Explainer : डिप्टी चीफ मिनिस्टर का पद कितना दमदार और क्या हैं इसके मायने
Explainer : डिप्टी चीफ मिनिस्टर का पद कितना दमदार और क्या हैं इसके मायने
महाराष्ट्र में शिवसेना बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे चीफ मिनिस्टर पद की शपथ ग्रहण करके राज्य के सुप्रीमो बन चुके हैं तो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उनके डिप्टी चीफ मिनिस्टर होंगे. वैसे संविधान की दृष्टि से ये ओहदा कितना मायने रखता है और इसके पास कितनी पॉवर होती है.
महाराष्ट्र में शिवसेना से अलग हुए गुट के नेता एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री यानि डिप्टी चीफ मिनिस्टर पद की शपथ ली. भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कई मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट मिनिस्टर की रैंक से संतोष करना पड़ा. लेकिन मुख्यमंत्री से उप मुख्यमंत्री बनने वाले फडणवीस पहले नेता हैं. पिछले कुछ सालों में देश में बहुत तेजी से राज्यों में डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाए गए हैं. संविधान इस पद को किस तरह पारिभाषित करता है और इस पद के अधिकार के दायरे में क्या आता है.
देश में इस समय एक दो नहीं बल्कि 17 डिप्टी चीफ मिनिस्टर हैं. कई राज्यों में एक से ज्यादा डिप्टी चीफ मिनिस्टर भी हैं. जिसमें आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर है, जहां मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने 05 डिप्टी चीफ मिनिस्टर अपने नीचे बनाए हैं.
सवाल – संविधान डिप्टी चीफ मिनिस्टर के पद को किस तरह पारिभाषित करता है?
– 1950 में जब संविधान को एडाप्ट किया गया तब देश में सरदार वल्लभभाई पटेल उप प्रधानमंत्री थे. हालांति तब देश में कोई उप मुख्यमंत्री नहीं था लेकिन संविधान ने ना तो उप प्रधानमंत्री और ना ही उप मुख्यमंत्री के पद को कोई मान्यता दी है.
संविधान में ये पद हैं ही नहीं. अगर संविधान की बात करें तो ये पद कैबिनेट रैंक वाले सीनियर मिनिस्टर के बराबर ही होता है. जाहिर सी बात है कि संविधान ना तो इस पद की व्याख्या करता है और ना ही इस पद का कोई प्रावधान. लेकिन संविधान के मंजूर होने के बाद से उप प्रधानमंत्री भी कई हुए और उप मुख्यमंत्री तो और भी ज्यादा लेकिन ये पद प्रतीकात्मक तौर पर बेशक अहम हो सकता है लेकिन संवैधानिक तौर पर ये मंत्री पद जैसा ही पद है. जब संविधान 1950 में स्वीकार किया गया, तब सरदार वल्लभभाई पटेल उप प्रधानमंत्री थे लेकिन संविधान में ना तो उप प्रधानमंत्री और ना ही उप मुख्यमंत्री पद को रखा गया है. इस पद को कैबिनेट रैंक के मंत्री के बराबर ही माना गया है. (फाइल फोटो)
सवाल – कौन से उप मुख्यमंत्री ने इस पद को गैरजरूरी बताया था?
– नीलम संजीव रेड्डी देश के राष्ट्रपति भी बने. 1953 में वह आंध्र प्रदेश के पहले उप मुख्यमंत्री बने. शायद देश के इतिहास में वह पहले उप मुख्यमंत्री थे. इसके तीन साल बाद जब वह 1956 में मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री बनाने से ही मना कर दिया. बकौल उनके ये गैरजरूरी पद है, जिसका कोई मतलब ही नहीं.
सवाल – तो क्या ये माना जाए कि ये कोई स्पेशल पद नहीं है?
– ये तो साफ है कि उप मुख्यमंत्री का पद मंत्रिमंडल में कैबिनेट रैंक के मिनिस्टर के पद के बराबर होता है. उसका वेतन और भत्ते भी उसी के बराबर होते हैं. उसके पास अपने विभागों के अलावा किसी और विभाग में दखल देने का अधिकार नहीं होता और ना ही मीटिंग्स बुलाकर उनकी अध्यक्षता कर सकता है. बस इसे इस मायने में खास कहा जा सकता है, क्योंकि ये पद सियासी कद को जरूर जाहिर करता है. इस पद पर बिठाने वाले लोगों को हैसियत के हिसाब व्यावहारिकता में कैबिनेट मंत्रियों के ऊपर जरूर मान सकते हैं. नीलम संजीव रेड्डी 1953 में आंध्र प्रदेश में पहली बार डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाए गए. संवैधानिक व्यवस्था के बाद वो शायद देश के पहले डिप्टी चीफ मिनिस्टर बने थे. बाद में उन्होंने इस पद को गैरजरूरी बताया. (फाइल फोटो)
सवाल – क्या वो चीफ मिनिस्टर के पास आने वाली फाइलें देख सकते हैं या आदेश दे सकते हैं?
– नहीं चीफ मिनिस्टर के कामकाज में वो कोई दखलंदाजी नहीं कर सकते. चीफ मिनिस्टर का अधिकृत और आदेश केवल उसी के द्वारा दिया जा सकता है. हां, अगर पोर्टफोलिया के अनुसार उन्हें बेहतर विभाग दिए जाते हैं तो जरूर उनका महत्व थोडा़ बढ़ा हुआ माना जा सकता है लेकिन उनकी फाइलों को भी अंतिम तौर पर क्लीयरेंस मुख्यमंत्री ही देता है. उनके विभाग का बजट और खर्चे के लिए भी उन्हें मुख्यमंत्री की अनुमति पर ही निर्भर रहना होता है.
सवाल – क्या वो कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता कर सकता है?
– नहीं मुख्यमंत्री के रहने पर वो ऐसा नहीं कर सकता . अगर मुख्यमंत्री नहीं हैं और उन्हें उस काम के लिए अधिकृत कर गए हैं तो ही वो इसको कर सकते हैं. आमतौर पर आजकल गठबंधन सरकारों में इस पद पर बैठने वाले शख्स को नंबर दो मान लिया जाता है.
सवाल – डिप्टी चीफ मिनिस्टर का क्या शपथ लेते हुए क्या ये कह सकता है कि मैं उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेता हूं?
– नहीं ऐसा भी नहीं होता बल्कि उन्हें शपथ तो मंत्री पद की ही लेनी होती है. इस मामले में एक रोचक वाकया 1989 में वीपी सिंह की सरकार के शपथग्रहण के समय हुआ था. तब देवीलाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया था. राष्ट्रपति आर वेंकटरमन शपथ दिला रहे थे. जब देवीलाल शपथ लेने आए तो राष्ट्रपति ने उनसे ये पढ़ने के लिए कहा – मैं देवीलाल मंत्री पद की शपथ लेता हूं. लेकिन देवीलाल ने ये पढ़ने की बजाए पढ़ा-मैं देवीलाल उप प्रधान मंत्री पद की शपथ लेता हूं. देवीलाल को सही शपथ दिलाने की राष्ट्रपति ने कई बार कोशिश की लेकिन हर बार जब वह यही पढ़ते रहे तो उन्होंने छोड़ दिया.
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला दायर हुआ कि देवीलाल ने जो शपथ ली है, वो संविधान के अनुसार गलत है. तब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि संवैधानिक तौर पर देवीलाल कैबिनेट रैंक के मिनिस्टर के बराबर ही हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी सरकार में 05 डिप्टी चीफ मिनिस्टर हैं, जो अपने आपमें एक अनोखी बात ही है. (फाइल फोटो)
सवाल – इस समय देश में कितने डिप्टी चीफ मिनिस्टर हैं?
– अगर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जोड़ दिया जाए तो देश में मौजूदा तौर पर 17 उप मुख्यमंत्री हैं. जो इस तरह हैं
आंध्र प्रदेश 05 उप मुख्यमंत्री
अरुणाचल 01
बिहार 02
दिल्ली 01
हरियाणा 01
महाराष्ट्र 01
मेघालय 01
मिजोरम 01
नागालैंड 01
त्रिपुरा 01
उत्तर प्रदेश 02
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Tags: BJP, Deputy Chief Minister, Devendra Fadnavis, Eknath Shinde, MaharashtraFIRST PUBLISHED : July 01, 2022, 17:25 IST