मकर संक्रांति पर खाएं ये मिठाई एक ही बाइट में ऐसा स्वाद मिलेगा कि खाते रहोगे

Sankranti 2024: जालना में मकर संक्रांति के दौरान घेवर और फेनी की भारी मांग रहती है. तिवारी परिवार पिछले 10 सालों से इनका व्यापार कर रहा है. जालना से इन खाद्य पदार्थों की आपूर्ति राज्य के प्रमुख शहरों तक होती है.

मकर संक्रांति पर खाएं ये मिठाई एक ही बाइट में ऐसा स्वाद मिलेगा कि खाते रहोगे
जालना: जैसे ही मकर संक्रांति नजदीक आती है, जालना शहर की मुख्य सड़क पर दुकानों की भीड़ बढ़ जाती है, जहां घेवर और फेनी बिकते हैं. आकर्षक नारंगी घेवर और सफेद शुगरा फेनी सड़क से गुजरने वाले नागरिकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. घेवर, जो आटा, चीनी और घी से बनता है और फेनी, जो आटा और चीनी से बनती है. ये दो खाद्य पदार्थ मकर संक्रांति के दौरान विशेष सम्मान प्राप्त करते हैं. ये दोनों खाद्य पदार्थ मारवाड़ी समुदाय में बहुत लोकप्रिय हैं. संक्रांति के दौरान घेवर और फेनी को एक विशेष विविधता के रूप में परोसा जाता है. बता दें कि जालना शहर में तिवारी परिवार पिछले 10 सालों से घेवर और फेनी का व्यापार कर रहा है. आमतौर पर संक्रांति से एक महीना पहले, वे श्री राम मंदिर के पास बड़ी सड़क पर अपनी दुकान लगाते हैं और घेवर बनाते हैं. फेनी हैदराबाद से मंगवाई जाती है. घेवर और फेनी की कीमत 300 रुपये प्रति किलोग्राम है. जबकि, शुगर-फ्री घेवर 350 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है. महिलाएं मकर संक्रांति पर इन दोनों आइटम्स को अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को उपहार के रूप में देती हैं. जालना से राज्य के अन्य शहरों में फैलती लोकप्रियता यह घेवर और फेनी न सिर्फ जालना में, बल्कि मुंबई, पुणे, छत्रपति संभाजीनगर, नागपुर, नासिक जैसे बड़े शहरों में भी भारी मांग में हैं. ये दोनों खाद्य पदार्थ जालना से राज्य के महत्वपूर्ण शहरों में भेजे जाते हैं. अब इन दोनों आइटम्स की लोकप्रियता मारवाड़ी समुदाय के अलावा अन्य समुदायों में भी बढ़ रही है. मकर संक्रांति से पहले बड़ी सड़क पर करीब 50 दुकाने घेवर और फेनी बेचने के लिए लगाई जाती हैं. इससे हर विक्रेता को एक महीने में 50,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है. आपको कम से कम एक बार जालना की पहचान घेवर जरूर ट्राई करनी चाहिए. लोकल 18 से बात करते हुए विक्रेता श्रीनिवास तिवारी ने कहा कि यहां पर घेवर और फेनी बेचने वाली एक दुकान पिछले 10 सालों से है. पहले मेरी बेटे ने यहां दुकान लगाई थी, अब मैं इस दुकान पर बैठता हूं क्योंकि वो बीमारी के कारण गुजर गए. घेवर और फेनी का संक्रांति के दौरान खास महत्व होता है. महिलाएं हमेशा संक्रांति के लिए घेवर खरीदती हैं. घेवर यहां बनता है जबकि फेनी हैदराबाद से मंगवाई जाती है. एक महीने में, शुद्ध मुनाफा 50 से 60 हजार रुपये होता है. Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 13:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed