Bhai Dooj 2022: शहीद रोहिताश्व की बहन बोली- भाई ने कहा था इस बार साथ मनाएंगे भाई दूज लेकिन
Bhai Dooj 2022: शहीद रोहिताश्व की बहन बोली- भाई ने कहा था इस बार साथ मनाएंगे भाई दूज लेकिन
Bhai Dooj 2022:देशभर में भाई दूज पर्व की धूम है. वहीं, झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी इलाके के पोसाना गांव के रोहिताश्व कुमार खैरवा के शहीद होने से पूरा परिवार गमगीन है. अरुणाचल प्रदेश के सियांग में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए रोहिताश्व की बहन ने कहा कि भाई ने इस बार भाई दूज साथ मनाने का वादा किया था. भाई आए जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपटकर.
रिपोर्ट: इम्तियाज अली
झुंझुनूं. जब पूरा देश एक तरफ दिवाली के पर्व की तैयारी कर रहा था, तब झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी इलाके का पोसाना गांव देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूत की अंत्येष्टि की तैयारी में जुटा था. शहीद रोहिताश्व कुमार खैरवा की बहन सुनीता ने बताया कि भाई ने इस बार भाई दूज साथ मनाने का वादा किया था. भाई आए जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपटकर. अब उनकी यादों के साथ ही भाई दूज मनेगा. दरअसल आज देशभर में भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है.
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के सियांग में हेलीकॉप्टर हादसे में पोसाना निवासी रोहिताश्व कुमार खैरवा शहीद हो गए थे. शहीद का पार्थिव शरीर दिवाली के दिन घर पहुंचा. तब तक उनकी शहादत के बारे में न बहन को पता था और न ही परिजनों को. वे सभी तो उनके आने का इंतजार कर रहे थे. फूलों से सजे सेना के ट्रक में तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह जैसे ही उनके घर के आंगन में पहुंची, परिजन होश खो बैठे. पिता विद्याधर, माता चुकी देवी, पत्नी सुभीता और बेटी रतिज्ञा का बुरा हाल था. इस दौरान रोते हुए बहन सुनीता ने कहा कि आपने आने का वादा किया था, लेकिन इस तरह तिरंगे में लिपटकर आएंगे, इसकी कल्पना भी नहीं की थी. बहन की करुण वेदना सुनकर हर किसी की आंखें नम हो उठी.
परिवार के लिए बड़ा दर्द: 1967 के युद्ध में शहीद हुए थे दादा
हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए रोहिताश्व कुमार खैरवा के परिवार के लिए शहादत का यह दर्द कभी नहीं भुलाने वाला है. इससे पहले 1967 के युद्ध में उनके दादा ग्रेनेडियर बालाराम ने देश के लिए शहादत दी थी. पोसाना गांव में पहले से पांच शहीद हैं. रोहिताश्व छठा शहीद है. रोहिताश्व के चाचा प्रधान खैरवा और चचेरे भाई विकास ने बताया कि शहीद धर्मपाल सिंह 16 सितंबर 2009 को वीरगति को प्राप्त हुए थे. इनके अलावा सेडूराम मैचू और जोधाराम महला आजादी से पहले 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए थे. 1962 में भारत-चीन युद्ध में बोहितराम ढेवा और 1967 में बालाराम खैरवा शहीद हुए थे. इन सभी पांचों शहीदों की गांव में एक ही जगह पर प्रतिमाएं लगाई गई हैं.
गुढ़ागौड़जी में 15 दिन में तीसरी शहादत
यूं तो देश के लिए प्राण न्यौछावर करने के लिए झुंझुनूं जिला अग्रणी है, लेकिन एक के बाद एक शहीदों की चिंताओं से हर कोई सिहर उठा है. गुढ़ागौड़जी तहसील में पिछले 15 दिन में तीन शहीद हो गए. यह शहादत और शौर्य की मिसाल है. गुढ़ाबावनी, दुड़िया और पोसाना के तीन लाल शहीद हुए हैं. 7 अक्टूबर को गुढ़ा बावनी के सुमेर बगड़िया, 20 अक्टूबर को दुड़िया के जयसिंह बांगड़वा और 22 अक्टूबर को पोसाना के रोहिताश्व खैरवा शहीद हो गए.
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Tags: Bhai dooj, Jhunjhunu newsFIRST PUBLISHED : October 26, 2022, 18:14 IST