UPSC क्रैक के बाद भी दिव्यांग को नहीं मिली नौकरी 15 साल कोर्ट में चली लड़ाई

UPSC Story: यूपीएससी सिविल सर्विसेज पास करने के बाद ही उन्हें अलग-अलग सर्विस में शामिल किया जाता है. लेकिन एक ऐसे दिव्यांग शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें UPSC की परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली है.

UPSC क्रैक के बाद भी दिव्यांग को नहीं मिली नौकरी 15 साल कोर्ट में चली लड़ाई
UPSC Story: एक तरफ कुदरत की मार, तो दूसरी ओर सरकारी सिस्टम के सितम को झेलते हुए शिवन कुमार ने आखिरकार नौकरी (Sarkari Naukri) पाने में कामयाब हो गए. उन्होंने इस नौकरी के लिए 15 सालों तक संघर्ष किया है. वह उन दृष्टिबाधित उम्मीदवारों में से एक हैं, जिन्हें परीक्षा पास करने के बावजूद यूपीएससी से नियुक्ति नहीं मिली. इसका मुख्य कारण डिसेबिलिटी रिजर्वेशन प्रोविशंस का ठीक ढंग से लागू न होना था. वर्ष 2008 में यूपीएससी परीक्षा पास करने के बावजूद उन्हें सेवा में शामिल नहीं किया गया. 15 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई शिवन कुमार ने नौकरी पाने के लिए 15 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी. उन्होंने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) का रुख किया, जहां 2009 से 2013 तक उनके केस की सुनवाई हुई. इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा और अंततः वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां अगले 10 सालों तक सुनवाई चली. 8 जुलाई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार को शिवन कुमार और पंकज श्रीवास्तव जैसे दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को भारतीय राजस्व सेवा (IRS) या किसी अन्य सेवा में नियुक्त करने का आदेश दिया. अदालत ने विकलांग आरक्षण नियमों को लागू न करने और आवेदकों के लिए अनावश्यक कठिनाई पैदा करने के लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की. IIS में मिली नियुक्ति शिवन बताते हैं कि वर्ष 2008 में परीक्षा देते समय उनकी उम्र 30 साल थी और 46 साल की उम्र में उन्हें भारतीय सूचना सेवा (IIS) में नौकरी मिली. इस कानूनी लड़ाई में उन्होंने लाखों रुपये खर्च किए और परिवार के लिए भी मुश्किलें झेलीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शिवन कुमार का मामला दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के सामने आने वाली सिस्टमिक प्रोब्लेम्स को बताती है. यूपीएससी की चयन प्रक्रिया में विकलांगता वर्गों के लिए रिजर्वेशन में भेदभाव देखा गया है. दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए 1% सीटें आरक्षित होने के बावजूद अक्सर अन्य प्रकार की विकलांगताओं वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाती है. संघर्षपूर्ण रहा यात्रा शिवन कुमार दो बेटियों के पिता हैं. उनकी 15 साल की संघर्षपूर्ण यात्रा अब एक नई शुरुआत के रूप में IIS में ट्रेनिंग के साथ आगे बढ़ रही है. यह कहानी दृष्टिबाधित और अन्य विकलांग उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो समान अवसर के लिए लड़ रहे हैं. ये भी पढ़ें… CRPF में बिना रिटेन एग्जाम के नौकरी पाने का मौका, बस पूरी करनी है ये शर्तें, 44000 मिलेगी मंथली सैलरी Tags: UPSC, Upsc examFIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 13:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed