अध्यक्ष की गरिमा को बचाने के लिए कवच बने नेहरू मगर कांग्रेस को आज नहीं याद!
अध्यक्ष की गरिमा को बचाने के लिए कवच बने नेहरू मगर कांग्रेस को आज नहीं याद!
No Confidence Motion: विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. जबकि देश के पहले लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने अध्यक्ष का बचाव करते हुए विपक्ष को खरी-खरी सुना दी थी.
नई दिल्ली. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भारत के संसदीय इतिहास में राज्यसभा के अध्यक्ष के विरुद्ध पहला ऐसा कदम है. जबकि लोकसभा ने आजादी के बाद से अध्यक्ष को हटाने के लिए तीन अविश्वास प्रस्ताव देखे हैं. भारत के प्रथम अध्यक्ष जी वी मावलंकर के खिलाफ पहला प्रस्ताव 18 दिसंबर, 1954 को बिहार से सोशलिस्ट पार्टी के सांसद विग्नेश्वर मिसिर ने पेश किया था. दो घंटे की तीखी बहस के बाद सदन ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया. उस वक्त तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने अध्यक्ष की गरिमा को बचाने के लिए उनकी ईमानदार पर सवाल उठाने वाले सांसदों को आड़े हाथों लिया था.
मावलंकर को हटाने की असफल कोशिश
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस मामले पर बहस के दौरान अनुरोध किया कि विपक्ष को सत्ता पक्ष की तुलना में बोलने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए. विपक्षी सांसदों ने कहा कि अब तक लगभग 89 स्थगन प्रस्ताव पेश किए हैं. जिसमें से 86 स्थगन प्रस्ताव नामंजूर किए गए. बहस में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के किसी भी सदस्य पर कोई व्हिप नहीं है. वे अपनी इच्छानुसार मतदान कर सकते हैं, क्योंकि यह सदन के सम्मान से जुड़ा मामला है.
स्पीकर की ईमानदारी पर सवाल उठाए जाने से दुखी
इसके बाद उन्होंने स्पीकर की ईमानदारी पर सवाल उठाए जाने पर दुख जताते हुए पंडित नेहरू ने कहा कि ‘जब हम उनकी ईमानदारी को चुनौती देते हैं तो हम अपने देशवासियों और वास्तव में दुनिया के सामने यह जाहिर करते हैं कि हम छोटे आदमी हैं और यही हालात की गंभीरता है.’ मावलंकर का बचाव करते हुए नेहरू ने विपक्षी सदस्यों के इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने स्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी. उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में साल में एक या दो बार स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा में एक दिन में तीन ऐसे नोटिस दिए गए.
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पंडित नेहरू ने कहा- कठोर शब्द नहीं बोलना चाहता
पंडित नेहरू ने कहा कि वे विपक्षी सदस्यों द्वारा कही गई बातों के बारे में कोई कठोर शब्द नहीं बोलना चाहते. विपक्षी सदस्यों के स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत किए जाने के बारे में पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा कि ‘उन्होंने जो दस्तखत किए हैं, वह एक गलत बात है. मुझे संदेह है कि दस्तखत करने से पहले लोगों ने इसे पढ़ा भी है या नहीं.’
Tags: Congress, Jagdeep Dhankar, Jawahar Lal Nehru, Rajya sabhaFIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 05:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed