Muharram 2022: जानें क्यों खेला जाता है अखाड़ा 400 साल पुराना है अल्मोड़ा में मुहर्रम का इतिहास
Muharram 2022: जानें क्यों खेला जाता है अखाड़ा 400 साल पुराना है अल्मोड़ा में मुहर्रम का इतिहास
मुहर्रम पर हजरत इमाम हसन हुसैन की शहादत पर इस अखाड़े को खेला जाता है. इसमें बच्चे, बड़े, बुजुर्ग अखाड़ा खेलते हैं. अखाड़ा किसी को सिखाया नहीं जाता है. ये खुद बच्चे बचपन से खेलना सीखते हैं और वह बड़े होकर इसमें महारत हासिल कर लेते हैं.
रिपोर्ट- रोहित भट्ट
अल्मोड़ा. उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की बात करें तो करीब 400 सालों से यहां मुहर्रम (Muharram 2022) के लिए ताजिए बनाए जाते हैं. अल्मोड़ा में पांच जगह पर ताजियों का निर्माण किया जाता है. नियाज गंज में स्थित इमामबाड़े में इन सभी ताजियों को लाया जाता है. मुहर्रम पर अखाड़ा भी खेला जाता है. यह प्रथा काफी समय से चली आ रही है. अखाड़ा जो भी लोग देखते हैं, वह अपने दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं.
मुहर्रम पर हजरत इमाम हसन हुसैन की कुर्बानी पर यह अखाड़ा खेला जाता है. मुहर्रम में जो ताजिए बनाए जाते हैं, वह भी उनकी याद में बनाए जाते हैं. अल्मोड़ा के नियाज गंज में सभी लोग यहां पर एकत्रित होते हैं और अखाड़े से पहले सलामी दी जाती हैं. उसके बाद बच्चे, बड़े और बुजुर्ग इसमें अखाड़ा खेलते हैं.
अखाड़ा खेलने के दौरान आपको तलवार, ढाल, लाठी-डंडों के अलावा कई चीजें इसमें देखने को मिलती हैं, जिससे ये लोग अखाड़ा खेलते हैं. अखाड़ा देखने के लिए काफी संख्या में लोगों की भीड़ रहती है, जिसमें बच्चे, बड़े, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल रहती हैं.
अल्मोड़ा शहर के इमाम मुफ्ती जुनेद उल कादरी ने बताया कि अल्मोड़ा में ताजेदारी की प्रथा कई सालों से चली आ रही है. मुहर्रम पर लोग अखाड़ा खेलते हैं. हजरत इमाम हसन हुसैन की शहादत पर इस अखाड़े को खेला जाता है. इसमें बच्चे, बड़े, बुजुर्ग अखाड़ा खेलते हैं. अखाड़ा किसी को सिखाया नहीं जाता है. ये खुद बच्चे बचपन से खेलना सीखते हैं और वह बड़े होकर इसमें महारत हासिल कर लेते हैं.
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Tags: Almora News, MuharramFIRST PUBLISHED : August 10, 2022, 16:24 IST