किसकी गलती से अंतिम पल में अफजल गुरु की नहीं हुई थी परिजनों से मुलाकात

Sushil Kumar Shinde Exclusive Interview: देश के पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्‍होंने 26/11 मुंबई हमले के दोषी पाकिस्‍तानी आतंकवादी अजमल कसाब को लेकर भी बड़ी बात कही है.

किसकी गलती से अंतिम पल में अफजल गुरु की नहीं हुई थी परिजनों से मुलाकात
प्रीति मुंबई/नई दिल्‍ली. पार्लियामेंट अटैक की घटना के 23 साल से ज्‍यादा का वक्‍त बीच चुका है, लेकिन इससे जुड़ी बातें आज भी लोगों के दिलों-दिमाग पर गहरा असर डालती हैं. संसद हमले से जुड़ा कोई भी वाकया क्‍यों न हो उसमें गहरी दिलचस्‍पी रहती है. देश को हिलाकर रख देने वाले इस अटैक की साजिश रचने वाले अफजल गुरु को साल 2013 में फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को जिस वक्‍त फांसी दी गई थी, उस वक्‍त देश के गृह मंत्री कांग्रेस के सीनियर लीडर सुशील कुमार शिंदे थे. उनके ही कार्यकाल के दौरान अफजल गुरु को फांसी दी गई थी. अफजल को फांसी पर चढ़ाने कि 11 साल बाद अब सुशील कुमार शिंदे ने इसको लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्‍होंने कहा कि तत्‍कालीन होम सेक्रेट्री की तरफ से देरी होने के कारण अफजल आखिरी पलों में अपने परिवारवालों से नहीं मिल सका था. jharkhabar.com को दिए इंटरव्‍यू में शिंदे ने 26/11 मुंबई हमले के दोषी पाकिस्‍तानी आतंकवादी अजमल कसाब को लेकर भी बड़ी बात कही है. सुशील कुमार शिंदे ने अफजल गुरु को लेकर चौंकाने वाली बात कही है. उन्‍होंने कहा, ‘अफ़ज़ल गुरु को फांसी देने के बाद कश्मीर में कई विरोध प्रदर्शन हुए थे, लेकिन हमने उस वक़्त भी कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखकर उसे फांसी दी थी. मैं मानता हूं कि उस वक़्त होम सेक्रेट्री की तरफ़ से कुछ देरी हुई थी और अफ़ज़ल आख़री वक़्त में अपने परिवार से मिल नहीं पाया था. इसके पहले जब भी अफ़ज़ल का परिवार जेल में गया था, तब उनकी मुलाक़ात हुई थी.’ बता दें कि आखिरी पलों में अफजल को उसके परिवार से न मिलने देने का मुद्दा काफी उठा था. अजमल कसाब पर क्‍या बोले शिंदे पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 26/11 मुंबई हमले को लेकर भी बड़ी बात कही है. शिंदे ने कहा, ‘मैं हमले के बाद गृह मंत्री बना था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़, अजमल को फांसी दी गई थी. फांसी पर लटकाने से पहले हमने पाकिस्तान को कहा था की हम अजमल कसाब का शव भेजते हैं. हमने इसके लिए एक ऑफ़िशियल चिट्ठी भी लिखी थी, लेकिन पाकिस्तान ने उस ख़त का कोई जवाब नहीं दिया था. पाकिस्तान यह मानने के लिए ही तैयार नहीं था कि अजमल कसाब उनके देश का नागरिक है. हमने 26/11 मुंबई हमले में कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए ही उसे फांसी दी थी. भगवा आतंकवाद पर पूर्व गृह मंत्री UPA के शासनकाल में भगवा आतंकवाद भी काफी सुर्खियों में रहा था. पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इसपर भी अपनी राय जाहिर की है. उन्‍होंने कहा, ‘मैं जब गृह मंत्री था, तब हमारे पास भगवा आतंकवाद को लेकर पुख़्ता सबूत थे. इसलिए जयपुर में एक कार्यक्रम में मैंने भगवा आतंकवाद का उल्लेख किया था. हमने सबूत के आधार पर ही गिरफ़्तारी की थी, जो सबूत हमारे पास थे उसी के तहत कार्रवाई की गई थी.’ अफजल गुरु की फांसी क्यों एक दिन टालनी पड़ी थी? तब के गृहमंत्री शिंदे को किस बात का पछतावा शिंदे परिवार से कोई लड़ेगा विधानसभा चुनाव? महाराष्‍ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में जब सुशील कुमार शिंदे से पूछा गया कि क्‍या उनके परिवार का कोई सदस्‍य विधानसभा चुनाव लड़ेगा? इस सवाल के जवाब में शिंदे ने कहा, ‘मेरी बेटी प्रणति शिंदे लोकसभा की सांसद हैं. ऐसे में अब मैं नहीं चाहता कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्‍य राजनीति में आए. मैं परिवारवाद नहीं मानता. मैं ख़ुद मेहनत करके यहां पहुंचा हूं. मैं चाहता हूं की सोलापुर से किसी पार्टी कार्यकर्ता को टिकट मिले.’ उन्‍होंने साफ किया कि शिंदे परिवार का कोई सदस्य विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा. महाराष्‍ट्र में सीएम पद को लेकर चल रही चर्चा पर उन्‍होंने कहा कि जिस पार्टी की ज्यादा सीटें होंगी, उसी का मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में बनेगा. अभी से सीएम के नाम की घोषणा नहीं होगी. पार्टी तय करेगी कौन सीएम बनेगा. कांग्रेस का शिवसेना से गठजोड़ माना जाता है कि महाराष्‍ट्र में जब कांग्रेस और NCP उद्धव ठाकरे हाथ मिलाने जा रही थी तो सोनिया गांधी शुरुआत में इसके लिए तैयार नहीं थे. इसपर शिंदे ने कहा, ‘साल 2019 में जब उद्धव ठाकरे के साथ कांग्रेस और एनसीपी हाथ मिला रही थी, उस वक़्त राहुल गांधी और सोनिया गांधी इसके लिए तैयार नहीं थे. मैंने और शरद पवार ने उनको समझाया था. उनका कहना था कि एक हिंदुत्ववादी पार्टी के साथ हाथ कैसे मिला सकते हैं? लेकिन, तब हमने सोनिया गांधी को बताया था कि पार्टी की विचारधारा सरकार में नहीं रहेगी. सर्व धर्म सम्भाव के तहत सरकार चलेगी और आख़िरकार वे मान गए.’ शरद पवार की आंखों में आंसू क्‍यों? शरद पवार के भावुक होकर रोने की बात पर भी शिंदे ने खुलासा किया है. उन्‍होंने कहा, ‘शरद पवार के कहने पर मैंने अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ी थी और पार्टी जॉइन की थी. जब 1978 में मुझे चुनाव में टिकट नहीं मिला तो वह बहुत मायूस हो गए थे. दिल्ली से वह मुंबई आए थे. एयरपोर्ट पर जब मैं उनसे मिला तब उनकी आंखों में आंसू थे. Tags: Mumbai News, National NewsFIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 16:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed