मानवीय भूल या सिग्नल फेल कंचनजंगा एक्सप्रेस की दुर्घटना का कारण क्या हैजानें

Kanchanjunga Accident: कंचनजंगा एक्सप्रेस की दुर्घटना की जांच से पता चलता है कि टक्कर में शामिल मालगाड़ी के चालक की कोई गलती नहीं थी. हालांकि रेलवे ने दावा किया कि भले ही उसे पास दिया गया था, लेकिन मालगाड़ी के चालक ने कथित तौर पर दूरी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया.

मानवीय भूल या सिग्नल फेल कंचनजंगा एक्सप्रेस की दुर्घटना का कारण क्या हैजानें
नई दिल्ली. कंचनजंगा एक्सप्रेस की दुर्घटना की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, एक दस्तावेज से पता चलता है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस से टक्कर में शामिल मालगाड़ी के चालक की कोई गलती नहीं थी. हालांकि रेलवे ने दावा किया कि भले ही उसे पास दिया गया था, लेकिन मालगाड़ी के चालक ने कथित तौर पर दूरी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया. रेलवे के मुताबिक सिग्नल पास करने के बाद लोको पायलट को कम से कम 150 मीटर की दूरी सुनिश्चित करनी चाहिए. पहले बताया गया था कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ी चालक को TA 912 के रूप में जाना जाने वाला एक दस्तावेज जारी किया था. इसने चालक को सभी लाल सिग्नल पास करने के लिए अधिकृत किया क्योंकि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली दोषपूर्ण थी. हालांकि रेलवे ने आधिकारिक तौर पर साफ किया है कि TA 912 में सिग्नल पास करने के बाद लोको पायलट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी ट्रेन और पिछली ट्रेन या लाइन पर किसी भी अवरोध के बीच कम से कम 150 मीटर की दूरी बनी रहे. जो इस मामले में नहीं किया गया था. इस बारे में आगे की जांच चल रही है. गौरतलब है कि टीए 912 ट्रेन चालक को तब जारी किया जाता है, जब स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम विफल हो जाता है. जिससे चालक सिग्नल की खराबी के कारण प्रभावित सेक्शन में सभी लाल सिग्नल को पार कर सकता है. सूत्रों ने यह भी पुष्टि की है कि रानीपतरा और छतर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम दुर्घटना के दिन सुबह 5:50 बजे से ही खराब था. उक्त दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि लिखित अनुमति के साथ मृतक लोको-पायलट को आरएनआई और कैट के बीच आने वाले सभी नौ सिग्नल को तेजी से पार करने का अधिकार था, इस बात की परवाह किए बिना कि वे लाल या सावधानी (पीले या दोहरे पीले) दिखा रहे हैं. मालगाड़ी का चालक तय दूरी रखने में विफल लेकिन रेलवे का कहना है कि चालक निर्धारित दूरी बनाए रखने में विफल रहा. रेलवे ने यह भी कहा कि उसके नियमों के अनुसार जब लोको पायलट को टी/ए 912 दिया जाता है और उसे लाल सिग्नल पार करना होता है, तो उसे 10 किमी प्रति घंटे की गति से सिग्नल के पास जाना होता है. अपनी ट्रेन को सिग्नल के पीछे जितना संभव हो सके उतना करीब लाना होता है. सिग्नल पर दिन के समय 1 मिनट और रात के समय 2 मिनट तक रुकना होता है और फिर 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना होता है. यह भी साफ नहीं है कि स्टेशन मास्टर ने यह अनुमति क्यों जारी की और अनुमान लगाया कि उन्हें शायद यह गलती से लग गया कि पिछली ट्रेन पहले ही सेक्शन पार कर चुकी है. कंचनजंगा ट्रेन एक्सीडेंट ने खोल दी भारतीय रेल के सिस्टम की पोल, जांच में उठे कई सवाल! मालगाड़ी के चालक की असावधानी बड़ा कारण रेलवे सूत्र ने बताया कि टीए 912 तब जारी किया जाता है जब सेक्शन में कोई अवरोध या कोई ट्रेन नहीं होती है, और यह ड्राइवर को लाल या सावधानी सिग्नल पार करने का अधिकार देता है. यह जांच का विषय है कि स्टेशन मास्टर ने ऐसा क्यों किया. हो सकता है कि उन्हें यह लगा हो कि पिछली ट्रेन स्टेशन सेक्शन पार करके दूसरे सेक्शन में प्रवेश कर गई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. यह दुर्घटना सोमवार को पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छतर हाट जंक्शन के बीच हुई. रेलवे ने शुरू में कहा कि मालगाड़ी के ड्राइवर ने सिग्नल का उल्लंघन किया. रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी के ड्राइवर ने सिग्नल का उल्लंघन किया. इसने कुल मरने वालों की संख्या नौ बताई. इसके अलावा, नौ लोग गंभीर रूप से घायल हुए और 32 को मामूली चोटें आईं. Tags: Major accident, Train accident, West bengalFIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 12:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed