लक्ष्मण नहीं लखन की है नवाबों की नगरी क्या चुनाव बाद बदल गई भाजपा की राय

लोकसभा चुनाव के नतीजों ने यूपी की राजनीतिक फिजा बदल दी है. भगवान राम, लक्ष्मण के बाद अब लखन को याद किया जाने लगा है. भाजपा भी लखन को प्रणाम कर रही है.

लक्ष्मण नहीं लखन की है नवाबों की नगरी क्या चुनाव बाद बदल गई भाजपा की राय
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा की बोल बदल दी है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के बाद पूरे प्रदेश में माहौल राममय था. लेकिन उसी अयोध्या में भाजपा की हार हो गई. इसके साथ ही पूरे प्रदेश में भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बन गई. एनडीए गठबंधन को राज्य की 80 सीटों में से केवल 37 सीटों पर जीत मिली. दूसरी तरफ सपा के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन को शानदार जीत मिली है. इसी चुनावी नतीजों की समीक्षा के लिए बीते दिनों लखनऊ में पार्टी की राज्य कार्यकारी समिति की बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. दरअसल, यह पूरी कहानी नवाबों की नगरी लखनऊ शहर को लेकर है. भाजपा लंबे समय से यह दावा करती रही है कि लखनऊ की स्थापना भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने की थी. श्रीराम ने उन्हें तोहफे में यह इलाका दिया था. इसी कारण भाजपा के नेता लंबे समय से लखनऊ का नाम बदलकर लक्ष्मणपुरी या लखनपुरी करने की मांग करते रहे हैं. बीते साल प्रतापगढ़ के भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर लखनऊ का नाम लखनपुरी करने की मांग की थी. इतना ही नहीं बीते साल ही लखनऊ एयरपोर्ट के पास लक्ष्मण की एक बड़ी मूर्ति स्थापित की गई. श्रीराम के भाई लक्ष्मण के नाम पर लखनऊ उस वक्त गुप्ता की इस चिट्ठी पर खूब बवाल हुआ था. सपा के वरिष्ठ नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसके उलट दावा किया था कि इस जगह का नाम लखनऊ पड़ने के पीछे लखन पासी और उनकी पत्नी लखनावती का नाम है. ऐसे दावे हैं कि 10वीं शताब्दी के आसपास लखनऊ पर लखन पासी का राज था. वह यहां के राजा हुआ करते थे. लेकिन, इस चुनाव के नतीजे ने अब भाजपा को लखन पासी का नाम याद दिला दिया है. प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष भुपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि इस मौके पर हमें इस शहर के वास्तविक भारतीय वास्तुकार लखन पासी को याद करना बेहद अहम है. पासी राजा को याद किए बिना यह बैठक पूरी नहीं हो सकती है. पासी समुदाय की भूमिका अहम दरअलस, राज्य में दलित आबादी में करीब 16 फीसदी लोग पासी समुदाय से हैं. यह आबादी राज्य के अवध क्षेत्र में बेहद अहम है. अवध क्षेत्र में फैजाबाद, लखनऊ, बाराबंकी, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़ जिले आते हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि बीते लोकसभा चुनाव में पासी समुदाय ने मुख्य रूप से इंडिया गठबंधन को समर्थन दिया. इस कारण इलाके की अधिकतर सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत हुई. यहां तक कि फैजाबाद में पासी समुदाय से आने वाले सपा नेता अवधेश प्रसाद की भी जीत हुई है. अवधेश प्रसाद इस वक्त राज्य में पासी समुदाय का चेहरा बने हुए हैं. जानकारों का कहना है कि पासी समुदाय राज्य की कम से कम 25 विधानसभा सीटों में निर्णायक भूमिका निभाता है. ऐसे में राज्य में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी इस समुदाय की भूमिका काफी अहम रहेगी. इसी राजनीतिक मजबूरी में भाजपा लक्ष्मण की जगह आप लखन पासी का नाम जप रही है. Tags: BJP, Lucknow news, UP BJPFIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 18:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed