Explainer: रेप के बाद शादी कानून की नजर में कितना सही

Is Marriage Enough to Quash Rape Charges: सुप्रीम कोर्ट ने एक आठ साल पुराने रेप के मामले को खारिज कर दिया जब आरोपी और शिकायतकर्ता ने बताया कि उन दोनों ने शादी कर ली है और वे खुश हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कई कानूनी सवालों को अनुत्तरित छोड़ दिया. तीन साल पहले दिए गए एक फैसले में कोर्ट ने कहा, "एफआईआर दर्ज होने के बाद, दोनों पक्ष अपने मतभेदों को सुलझाने में सफल रहे और अंततः वर्ष 2014 में शादी कर ली."

Explainer: रेप के बाद शादी कानून की नजर में कितना सही
Is Marriage Enough to Quash Rape Charges: यह मामला 40 साल पुराना है, लेकिन दाऊद बंदू खान के गले का फंदा बन गया है. दाऊद को 1984 में अपने पड़ोस में रहने वाली एक नाबालिग लड़की से प्यार हो गया. उनका यह रिश्ता उनकी 17 वर्षीय प्रेमिका की मां को मंजूर नहीं था. लड़की की मां ने दाऊद खान के खिलाफ मुंबई के डीबी मार्ग पुलिस थाने में रेप और अपहरण की शिकायत दर्ज कराई. दाऊद खान को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि दाऊद खान किसी तरह जमानत पाने में सफल रहे और जेल से बाहर आ गए. अपनी प्रेमिका के बालिग होने पर उन्होंने उससे शादी रचा ली. शादी के बाद वह आगरा चले गए जहां उनके चार बच्चे भी हुए. लेकिन अभी कहानी में असली ट्विस्ट बाकी था. अब मुंबई पुलिस ने अपहरण और रेप के मामले में पिछले 40 सालों से फरार चल रहे दाऊद खान को आगरा (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार कर लिया है. मुंबई की कोर्ट ने जनवरी 2020 में पेश होने में नाकामयाब रहने पर दाऊद खान को भगोड़ा घोषित कर दिया था. अब 70 साल के हो गए दाऊद बंदू खान ने उस समय एक बड़ी गलती कर दी थी जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने पुलिस और कोर्ट को अपनी शादी और सास के साथ हुए समझौते की जानकारी नहीं दी थी और आगरा चले गए थे. अब आरोपी की पत्नी और सास इस दुनिया में नहीं हैं. ऐसे में उनके खिलाफ दर्ज की गई शिकायत वापस लेने वाला भी कोई नहीं है. लिहाजा अब उन्हें रेप के आरोपी के तौर पर अदालत का सामना करना पड़ेगा. उनकी बेगुनाही साबित करने वाला कोई भी दुनिया में नहीं है. सुलह के बारे में कोर्ट को बताना चाहिए था इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, दाऊद खान के पहले बच्चे का जन्म मुंबई में ही हुआ था. लेकिन उसके बाद ये दंपती किसी को बताये बिना आगरा चले गए और वहीं बस गए. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आगरा जाने से पहले इस जोड़े को पुलिस और कोर्ट को सूचित करना चाहिए था कि मामला अब सुलझ गया है और दोनों ने शादी रचा ली है. लेकिन दाऊद खान ने खुद ही मान लिया कि उसने अब लड़की (मामले में पीड़िता) से शादी कर ली है इसलिए केस रफा-दफा हो गया. लेकिन इस दौरान कोर्ट उनके नाम समन जारी करती रही और वो पेश होने में विफल होते रहे. नतीजा यह रहा कि 40 साल बाद दाऊद खान को जेल की हवा खानी पड़ी. ये भी पढ़ें- क्‍या धरती पर खत्‍म होने वाला है जीवन? इंसान ने पार कर दीं 7 हदें, कौन-सी हैं पृथ्‍वी की सुरक्षा की 8 लेयर्स क्या कहना है दिल्ली हाईकोर्ट का? दाऊद खान के मामले को मद्देनजर रखते हुए ये जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कानून इस पर क्या कहता है. हालांकि कानून का रुख इस मामले में एकदम स्पष्ट है कि रेप जैसे जघन्य अपराध को माफ नहीं किया जा सकता. ना ही आरोपी को केवल इस आधार पर छोड़ा जा सकता है कि वह पीड़िता से शादी करने के लिए तैयार है. लीडइंडिया डॉट लॉ नाम की एक लीगल वेबसाइट के मुताबिक ऐसे एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि रेप के आरोपों को खत्म करने के लिए पीड़िता से शादी कर लेना पर्याप्त नहीं है. कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा, “सुलह होने पर भी समाज के हित में यही है कि सजा दी जाए.” केस के दौरान कोर्ट ने कहा, “ऐसे मामले में डील करना जहां अपराध की प्रकृति रेप जैसी गंभीर हो तो उसे आरोपी और पीड़िता द्वारा निपटाए जाने पर भी रद्द नहीं किया जा सकता है.” ये भी पढ़ें – अरब देशों में ऊंट को क्यों खिलाया जाता है जिंदा सांप, क्या होता है इसका अंजाम …लेकिन सुप्रीम कोर्ट ये कहता है दिल्ली हाईकोर्ट के उलट सुप्रीम कोर्ट ने एक आठ साल पुराने रेप के मामले को खारिज कर दिया जब आरोपी और शिकायतकर्ता ने बताया कि उन दोनों ने शादी कर ली है और वे खुश हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कई कानूनी सवालों को अनुत्तरित छोड़ दिया. तीन साल पहले दिए गए एक फैसले में कोर्ट ने कहा, “एफआईआर दर्ज होने के बाद, दोनों पक्ष अपने मतभेदों को सुलझाने में सफल रहे और अंततः वर्ष 2014 में शादी कर ली.” मामले में एफआईआर 2013 में दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे पर शिकायतकर्ता के साथ यौन संबंध स्थापित किए. शिकायतकर्ता और साथ ही आरोपी ने अब अदालत को बताया था कि वे एक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का आनंद ले रहे हैं और एफआईआर दोनों पक्षों के बीच कुछ गलतफहमी का नतीजा थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के एक जज का मानना है, “रेप किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे समाज के खिलाफ एक अपराध है. आईपीसी के सेक्शन 376 के तहत केस को रद्द नहीं किया जाना चाहिए और इसे बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ अपराध माना जाना चाहिए.”  ये भी पढ़ें – अरब देशों में ऊंट को क्यों खिलाया जाता है जिंदा सांप, क्या होता है इसका अंजाम क्या कहना है हाईकोर्ट के वकील का? लखनऊ हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट कौशलेंद्र शर्मा ने न्यूज 18 से कहा कि अगर आरोपी पीड़िता से शादी करने की पेशकश करता है या शादी कर लेता है तो मामला बंद हो सकता है. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट के पास यह अधिकार है कि वो शादी के बाद मामले को खारिज कर दे. दाऊद खान के मामले में कौशलेंद्र शर्मा ने कहा कि जब सुनवाई होगा तो उनको भी राहत मिल जाएगी. क्योंकि उनके खिलाफ शिकायत करने वाला और पीड़िता (जो बाद में पत्नी बनीं) अब दोनों ही जीवित नहीं हैं. फिर उन्होंने शादी कर ली थी. उनकी गलती इतनी है कि वो समय पर कोर्ट और पुलिस को यह बताने में असफल रहे कि सुलह हो गई है और दोनों खुशहाल वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं. Tags: DELHI HIGH COURT, Marriage, Rape Case, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 9, 2024, 21:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed