सूर्यकुमार के गांव से लाइव: पीले रंग का मकान बड़ा सा दरवाजा ये है क्रिकेटर सूर्यकुमार का घर
सूर्यकुमार के गांव से लाइव: पीले रंग का मकान बड़ा सा दरवाजा ये है क्रिकेटर सूर्यकुमार का घर
Suryakumar Yadav: क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव इनदिनों अपनी क्रिकेट को लेकर काफी चर्चा में हैं. हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है, कई लोग इंटरनेट पर ढूंढ़ रहे हैं कि सूर्यकुमार कहां के रहने वाले है. लिहाजा, हमारी टीम भी पहुंची उनके गांव, तो आइए इस रिपोर्ट में बताते हैं कैसा है सूर्यकुमार का गांव और उनका घर...
सुबह के 11 बज रहे हैं. हम गाजीपुर से निकले हैं क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव के गांव के लिए गूगल बाबा की मानें तो गाजीपुर जिला मुख्यालय से सूर्यकुमार के गांव हथौड़ा की दूरी 44.5 किमी है. हमने भी सोचा क्यों ज्यादा दिमाग लगाना, चलते हैं गूगल बाबा के सहारे ही, सो हमने गूगल बाबा को सूर्यकुमार के गांव पहुंचाने की जिम्मेदारी दे दी और लग गए आपसी गप शप में.
Suryakumar village: सूर्यकुमार का पुश्तैनी घर.
इसी दौरान मन में इस बात को लेकर बार बार ये उत्सुकता जरूर रही कि आखिर सूर्यकुमार का गांव कैसा होगा ?, जाने पर कोई मिलेगा भी या नहीं मिलेगा ? क्या बातचीत होगी ? ऐसे ऐसे तमाम सवाल जवाब मन ही मन उमड़ने घुमड़ने लगे. कुछ पर आपस में साथियों से बात कर ली जाती, कुछ सवालों को मन ही दबा लिया जाता. बहरहाल, थोड़ी ही देर में हम एनएच 31 पर थे और देखते ही देखते गाजीपुर सिटी से 6-7 किलोमीटर आगे आ गए, देखा तो फतेहुल्लाहपुर क्रॉस कर रहे थे. फतेहुल्लाहपुर धीरे धीरे अब कस्बे के रूप में तब्दील हो गया है. गाड़ी चलती रही, हम भी सोचते रहे, आगे बढ़ते रहे, रास्ते में सिहोरी रेलवे क्रॉसिंग दिखा.देखकर सोचा शुक्र है हम हाइवे के रास्ते निकले, कम से कम आज तो हमारा इससे वास्ता नहीं है. रेलवे क्रॉसिंग पर क्या होता है आप समझ सकते हैं. इसी तरह बरहपुर गांव भी निकल गया. फिर आ गया देवकली. आपके शहर से (लखनऊ) उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब लखनऊ लखनऊ वाराणसी मेरठ आगरा अलीगढ़ कानपुर गोरखपुर नोएडा इलाहाबाद झांसी हापुड़ गाजियाबाद अमेठी अम्बेडकर नगर अयोध्या आजमगढ़ इटावा उन्नाव एटा कन्नौज कासगंज कुशीनगर कौशाम्बी गाजीपुर गोंडा चित्रकूट जौनपुर देवरिया पीलीभीत प्रतापगढ़ फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलिया बस्ती बहराइच बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर भदोही मऊ मथुरा महाराजगंज महोबा मिर्जापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मैनपुरी रामपुर लखीमपुर खेरी शामली शाहजहांपुर श्रावस्ती संत रविदास नगर संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस
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Suryakumar Yadav’s Home: गांव पर सूर्यकुमार यादव के परिजन.
देवकली, अब ब्लॉक मुख्यालय हो चुका है. गाजीपुर के बाद यह दूसरा ब्लॉक मुख्यालय है. ब्लॉक मुख्यालय होने के कारण यहां भीड़ भाड़ रहती है. हम एनएच 31 से निकले तो हमें इसका सामना नहीं करना पड़ा. इसके बाद अगला बड़ा बाजार आया नंदगंज. नंदगंज यहां का बड़ा कस्बा है, टाउन एरिया भी है. आस पास के गांवों के लिए शहर नंदगंज ही है. शादी हो या जन्मदिन या तेरही सारा बाजार नंदगंज से ही होता है. बहरहाल, हम नंदगंज बाजार को निहारते हुए निकले और वह आंखों से ओझल हो गया. अब धीरे-धीरे सैदपुर की ओर बढ़ चले. देखते ही देखते सैदपुर भी आ ही गया. सैदपुर तहसील मुख्यालय है. खसरा खतौनी से लेकर हर छोटे बड़े काम के लिए स्थानीय लोग यहीं भागते दौड़ते हैं.
खैर, अब असल मुद्दे पर आते हैं कि हमें पहुंचना है क्रिकेटर सूर्यकुमार के गांव. सैदपुर में हमने लोगों से पूछा भैया हथौड़ा गांव के लिए हम कैसे जाएं ? कुछ ने हमें बताया कि आप औड़िहार से चले जाए. औड़िहार, सैदपुर से 3 से 4 किमी आगे है फिर वहां से आप हथौड़ा गांव के लिए जा सकते हैं. एक अन्य सज्जन ने सुझाव दिया औड़िहार न जाकर आप यहीं सैदपुर से ही सिंगल लेन की सड़क पकड़ लीजिए सीधे पहुंच जाएंगे हथौड़ा.
Suryakumar Yadav: सूर्यकुमार यादव का दरवाजा.
आपसी विमर्श के बाद हमने तय किया क्यों न सैदपुर से सीधी सड़क पकड़ी जाए, सो हमने सैदपुर से सिंगल लेन वाली सड़क पकड़ ली और हथौड़ा की तरफ बढ़ने लगे. लगभग तीन से चार किमी चलने के बाद लगा कि अब हम हथौड़ा गांव के आस पास ही हैं. लिहाजा हमने राह चलते एक युवा से पूछा ‘भाई हथौड़ा गांव कौन सा है’, तपाक से जवाब मिला- ‘भइया यहीं से हथौड़ा गांव शुरू है’ तो हमने कंफर्म होने के लिए पूछा कि यही क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव का गांव है. बगल में खड़ा दूसरा लड़का बोल पड़ा- ‘हां भइया इहे ह क्रिकेटर सूर्यकुमार के गांव’ और थोड़ा अंदर की तरफ इशारा करते हुए बोला ‘आ उ सामने बा उनकर मकान लेकिन उ इहा रहेले ना’
Suryakumar Yadav: सूर्यकुमार के घर बातचीत करते परिजन.
हम तुरंत गाड़ी लगाकर उन युवाओं के साथ चल दिए और इस तरफ पहुंच गए क्रिकेटर सूर्यकुमार यादव के घर. एक मंजिला पीले रंग में रंगा घर उसके बरजे पर सूर्यकुमार को जन्मदिन की बधाई देते पोस्टर देखकर तय कि हम सही जगह पहुंच गए हैं. मकान के सामने लंबा चौड़ा दरवाजा, सामने गाय को सानी चला रहे एक बुजुर्ग को हमने परिचय दिया. उन्होंने कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया और फिर हाथ धुलकर आए. ये कोई और नहीं सूर्यकुमार के सगे दादा विक्रम यादव थे. विक्रम यादव सीआरपीएफ में नौकरी करते थे, लेकिन रिटायर होने के बाद अब वह गांव में ही रहते हैं. विक्रम यादव के दो लड़के हैं- एक सूर्या के पिता अशोक यादव और दूसरे विनोद यादव, जो कि बनारस में रहते हैं. गांव पर सूर्या के दादा विक्रम यादव और उनके एक अन्य भाई राममूरत यादव पुश्तैनी मकान में रहते हैं.
Suryakumar Yadav: सूर्या के बारे में बताते परिवारीजन.
बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. विक्रम यादव कहने लगे सूर्यकुमार की उपलब्धि पर उन्हें गर्व है, हमें तो खुशी है कि हमारा नाती चमक रहा है, तेंदुलकर, गवास्कर जैसा खेलता है. विक्रम यादव कहते हैं- सूर्या शुरू से ही बाहर रहा, कभी-कभी घर आना जाना होता था. उसके पापा की नौकरी भी मुंबई में हो गई. ऐसे में आना जाना कम रहा. पिछली साल जब उसका टीम में सेलेक्शन हुआ, तो सूर्या को बुलाकर गांव में सम्मानित भी किया गया था. सूर्या के दोस्त कमलेश कहते हैं कि सूर्या को खेलते देख मन में बहुत खुशी मिलती है. ऐसा लगता है कि उसने हमारा सिर गर्व से ऊँचा कर दिया. इस तरह देखते ही देखते गांव के अन्य लोग भी आ जाते हैं और खुशी जताते हैं कि सूर्या ने उनके गांव का नाम रोशन कर दिया. यहां हर बच्चा ‘सूर्या भइया’ जैसा बनकर दिखाना चाहता है.
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Tags: Cricket, Sports news, Suryakumar YadavFIRST PUBLISHED : November 23, 2022, 14:18 IST