मनमोहन सिंह ने खूब की थी मेगा डिफेंस डील पर कुछ रह गई थी अधूरी
मनमोहन सिंह ने खूब की थी मेगा डिफेंस डील पर कुछ रह गई थी अधूरी
EXPLAINER UPA DEFENCE DEAL: डिफेंस डील जटिल और लंबी होती है. कई ऐसी डिफेंस डील हैं जो यूपीए सरकार के समय शुरू हुई और पूरी पीएम मोदी के कार्यकाल में. मनमोहन सरकार के दौरान कई मेगा डील हुई. कुछ पूरी हो गई कुछ लटक गई. लटकी हुई कुछ डील को पीएम मोदी की सरकार ने पूरी की.
EXPLAINER UPA DEFENCE DEAL : डॉ. मनमोहन सिंह का 2004 से 2014 तक का कार्यकाल उपलब्धियों के साथ साथ विवादों से भरा रहा. सरकार चाहे कोई भी रही हो, सेना की जरूरतों को हमेशा पूरा किया गया. डिफेंस डील जटिल और लंबी होती है. कई ऐसी डिफेंस डील हैं जो यूपीए सरकार के समय शुरू हुई और पूरी पीएम मोदी के कार्यकाल में पूरी हुई. मनमोहन सरकार के दौरान कई मेगा डील हुई. कुछ पूरी हो गई कुछ लटक गई. लटकी हुई कुछ डील को पीएम मोदी की सरकार ने पूरी की.
मनमोहन सिंह सरकार की मेगा डील
सेना में स्वदेशी हथियारों को शामिल करने का प्लान तो लंबे समय से चल रहा था. पीएम मोदी के कार्यकाल में इसमें रफ्तार पकड़ी. उससे पहले विदेशों पर ही भारत की निर्रिभर्रता थी. रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सरकार में साल 2005 में ट्रांसफ़र ऑफ़ टेक्नोलॉजी के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में स्वदेशी 6 फ़्रेंच स्कॉर्पीन क्लास की सबमरीन के निर्माण के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए. प्रोजेक्ट में काफी डिले हुआ और डील साइन होने के 12 साल के बाद पहली सबमरीन भारतीय नौसेना को मिली. भारत की पहली स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन का प्रोजेक्ट तो 70 के दशक के अंत से ही चल रहा था. 26 जुलाई 2009 को मनमोहन सरकार के दौरान इस प्रोग्राम को लॉंच किया गया. 2013 में सबमरीन परमाणु रियेक्टर एक्टिवेट किया गया. इसके तीन साल के बाद भारत पीएम मोदी ने देश की पहली न्यूक्लियर सबमरीन अरिहंत को देश को समर्पित किया. साल 2006 में वायु सेना के लिए 20 स्वदेशी तेजस बनाने को लेकर रक्षा मंत्रालय और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच कॉन्ट्रैक्ट हुआ. साल 2007 में वायु सेना के लिए 40 अतिरिक्त सुखोई-30 जेट कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए लिए गए. साल 2008 भारत ने वायु सेना के लिए छह C-130J हरक्यूलिस विमानों की खरीद के लिए अमेरिकी सरकार के साथ दस्तखत किए. साल 2009 में नौसेना के लिए अमेरिका की बोइंग इंडस्ट्रीज़ के साथ आठ P-8I लंबी दूरी के समुद्री टोही विमानों की ख़रीद का एक समझौता किया गया. साल 2009-10 में ही भारतीय सेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के कॉन्ट्रैक्ट किया. रूस के साथ साल 2009 में एडवांस हेलिकॉप्टरों में से एक Mi-17V5 हेलिकॉप्टर को रूस के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट के बाद शामिल किया गया. इसी साल वायुसेना के लिेए देशी एयर डिफेंस आकाश मिसाइल के दो स्क्वॉड्रन ऑर्डर दिए गए. यूपीए के समय अमेरिका से 10 बोइंग C-17 ग्लोब मास्टर की खरीद की गई. नौंसेना के लिए 40 हार्पून एंटी शिप मिसाइल की भी खरीद की गई.
डील जो पीएम मोदी ने पूरी की
यूपीए के कार्यकाल में जो भी रक्षा खरीद की प्रक्रिया चल रही थी वो आगे भी जारी रही. मोदी सरकार ने उन प्रोजेक्ट का आगे बढ़ाया. चीनी के मोर्चा के लिए तोप डील हाई एल्टीट्यूड एरिया में भारतीय फायर पावर को असरदार बनाने के लिए बडी तोपों की जरूरत थी. ऐसी तोप जो वजन में हल्की हो और हैलिकॉप्टर के जरिए आसानी से दुर्गम इलाकों तक ले जाया जा सके. चीन को ध्यान में रखकर मई 2012 में DAC ने अमेरिका से 145 M777 अल्ट्रा लाइट हॉवितसर की डील को मंजूरी दी. लेकिन वित्त मंत्रालय और CCS की तरफ से मंजूरी के लिए प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ी. साल 2015 में तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर परिकर ने इस डील को आगे बढ़ाया. साल 2016 में डील पर दस्तखत हो गए. आर्टिलरी की ताकत को बढ़ाने के लिए M777 के साथ साथ 100 155mm/52 कैलिबर की सेल्फ प्रोपेल्ड गन K-9 वज्र की खरीद की शुरुआत भी मनमोहन सरकार के समय हुई. 2007 में पहला रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया गया था. साल 2011 में L&T टॉप बिडर के तौर पर सामने आया. ट्रायल के लिए बुलवाया भी लेकिन डील ना हो सकी. पीएम मोदी ने इस डील को आगे बढ़ाया और साल 2018 में भारत को पहली K-9 वज्र तोप मिली
एयरक्राफ्ट की खरीद में तेजी लाई गई
भारतीय सेना के कम होते फाइटर स्क्वाड्रन को पूरा करने के लिए 126 MMRCA यानी की मीडियम मल्टी रोल कांबेट एयरक्राफ्ट की खरीद प्रक्रिया शुरू की थी. मनमोहन सरकार ने 2007 में टेंडर जारी किया था. साल 2012 में फ्रांस के रफाल को चुना गया. लेकिन खुद तत्कालीन रक्षा मंत्री ऐ के एंटनी ने डील के रद्द कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस 126 राफेल की पूरी डील तो नहीं लेकिन 2016 में 36 रफाल फ्रांस से खरीदे. स्वदेशी तेजस का प्रोग्राम तो तीन दशकों से ज्यादा से चल रहा था. डील मनमोहन सिंह सरकार के समय हुई थी. पहला स्क्वाड्रन 2017 में स्थापित हुआ. अमेरिका से अटैक हैलिकॉप्टर अपाचे और हैवि लिफ्ट हैलिकॉप्टर की खरीद प्रक्रिया 2009 में शुरू की गई. साल 2012 तक इसे पूरा करने की टार्गेट रखा गया. रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में फाइल अटकी रही. मोदी सरकार में साल 2015 में वित्त मंत्रालय ने 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीद की हरी झंडी दे दी. तेजस के लिए अमेरिका से 50 F404 इंजन खरीद की प्रक्रिया भी मनमोहन सरकार के दौरान शुरु हुई थी. वह डील जाकर 2021 पूरी हुई.
यूपीए के दौर में अमेरिका ने खूब बेचे हथियार
2001 से 2004 के बीच NDA सरकार के दौरान अमेरिका से 400 मिलियन डॉलर के करीब के हथियार की खरीद थी. मनमोहन सरकार के आने के बाद से अमेरिका से डिफेंस डील में तेजी आई. साल 2005 से 2008 के बीच यह 3.2 बिलियन डॉलर के करीब पहुँच गई. 2009 से 2013 तक से ख़रीद राशी बढ़ कर 5.7 बिलियन डॉलर हो गई. 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से विदेशों पर निर्भरता कम करने और भारतीय डिफेंस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए रफ्तार पकड़ी. आज बड़ी तेजी से भारत आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है.
Tags: Defence ministry, Dr. manmohan singh, Manmohan singh, Ministry of defenceFIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 15:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed