बांग्लादेश हिंसा-अमेरिकी सांसदों ने उठाई आवाज विपक्षी भारतीय नेता मौन क्यों
बांग्लादेश हिंसा-अमेरिकी सांसदों ने उठाई आवाज विपक्षी भारतीय नेता मौन क्यों
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यों पर हिंसा के विरोध में अमेरिकी सांसदों तक ने आवाज उठाई है. वीएचपी और दूसरे हिंदूवादी संगठन मुखर हैं, लेकिन राहुल गांधी, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, तेजस्वी यादव जैसे इंडिया ब्लॉक के किसी भी नेता ने ट्विट तक नहीं किया. आखिर क्यों जानिए.
बांग्लादेश में हिंसा पर दुनिया के तमाम नेता चिंता जता रहे हैं. वहां अल्पसंख्यकों, हिंदुओं पर हमले की आलोचना कर रहे हैं. भारत के हिंदूवादी संगठनों ने इसे रोकने की अपील की है, लेकिन इतना सब होने के बाद विपक्ष के नेताओं का इस मसले पर कोई बयान नहीं आया है. राहुल गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के किसी नेता ने बांग्लादेश में हो रही घटनाओं की न तो आलोचना की और न ही किसी तरह का विरोध जताया. ये भी नहीं कहा जा सकता कि इस मुद्दे पर सरकार का रुख अलग है. इस कारण से विपक्षी नेता कोई बयान नहीं दे रहे हैं.
अमेरिकी संसद में बांग्लादेश की हिंसा को लेकर चिंता व्यक्त की गई है. सांसद रिच मैककॉर्मिक ने कहा है कि वे बांग्लादेश में जारी सांप्रदायिक हिंसा की खबरों से परेशान हैं, जिनमें अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर जाने के बाद वहां के अल्पसंख्यकों उन्मादी भीड़ का शिकार बन रहे हैं.
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद आर खन्ना और राजा कृष्णमूर्ति भी हिंसा की कड़ी निंदा कर चुके हैं. कष्णमूर्ति ने कहा कि शपथ लेने वाली अंतरिम सरकार को बांग्लादेश में अशांति पर काबू करना चाहिए. साथ ही दोषियों को दंड भी दिलाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि सभी सरकारी अधिकारियों, नए प्रशासन और पुलिस प्रमुख और बांग्लादेश के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे देश भर में फैली हिंसा को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करें, जिसमें देश के हिंदू अल्पसंख्यकों, उनके घरों, व्यवसायों और उनके मंदिरों को क्रूर तरीके से निशाना बनाना भी शामिल है.’
विश्व हिंदू परिषद पहले ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मसला उठा चुका है. अंतरिम सरकार के गठन के मौके पर केंद्र सरकार ने कूटनीतिक तरीके से ही सही बांग्लादेश को संदेश दे दिया कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जानी चाहिए. सरकार की भाषा ऐसी ही होती है, लेकिन सरकार के बयान बाद भी विपक्षी नेताओं ने कोई बयान नहीं दिया.
यहां ये भी याद रखने वाली बात है कि चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी का साफ्ट हिंदुत्व चर्चा में रहता है. वे मंदिरों में भी जाते हैं. उनकी ओर से भी बांग्लादेश में हिंसा पर न तो कोई बयान आया और न ही सोशल प्लेटफार्म पर कोई ट्विट किया गया. News 18 ने राहुल समेत समेत इंडिया ब्लॉक के पहली पांत के तकरीबन सभी नेताओं के ट्विटर हैंडल देखा , लेकिन किसी ने भी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा का मसला नहीं उठाया है. राहुल गांधी उन विपक्षी नेताओं में हैं, जो देश विदेश के तकरीबन सभी मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखते रहे हैं. उनकी सक्रियता लोगों को अच्छी भी लगती है, लेकिन बांग्लादेश हिंसा मसले पर मौन समझ से परे है.
यही स्थिति कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आरजेडी के तेजस्वी यादव और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की है. झारखंड तो वो राज्य है, जहां से बांग्लादेश का सीधे रोजाना का कारोबार है. बिहार की भी स्थिति काफी हद तक यही है. हिंदू सम्मान की बातें करने वाली शिवसेना (उद्धव) की ओर से भी कोई बयान नहीं आया. एनसीपी के शरद पवार ने भी इस मसले पर कोई ट्विट नहीं किया.
दुनिया में जहां कहीं भी किसी समुदाय पर जातिगत आधार पर अत्याचार या हिंसा होती है तो भारत अपनी परंपरा के मुताबिक इसकी निंदा करता है. बात चाहे फिलिस्तीन- इजरायल की हो, कुर्दों की हो या फिर मणिपुर की. तकरीबन सभी सेक्यूलर दल वहां होने वाली हिंसा की निंदा करते हैं, लेकिन बंग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा पर मौन रहने से ये दल सवालों और आरोपों के दायरे में आ जाते हैं.
Tags: Bangladesh, Mamta Banarjee, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 16:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed