क्या कहता है विज्ञान: आ गया साल का सबसे छोटा दिन इसका ठंड पर कितना पड़ेगा असर
क्या कहता है विज्ञान: आ गया साल का सबसे छोटा दिन इसका ठंड पर कितना पड़ेगा असर
Shortest day of the year: 21 दिसंबर को भारत सहित उत्तरी दुनिया के तमाम देशों में सबसे छोटा दिन होता है. विंटर सॉल्सटिस नाम से जाने वाला यह दिन मौसम के लिहाज से बहुत अहम दिन होता है.इस दिन के बाद से इन देशों में दिन बड़े होने लगे लगते हैं और धीरे धीरे ठंड का असर कम होने आसार बनने लगते हैं
हाइलाइट्स 21 दिसंबर को उत्तरी दुनिया में दिन सबसे छोटा होता है इसकी वजह पृथ्वी की झुकी हुई धुरी है, जिससे मौसम बनते हैं इस बाद से दिन लंबे होना शुरू हो जाएंगे, सर्दी कम होगी
Shortest day of the year दुनिया भर में 21 दिसंबर का दिन मौसम के लिहाज से बहुत खास है. आज ही का दिन है जब भारत, यूरोप अमेरिका और एशिया के अन्य देशों में सबसे लंबी रात, यानी सबसे छोटा दिन होता है. इसे विंटर सॉल्सटिस (Winter solstice) कहा जाता है. भारत में 21 दिसम्बर कि दिन लेकिन इस दिन का मौसम पर क्या असर होता है, इसकी क्या अहमियत है? और क्या इससे ठंड बढ़ती है या घट जाती है? क्या ऐसा दुनिया के सभी उत्तरी देशों के साथ होता है? और इस दिन का भारत पर क्या असर होता है? आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान ( What does science say)?
साल में छह महीने सर्दी या गर्मी
भारत और दुनिया में भी साल भर अलग अलग मौसम होते हैं इसकी वजह पृथ्वी का सूर्य का झुककर चक्कर लगाना है. यही कारण है की दुनिया के आधे हिस्से में साल के छह महीने सर्द और छह महीने गर्म होते हैं. जबकि उस दौरान दूसरे आधे हिस्से में उल्टा होता है. यानी जब जिन छह महीने में उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी पड़ती है, उसी दौरान दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मी पड़ती है. इसी कारण से साल में एक दिन एक हिस्से में सबसे लंबी रात होती है और उसी दिन दूसरे हिस्से में सबसे लंबा दिन होता है. यह दिन 21 दिसंबर का है.
कैसे होता है ये
हमारी पृथ्वी जब सूर्य का चक्कर लगाती है, तो उसका अपनी धुरी पर होना पृथ्वी पर अलग अलग मौसम का कारण बनाता है. इस वजह से छह महीने पृथ्वी के एक आधे हिस्से में सूर्य की किरणें ज्यादा आती हैं और दूसरे आधे हिस्से में सूर्य की कम किरणें आती हैं. बाकी छह महीने उल्टा होता है. वैज्ञानिकों ने गणना कर पाया है कि उत्तरी गोलार्द्ध में 22 सितबंर से 21 मार्च के बीच सर्दी होती है और इन दोनों दिन ही पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं. इनके ठीक बीच का दिन यानी 21 दिसंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है. पृथ्वी का धुरी पर झुक कर सूर्य का चक्कर लगाने से सर्दी गर्मी का मौसम मिलता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
दिन होने लगेंगे बड़े
क्या होता है मौसम पर असर 21 मई से 21 दिसंबर तक दिन छोटे होते रहते हैं, जबकि 21 दिसंबर से 21 मई तक दिन बड़े होने लगते हैं. ऐसे में 21 दिसंबर के बाद से दिन का छोटा होना बंद हो जाएगा और सर्दी का असर कम होने लगते हैं. लेकिन इस बदलाव का सबसे बड़ा असर ध्रुवों के आसपास ज्यादा दिखता है, यानी उत्तरी ध्रुव में आर्कटिक वृत्त के ऊपर और दक्षिणी गोलार्द्ध में अंटार्कटिक वृत्त के नीचे..
ध्रुवों के पास ज्यादा असर
पृथ्वी की धुरी झुकी होने से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य आकाश में सबसे कम समय तक दिखाई देता है, लेकिन आर्कटिक वृत्त के ऊपर सूर्य ऊगता नही है जिससे यहां 24 घंटे ही रात रहती है. इसके बाद से धीरे धीरे यहां सूर्य की रोशनी दिखाई देनी शुरू होने लगती है जो यहां के इलाकों और देशो के लिए वसंत के मौसम के आगमन का संकेत होता है. इन्हीं इलाकों में विंटर सोल्सटिस हजारों सालों से मनाया जा रहा है. उत्तरी दुनिया में सितंबर से मार्च के बीच के छह महीनों तक सूर्य की रोशनी कम पहुंचती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
भारत जैसे देशों पर कैसा असर
भारत सहित उत्तरी दुनिया के कई देशों मे दिन 21 दिसंबर के बाद से धीरे धीरे लंबे होने लगते है और ठंड का असर भी धीरे धीरे कम होने लगता है. और इसके कुछ हफ्तों बाद ठंड भी कम होने लगती है. लेकिन भारत में ठंड के मौसम के जाने के का संकेत मकर संक्रांति के दिन को माना जाता रहा है. यह दिन 14 जनवरी के दिन आता है. इस दिन सूर्य की पीछे दिखने वाली राशि धनु से मकर हो जाती है और इसके बाद से सूर्य उत्तरी दुनिया को उत्तर की ओर खिसकता दिखता है, यानि कि दिन और ज्यादा लंबे होने लगते हैं. भारत में इस दिन क सर्दी के मौसम के अंत का संकेत भी माना जाता है.
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लेकिन इस सब कि तैयारी विंटर सॉल्सटिस से शुरू हो जाती है. भारत में सर्दी का मौसम हिमालय पर गिरी बर्फ से ज्यादा प्रभावित होता है ऐसे में उत्तर भारत में जनवरी के महीने में ठंड ज्यादा पड़ती है और उत्तर भारत में ठंड असल में कम होना वसंत पंचमी के दिन से माना जाता है जो कि फरवरी माह के पहले हफ्ते के आसपास की किसी तारीख को आती है. वहीं मौसम विभाग हिमालय में पड़ रही बर्फबारी के बंद होने के बाद ही ठंड को खत्म होने के संकेत के तौर पर देखता है
Tags: Bizarre news, Science facts, Science news, Shocking news, Weird newsFIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 11:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed