ED ठीक कह रही SC ने मेहता की दलील मानी सही फिर केजरीवाल को क्यों दी राहत

सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई करते हुए सीएम केजरीवाल को फौरी राहत देते हुए चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीएम केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के बीच जोरदार बहस देखी गई.

ED ठीक कह रही SC ने मेहता की दलील मानी सही फिर केजरीवाल को क्यों दी राहत
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए लोकसभा चुनाव में अपनी आम आदमी पार्टी का प्रचार के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी. दिल्ली की रद्द हो चुकी शराब नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए केजरीवाल को प्रचार अभियान समाप्त हो जाने के बाद 2 जून को आत्मसमर्पण करके वापस से जेल जाना होगा. सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई करते हुए सीएम केजरीवाल को फौरी राहत देते हुए चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीएम केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के बीच जोरदार बहस देखी गई. यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने दिया साथ जुड़ने का ऑफर तो अब क्या करेंगे शरद पवार? NCP प्रमुख का आ गया जवाब इस मामले में एसजी तुषार मेहता और एएसजी एसवी राजू ने चुनाव प्रचार के लिए आप प्रमुख केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा कोई पूर्व उदाहरण नहीं है. इन्होंने कोर्ट के समक्ष यह भी रेखांकित किया कि सीएम केजरीवाल ईडी द्वारा 9 समन दिए जाने के बावजूद उसके समक्ष पेश नहीं हुए. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि ईडी ने यह बात सही कही है कि केजरीवाल उसके 9 नोटिस के बावजूद पेश नहीं हुए, जिसमें से पहला अक्टूबर 2023 में जारी किया गया था. कोर्ट ने कहा, ‘यह नकारात्मक पहलू है, लेकिन कई अन्य तथ्य हैं जिन पर हमें विचार करना होगा.’ बेंच ने ईडी से कहा कि ‘केजरीवाल एक राष्ट्रीय दल के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. वह डेढ़ साल तक बाहर रहे. उन्हें पहले या बाद में गिरफ्तार किया जा सकता था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.’ यह भी पढ़ें- प्रज्वल रेवन्ना का कांड उजागर करने वाले BJP नेता भी मुसीबत में घिरे, पुलिस ने हिरासत में लिया, जानें पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘लगभग 97 करोड़ मतदाताओं में से 65-70 करोड़ मतदाता अगले पांच वर्षों के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे. आम चुनाव लोकतंत्र को जीवंतता प्रदान करते हैं.’ बेंच ने कहा कि ईडी की ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी, जबकि मुख्यमंत्री को इस साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया. ऐसे में केजरीवाल को 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. इस बीच केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी ने उन्हें 5 जून तक अंतरिम जमानत दिए जाने का अनुरोध किया, लेकिन बेंच ने इसे स्वीकार नहीं किया कि उन्हें पांच जून तक अंतरिम जमानत दी जाए और उन्हें 2 जून को वापस से सरेंडर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के कारणों का विवरण बाद में दिया जाएगा. बेंच ने इतना जरूर बताया कि सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत की शर्तें वैसी ही होंगी जैसी ‘आप’ नेता संजय सिंह के मामले में लागू की गई थीं. संजय सिंह को इसी मामले के सिलसिले में पिछले महीने जमानत दी गई थी. Tags: Arvind kejriwal, Enforcement directorate, Supreme Court, Tushar mehtaFIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 11:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed