहर को तलाशी अभियान में कुछ समय के लिए विराम लग गया था, क्योंकि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आपदा प्रभावित मुंदक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों के दौरे के मद्देनजर इस क्षेत्र को स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स (एसपीजी) को सौंप दिया गया था. पुलिस और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों के अलावा, विभिन्न सेवा और युवा संगठनों के स्वयंसेवक भूस्खलन में बचे लोग और मृतकों के परिजन भी तलाशी अभियान में शामिल हुए. हालांकि, वायनाड की मुंदक्कई और चूरलमाला बस्तियों में भारी बारिश के बाद तलाशी अभियान रोक दिया गया. राज्य सरकार के अनुसार, भूस्खलन में 229 लोगों की मौत हो गई और 130 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं. Tags: Kerala, Narendra modi, Pinarayi VijayanFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 23:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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