महिला IAS ने UPSC पर ऐसा क्‍या लिखा मच गया बवाल कहा-दिव्‍यांग कहीं पायलट

IAS Puja khedkar, UPSC quota: IAS पूजा खेडकर के फर्जी दस्‍तावेजों के खुलासे के बाद हर तरफ से इसको लेकर तरह तरह के सवाल उठने लगे हैं. कई यूजर्स जहां सोशल मीडिया पर कई अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं वहीं इस मामले में कई आईएएस और आईपीएस भी अपनी बात सामने रख रहे हैं. इसी मामले में एक और आईएएस ने सोशल मीडिया पर यूपीएससी के दिव्‍यांग कोटे को लेकर एक ऐसी पोस्‍ट की है, जिसको लेकर बवाल मच गया है.

महिला IAS ने UPSC पर ऐसा क्‍या लिखा मच गया बवाल कहा-दिव्‍यांग कहीं पायलट
IAS Puja khedkar, UPSC quota: पूजा खेडकर मामला सामने आने के बाद यूपीएससी में विकलांग सर्टिपिफकेट लगाकर नौकरी पाने वालों पर सवाल उठने लगे हैं. अभी तक तो यूजर्स सोशल मीडिया पर कुछ आईएएस आईपीएस को टारगेट कर रहे थे और कई पर आरोप लगा रहे थे कि उन्‍होंने दिव्‍यांगता के फर्जी दस्‍तावेज लगाकर आईएएस आईपीएस की नौकरी ली है, लेकिन अब इस मामले में एक सीनियर महिला आईएएस अधिकारी ने भी एंट्री की है. उन्‍होंने यूपीएससी में मिलने वाले विकलांग कोटे को लेकर ही सवाल उठा दिए हैं. उन्‍होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्‍स पर IAS, IPS, IFS पदों की तुलना एयरलाइंस के पायलट से की है और कहा है कि क्‍या कोई एयरलाइन्‍स दिव्यांग को पायलट के काम पर रखती है? इसके पीछे उनका तर्क है कि IAS, IPS, IFS जैसे पदों पर भी काफी भागदौड़ रहती है. ऐसे में इन नौकरियों में केवल फिजिकल फिट लोग ही काम कर सकते हैं. कौन हैं ये महिला आईएएस अधिकारी? पूजा खेडकर विवाद को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यूपीएससी के दिव्‍यांग कोटे पर सवाल उठाने वाली इस महिला अधिकारी का नाम स्‍मिता सभरवाल हैं. वह तेलंगाना कैडर की आईएएस अधिकारी हैं और अपने कार्यों को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं. स्‍मिता सभरवाल वर्ष 2000 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. स्‍मिता ने सोशल मीडिया पर क्‍या लिखा? IAS ऑफिसर स्मिता सभरवाल ने यूपीएससी परीक्षा में मिलने वाले दिव्‍यांग कोटे यानि पीडब्‍ल्‍यूडी (Pwd) आरक्षण पर ही सवाल उठा दिए हैं. स्‍मिता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्‍स पर लिखा कि वह दिव्‍यांगों के प्रति पूरा सम्‍मान रखती हैं, लेकिन ‘क्या कोई एयरलाइन दिव्यांग को पायलट के काम पर रखती है? या आप दिव्यांग सर्जन पर भरोसा करेंगे.’ उनके इस सवाल के बाद हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है. स्‍मिता का मानना है कि IAS, IPS, IFS पदों पर ऐसे लोगों की भर्ती होनी चाहिए जो शारीरिक रूप से फिट हों वैसे ही लोग इस पेशे में अच्‍छे से काम कर सकते हैं. लोग ही काम कर सकते हैं. यानी इन पदों पर दिव्यांगों की भर्ती नहीं होनी चाहिए. स्‍मिता सभरवाल ने आगे लिखा कि ‘AIS (IAS/IPS/IFoS) की एक फील्ड-जॉब वर्क है, लंबे समय तक काम करने वाले घंटे, लोगों की शिकायतों को सीधे सुनना है-जिसके लिए फिजिकल फिटनेस की जरूरत होती है. इस प्रीमियर सेवा को पहले स्थान पर इस कोटे की आवश्यकता क्यों है’ यूजर्स ने स्‍मिता पर उठा दिए सवाल IAS स्मिता सभरवाल की पोस्ट पर तमाम यूजर्स ने कमेंटस किए. इनमें से एक यूजर ने आईएएस की टिप्‍पणी पर ही सवाल उठा दिए. सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर UPSC Note अकाउंट से एक पोस्ट किया गया जिसमें लिखा गया कि एक सीनियर आईएएस अधिकारी से ऐसी असंवेदनशील टिप्पणी की कभी उम्मीद नहीं थी. यूजर ने कहा कि आपके दिए गए उदाहरण झूठी समानता हैं, जहां दो अलग-अलग संस्थाओं की तुलना इस तरह से की जाती है कि उनके अंतर को नजरअंदाज कर दिया जाता है. इससे गलत रिजल्ट और फैसले निकल सकते हैं. कई उदाहरण हैं ऐसे लोगों के जो किसी से कम नहीं हैं.’ यूजर ने स्‍मिता सभरवाल को दिया उदाहरण यूजर ने आईएएस स्‍मिता सभरवाल की इस पोस्‍ट पर उदाहरण देते हुए प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश आडवाणी का जिक्र किया. जिसमें उसने यह बताया कि आडवाणी ने व्हीलचेयर पर होने के बावजूद भी हेमाटोपोइएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन की शुरुआत की थी और उनके काम के लिए उन्‍हें पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे अवार्ड भी मिले. इसके अलावा हास एलवाई, आईएएस ईरा सिंघल और पूर्व आईएएस ऑफिसर के. राजू का भी उदाहरण दिया. Tags: IAS exam, IAS Officer, UPSC, Upsc exam, Upsc exam result, Upsc result, UPSC results, Upsc topperFIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 12:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed