न खेती न कारोबार और न उपयोग फिर इस शख्स ने क्यों खरीदी 4 लाख की शकरकंद बेल
न खेती न कारोबार और न उपयोग फिर इस शख्स ने क्यों खरीदी 4 लाख की शकरकंद बेल
Mehsana News: सोमभाई पटेल, अखज गांव के किसान, हर साल 6000 गायों के लिए शकरकंद की बेलें भेजते हैं. उनका यह कार्य गायों के चारे की समस्या का समाधान करता है और भारतीय परंपरा में गाय सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका को निभाता है.
मेहसाणा: गुजरात के मेहसाणा के अखज गांव में किसान खासकर शकरकंद की खेती करते हैं. शकरकंद की बेलें गायों को खिलाने के लिए बहुत उपयोगी होती हैं. अखज के सोमभाई पटेल बेलें खरीदकर गौशाला में दान करते हैं. हर साल आठ से दस बड़े ट्रकों में शकरकंद की बेलें भरकर भेजी जाती हैं. यह चारा हर साल करीब 6000 गायों को भेजा जाता है. इसके अलावा, सोमभाई वृक्षारोपण और खेती जैसे कार्य भी करते हैं.
भारतीय परंपरा में गाय सेवा का महत्व
भारतीय परंपरा के अनुसार, गाय की सेवा को सबसे उत्तम सेवा माना जाता है. हमारे हिन्दू संस्कृति में गाय को बहुत पवित्र माना जाता है. लोग गायों की सेवा करके पुण्य कमाते हैं. इसी प्रकार, सोमभाई जेठीदा पटेल, जो मेहसाणा के अखज गांव के निवासी हैं और अमेरिका में बसे हुए हैं, अपने जन्मभूमि लौटकर गायों की सेवा कर रहे हैं.
सोमभाई पटेल का योगदान
लोकल 18 से बात करते हुए सोमभाई पटेल ने कहा, “अखज गांव में शकरकंद की खेती की जाती है. हर साल, शकरकंद की कटाई दिसम्बर से जनवरी तक होती है. हम अखज गांव के किसानों से शकरकंद की बेलें खरीदते हैं और इन्हें बनासकंठा के टिटोड़ा गांव स्थित राजा राम गौशाला भेजते हैं. हमारी गांव के स्वयंसेवक और किसान इस सेवा में जुड़कर यह काम करते हैं.”
वेल्स की खरीदारी और गौशाला को भेजना
सोमभाई ने ये भी बताया, “हम किसानों से शकरकंद की बेलें 8000 रुपये प्रति बीघा की कीमत पर खरीदते हैं. यहां लगभग 55 किसान शकरकंद लगाते हैं और हम बेलें खरीदते हैं. जब दो से ढाई बीघा शकरकंद की बेलें होती हैं, तो एक बड़ा ट्रक भर जाता है. हम 8 से 10 ट्रक भरकर गायों के लिए गौशाला भेजते हैं. राजा राम गौशाला टिटोड़ा गांव में स्थित है, जो देसा और धनेरा के बीच बनासकंठा जिले में है, जहां 6000 से ज्यादा गायों की देखभाल की जाती है. लेकिन इस क्षेत्र में चारे की बहुत कमी है, जिससे गायों को हरा चारा मिलने में कठिनाई होती है.”
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चारे का खर्च और दानदाताओं का सहयोग
हर साल, सिर्फ 15 से 20 दिनों के भीतर 10 से 15 ट्रक बेलें भेजने का खर्च तीन से चार लाख रुपये आता है. इस काम में दानदाताओं का भी सहयोग मिलता है.
Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : January 7, 2025, 16:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed