Analysis: मैनपुरी और रामपुर उपचुनाव बना गढ़ की लड़ाई जानिए क्या है इन सीटों का इतिहास

Mainpuri and Rampur bypolls became battle of strongholds: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी और रामपुर के उपचुनाव पर देशभर की निगाहें टिकी हैं. इन दोनों के उपचुनाव उत्तर प्रदेश सूबे की राजनीति के लिए बेहद अहम हैं. इन दोनों सीटों का इतिहास भी बड़ा रोचक है. पढ़ें मैनपुरी और रामपुर सीट पर किस-किसका रहा है दबदबा.

Analysis: मैनपुरी और रामपुर उपचुनाव बना गढ़ की लड़ाई जानिए क्या है इन सीटों का इतिहास
हाइलाइट्समैनपुरी और रामपुर दोनों सपा के गढ़ माने जाते हैंमैनपुरी 1996 से समाजवादी पार्टी का अजेय गढ़ बना हुआ है बीजेपी यहां दोनों सीटों पर कब्जा करने का भरसक प्रयास कर रही है लखनऊ. उत्तर प्रदेश में मैनपुरी, रामपुर और खतौली में उपचुनाव (Bypolls) के लिए आज वोट डाले जा रहे हैं. मैनपुरी के वोटर्स अपना सांसद चुनने वाले हैं जबकि रामपुर और खतौली के वोटर्स अपने-अपने विधायक चुनेंगे. स्थानीय वोटर्स या हमारे-आपके के लिए ये बाकी दूसरे चुनावों की तरह ही एक चुनाव भर है, लेकिन सूबे की राजनीतिक पार्टियों खासतौर पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी गठबंधन के लिए ये तीनों सीटें गढ़ की ऐसी लड़ाई बन गई है जिन पर सिर्फ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की ही नहीं बल्कि पूरे देशभर की निगाहें टिकी हैं. पॉलिटिकल पंडित तीनों सीटों को गढ़ की लड़ाई बता रहे हैं. विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को शिकस्त देने के बाद बीजेपी के सामने उसके दुर्ग मैनपुरी और आजम खान के गढ़ रामपुर को जीतने का अच्छा मौका है. इसी साल जून में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और एसपी सांसद आजम खान के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुए. बीजेपी ने दोनों सीटों पर जबदस्त जीत दर्ज की थी. उपचुनाव वाली इन सीटों की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीनों सीटों पर प्रचार का मोर्चा संभाला था. जबकि आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में प्रचार से दूरी बनाए रखने वाले अखिलेश यादव ने इस बार रामपुर में आसिम रजा के लिए वोट की अपील की और मैनपुरी में तो पत्नी डिंपल यादव के प्रचार के लिए उन्होंने डेरा ही डाल रखा है. मैनपुरी में BJP को जीत की तलाश आपके शहर से (लखनऊ) उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब लखनऊ लखनऊ वाराणसी मेरठ आगरा अलीगढ़ कानपुर गोरखपुर नोएडा इलाहाबाद झांसी हापुड़ गाजियाबाद अमेठी अम्बेडकर नगर अयोध्या आजमगढ़ इटावा उन्नाव एटा कन्नौज कासगंज कुशीनगर कौशाम्बी गाजीपुर गोंडा चित्रकूट जौनपुर देवरिया पीलीभीत प्रतापगढ़ फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलिया बस्ती बहराइच बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर भदोही मऊ मथुरा महाराजगंज महोबा मिर्जापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मैनपुरी रामपुर लखीमपुर खेरी शामली शाहजहांपुर श्रावस्ती संत रविदास नगर संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस Bharat Mahotsav: राजस्थान की जलेबी ने जीता लखनऊ के लोगों का दिल, दिल्‍ली-अल्‍मोड़ा की मिठाई का भी जलवा सस्ते और लग्जरी होने के बाद भी जब नहीं बिके अहाना एंक्लेव के फ्लैट, अब लखनऊ नगर निगम लेगा टोटके का सहारा लखनऊः दुल्हे को वरमाला पहनाने के बाद दुल्हन को आया हार्ट अटैक, स्टेज पर ही मौत, गांव में छाया मातम UP: हाईकोर्ट ने पार्टियों से पूछा सवाल- जातिगत रैलियों पर हमेशा के लिए रोक क्यों न लगाई जाए? आखिर क्या है मामला UP: लखनऊ के भारत महोत्सव में सहारनपुर के फर्नीचर का जलवा, खूबसूरती देख हो जाएंगे हैरान Lucknow Job Fair: बेरोजगारों के लिए अच्छी खबर, आईटीआई में 12 दिसंबर को आयोजित होगा बड़ा रोजगार मेला  राम भरोसे चल रहा अयोध्या का जिला अस्पताल, जानिए क्यों मौन है आलाकमान? सर्दियों में बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा ! 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मैनपुरी लोकसभा सीट की तरह ही रामपुर विधानसभा सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. रामपुर विधानसभा ऐसी सीट है जहां बीजेपी आज तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है. एक्सपर्ट मानते हैं कि बीजेपी रामपुर लोकसभा उपचुनाव की तरह विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से भी सबको चौंका सकती है. रामपुर सदर विधानसभा सीट को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान और उनके परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती है. खुद आजम खान इस सीट से 10 बार विधानसभा जा चुके हैं. 1996 के बाद समाजवादी पार्टी कभी इस सीट से हारी नहीं है. 2017 में जब मोदी लहर में यूपी विधानसभा चुनाव हुए, बीजेपी ने 300 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की लेकिन उस लहर में भी आजम खान ने एसपी की साइकिल को बिना लड़खड़ाए रामपुर से लखनऊ पहुंचा दिया था. हालांकि, 45 साल बाद इस बार पहला मौका है जब रामपुर में विधानसभा चुनाव हो रहा है लेकिन आजम खान या उनके परिवार का कोई सदस्य उम्मीदवार नहीं है. आजम खान ने खुद 1977 में इसी सीट से चुनावी राजनीति में कदम रखा था. हालांकि, पहली चुनावी परीक्षा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 3 साल बाद ही 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल और 1991 में जनता पार्टी के टिकट पर रामपुर से चुनाव लड़कर आजम खान जीते. 1992 में मुलायम सिंह यादव ने जब समाजवादी पार्टी का गठन किया तब आजम खान भी साथ आ गए. आजम खान इस सीट पर अजेय साबित होते रहे हैं 1993 में आजम खान एक बार फिर रामपुर की चुनावी लड़ाई में कूदे और जीत दर्ज की. हालांकि, 1996 में कांग्रेस के उम्मीदवार ने आजम खान को हरा दिया लेकिन 2002 में एक बार आजम खान ने जीत के साथ वापसी की और तब से लेकर अब तक आजम खान इस सीट पर अजेय साबित होते रहे हैं. ऐसे में रामपुर सदर की सीट पर ना सिर्फ आजम खान की साख दांव पर लगी है बल्कि खुद समाजवादी पार्टी ने भी इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाया हुआ है. रामपुर लोकसभा उपचुनाव में प्रचार से दूरी बनाए रखने वाले अखिलेश यादव ने एसपी उम्मीदवार आसिम रजा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया. दूसरी तरफ, बीजेपी ने आजम का गढ़ तोड़ने के लिए आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है. साथ ही मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने पसमांदा प्लान पर भी काम किया है ताकि रामपुर सीट पर जीत का सूखा खत्म किया जा सके. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Lucknow news, Mainpuri News, Rampur news, Uttar pradesh news, Uttar Pradesh PoliticsFIRST PUBLISHED : December 05, 2022, 10:03 IST