चिड़ियाघर में शेरों के हावभाव देखने में लगाए थे 3 महीने फिर कलाकार ने बनाया था मूल राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न
चिड़ियाघर में शेरों के हावभाव देखने में लगाए थे 3 महीने फिर कलाकार ने बनाया था मूल राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न
नए संसद भवन की छत पर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर विवाद के बाद देश के पहले राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को बनाने वाले कलाकार दीनानाथ भार्गव के परिवार के सदस्यों ने बयाता कि वे शेरों के हावभाव का अध्ययन करने के लिए लगातार 3 महीने कोलकाता के चिड़ियाघर जाते थे.
हाइलाइट्सदीनानाथ भार्गव ने डिजाइन किया था देश का मूल राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नदीनानाथ भार्गव लगातार तीन महीने तक कोलकाता के एक चिड़ियाघर में शेरों को करीब से देखने के लिए जाते रहे.
इंदौर. भारत के मूल राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को डिजाइन करने वाली टीम के सदस्य रहे कलाकार दीनानाथ भार्गव के परिवार के सदस्यों ने बताया कि इस कार्य को पूरा करने के लिए वह लगातार तीन महीने तक कोलकाता के एक चिड़ियाघर में शेरों को करीब से देखने के लिए जाते रहे. उनके परिवार के सदस्यों ने ये जानकारी नए संसद भवन के ऊपर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर पैदा हुए विवाद के बीच दी है. राष्ट्रीय प्रतीक के नए रूप पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है. उन्होंने केंद्र सरकार पर इन शेरों को खतरनाक और आक्रामक मुद्रा वाला बनाने का आरोप लगाया है.
एनडीटीवी डॉटकॉम की एक खबर के मुताबिक स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव उस समूह का हिस्सा थे, जिसने भारतीय संविधान की पांडुलिपि पर लगाए गए मूल राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को डिजाइन किया था. इसे उत्तर प्रदेश के सारनाथ में पाई गई 250 ईसा पूर्व की एक प्राचीन मूर्तिकला के आधार पर डिजाइन किया गया था. जो अशोक स्तंभ के शीर्ष पर लगाई गई थी. दीनानाथ भार्गव की पत्नी प्रभा (85) ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संविधान की मूल पांडुलिपि को डिजाइन करने का जिम्मा रविंद्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन के कला भवन के प्रिंसिपल और जाने-माने चित्रकार नंदलाल बोस को दिया था.
लेकिन स्वर्गीय बोस ने अशोक स्तंभ की तस्वीर बनाने का काम उनके पति को सौंप दिया था, जो उस समय युवा थे और शांतिनिकेतन में कला का अध्ययन कर रहे थे. अपने गुरु के निर्देश के बाद उनके पति लगातार तीन महीने तक कोलकाता के चिड़ियाघर में गए. जिससे वे शेरों के हाव-भाव और ये देख सकें कि वे कैसे बैठते हैं और खड़े होते हैं. दीनानाथ भार्गव के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि दीनानाथ भार्गव द्वारा डिजाइन किए गए अशोक स्तंभ की मूल कलाकृति की एक प्रतिकृति अभी भी उनके पास है.
स्वर्गीय भार्गव द्वारा बनाई गई डिजाइन में तीन शेरों के मुंह को थोड़ा खोलते हुए दिखाया गया है और इसमें उनके दांत भी दिखाई दे रहे हैं. नीचे ‘सत्यमेव जयते’ भी लिखा हुआ है. बहरहाल दीनानाथ भार्गव की बहू ने संसद के नए भवन और उनके ससुर द्वारा डिजाइन किए गए मूल प्रतीक के डिजाइन में अंतर पर विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ‘मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहती. लेकिन यह स्वाभाविक है कि किसी तस्वीर और उसकी मूर्ति में थोड़ा अंतर होना तय है.’
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उन्होंने मांग की कि मध्य प्रदेश में किसी भी कला दीर्घा, स्थान या संग्रहालय का नाम दीनानाथ भार्गव के नाम पर रखा जाए. जिससे उस कलाकृति की स्मृति को संरक्षित किया जा सके जिसे उन्होंने संविधान के लिए डिजाइन किया था. उन्होंने कहा कि ‘इस मुद्दे पर परिवार को कई नेताओं के आश्वासन मिलने के बावजूद यह मांग आज तक पूरी नहीं हुई है.’ दीनानाथ भार्गव मध्य प्रदेश के बैतूल कस्बे के रहने वाले थे और उन्होंने 24 दिसंबर 2016 को 89 वर्ष की आयु में इंदौर में अंतिम सांस ली.
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Tags: New Parliament BuildingFIRST PUBLISHED : July 14, 2022, 06:46 IST