चार दोस्तों की अनूठी मुहिम: इंडियन सारस को बचाने के लिए किसानों को चावल-गेहूं के बदले देते हैं रुपए

भरतपुर के चार दोस्तों की इंडियन सारस पक्षी की विलुप्त होने के कगार पर पहुंची प्रजाति को बचाने के लिए अनूठी मुहिम रंग ला रही है. यह दोस्‍त मिलकर किसान को सारस का घोंसला या फिर अंडे नहीं हटाने के लिए एक बोरी चावल या गेहूं के रुपए देते हैं.

चार दोस्तों की अनूठी मुहिम: इंडियन सारस को बचाने के लिए किसानों को चावल-गेहूं के बदले देते हैं रुपए
रिपोर्ट: ललितेश कुशवाहा भरतपुर. राजस्‍थान के भरतपुर के चार दोस्तों ने इंडियन सारस पक्षी (Indian stork bird) की विलुप्त होने के कगार पर पहुंची प्रजाति को बचाने के लिए अनूठी मुहिम छेड़ रखी है. चारों दोस्तों द्वारा सारस पक्षी के द्वारा किसानों के खेत में बनाए गए घोंसलों को नष्ट नहीं करने के बदले में एक चावल या गेहूं की बोरी के रुपए दिए जाते हैं. यह मुहिम रंग ला रही है. हालांकि पिछले चार साल में 36 सारस को बचाकर 36 किसानों को रुपए दे चुके हैं. भरतपुर निवासी कैलाश नवरंग, अनवर कुरैशी, मदन मोहन, लल्ला मुत्थु गहरे दोस्त हैं. कैलाश नवरंग ने बताया कि चारों दोस्त लंबे समय से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी कर रहे हैं. इस दौरान देखा गया कि भारतीय सारस पक्षी की प्रजाति धीरे धीरे विलुप्त हो रही है. सारस पक्षी भरतपुर व उत्तर प्रदेश के किसानों के गेंहू और चावल के खेतों में घोंसला बनाकर अंडे देकर बच्चों को जन्म देता है, लेकिन किसान अपनी फसल खराब होने के कारण इनके घोंसलों या फिर अंडों को दूसरे किसान के खेतों में रख देते हैं, इससे घोंसला और अंडा नष्ट हो जाता है. इस वजह से सारस पक्षियों का वंश आगे नहीं बढ़ पाता है. इसी को देखकर हमने फैसला किया कि सारस पक्षी जिस किसी भी किसान के खेत में घोंसला बनाता है, उस किसान को घोंसला नहीं हटाने के बदले में एक बोरी चावल या फिर गेहूं के रुपए दिए जाएंगे. आपके शहर से (भरतपुर) राजस्थान उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब भरतपुर जयपुर अजमेर उदयपुर कोटा अलवर चित्तौड़गढ़ चूरू जैसलमेर जोधपुर झालावाड़ झुंझुनूं टोंक डूंगरपुर दौसा धौलपुर नागौर पाली पुष्कर प्रतापगढ़ बांसवाड़ा बाड़मेर बारां बीकानेर भरतपुर भीलवाड़ा राजसमन्द‍ सवाई माधोपुर सीकर हनुमानगढ़ सिरोही बूंदी करौली जालोर श्रीगंगानगर CM Gehlot ने Rajasthan University में क्या किया बड़ा ऐलान | Hindi News | Rajasthan News Sardarshahar By-election2022: BJP प्रत्याशी Ashok Pincha किया अपना नामांकन | Latest Hindi News Rajasthan Congress Crisis: Ajay Maken ने Rajasthan के प्रभारी पद से दिया इस्तीफा |Latest Hindi News Sawai Madhopur News | फूल मोहम्मद हत्याकांड में कोर्ट का बड़ा फैसला, 89 आरोपियों में 30 को माना दोषी Best Desi Ghee: इस देसी घी की शुद्धता ऐसी कि हर दिन 200 टन भी पड़ जाता है कम Bhilwara News | जिला अस्पताल के कर्मचारियों पर बच्चों की अदला-बदली का आरोप, परिजनों ने किया हंगामा Barmer: जब कंटीली झाड़ियों वाले श्मशान में उतर आई 200 महिलाओं की फौज और फिर... Free auto service: काम की खबर...इस शहर में छात्रों को मिलती है फ्री ऑटो सर्विस, कहीं आप तो नहीं जा रहे? राजस्थान: डूंगरपुर में मिला विस्फोटक RECLफैक्ट्री से अजमेर भेजा गया था, जांच में हुआ बड़ा खुलासा 30 Minute Mein Rajasthan | फटाफट अंदाज में Rajasthan की बड़ी खबरें | Top Headlines | Rajasthan News राजस्थान उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब भरतपुर जयपुर अजमेर उदयपुर कोटा अलवर चित्तौड़गढ़ चूरू जैसलमेर जोधपुर झालावाड़ झुंझुनूं टोंक डूंगरपुर दौसा धौलपुर नागौर पाली पुष्कर प्रतापगढ़ बांसवाड़ा बाड़मेर बारां बीकानेर भरतपुर भीलवाड़ा राजसमन्द‍ सवाई माधोपुर सीकर हनुमानगढ़ सिरोही बूंदी करौली जालोर श्रीगंगानगर 36 सारस को बचाकर 36 किसानों को दिए रुपए कैलाश नवरंग ने बताया कि राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के फतेहपुर सीकरी क्षेत्र में सारस पक्षी द्वारा घोंसला बनाकर अंडे दिए जाते हैं. इनके घोंसलों से खेत में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक किसान को 2000 रुपए दिए जाते हैं. अब तक चार साल में 36 सारस को बचाने के साथ साथ 36 किसानों को रुपए दे चुके हैं. बता दें कि पहले भरतपुर स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सारसों की संख्या 100-150 के आस पास थी, लेकिन अब 6 ही रह गई है. जबकि उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या अधिक है. कैलाश नवरंग के मुताबिक, हम चारों दोस्‍तों ने स्वयं के रुपयों से मुहिम चला रखी है. इसमें किसी भी प्रकार की कोई संस्था या अन्य किसी से सहायता नहीं ले रहे हैं. जब तक हमारी जिंदगी रहेगी तब तक इन्हें बचाने का काम करते रहेंगे. इस प्रकार होती है बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया कैलाश नवरंग ने बताया कि सारस पहले किसान के खेत में गेहूं या फिर चावल के पौधों को उखाड़ कर करीब 2 फीट ऊंचा घोंसला बनाती है. उसके बाद एक अंडा देती है. अंडा देकर तीन चार दिन तक वहां का माहौल देखती है, जब उसे लगता है कि इस जगह उसे किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है, तो तीन चार और अंडे देती है. करीब 28 दिन बाद अंडे में से बच्चा बाहर निकलता है. एक सारस इन बच्चों की देखभाल करता है. जबकि दूसरा इनके खाने का इंतजाम. खतरा महसूस होने पर आवाज देकर दूसरे सारस को बुलाकर खतरे से निपटा जाता है. करीब 15 दिन बाद घोंसला छोड़कर अपने बच्चों को दूसरी जगह ले जाकर जीवन जीना सिखाते हैं. भरतपुर डीएफओ ने कही ये बात भरतपुर डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि इन चार दोस्तों के द्वारा सारस पक्षी को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो कि काबिलेतारीफ है. इन लोगों से एक मीटिंग करके बातचीत की जाएगी, ताकि सारस पक्षी को बचाने के लिए बेहतर इंतजाम कर सकें. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Bharatpur News, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : November 16, 2022, 16:18 IST