14 August 1947: ठिठक कर गांधी ने आहत नजरों से श्रीनगर में झंडे को लेकर विवाद
14 August 1947: ठिठक कर गांधी ने आहत नजरों से श्रीनगर में झंडे को लेकर विवाद
78th Independence Day: कोलकाता के बेलियाघाट में सुबह टहने के लिए निकले महात्मा गांधी जली हुई दुकानों और घरों को देखकर ठिठक जाते हैं. उधर पाकिस्तान में लॉर्ड माउंटबेटन के संबोधन के बाद करीब तीन मील लंबी रैली निकाली जाती है. श्रीनगर के पोस्ट ऑफिस में पाकिस्तान के झंडे को फहराने के लेकर विवाद होता है. 14 अगस्त 1947 को और क्या क्या हुआ, जानने के लिए पढ़ें आगे...
14 August 1947: आजादी अब भारत से सिर्फ एक दिन की दूरी पर खड़ी थी. आजादी से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त 1947 को महात्मा गांधी कोलकाता (तब का कलकत्ता) के बेलियाघाट इलाके में रुके हुए थे. यहां रुकने का उनका मकसद हिंदू और मुस्लिक के बीच जारी दंगों को खत्म करवाकर दोनों कौमों के बीच सौहार्द वापस लाना था. इन कोशिशों के बीच महात्मा गांधी कुछ कार्यकर्ताओं के साथ सुबह की सैर पर निकलते हैं. महात्मा गांधी कुछ कदम आगे बढ़े ही थे, तभी उनकी नजर हिंदुओं की जली हुई दुकानों और घरों पर जाकर टिक जाती है.
लेखक प्रशांत पोल ने अपनी पुस्तक ‘ये पंद्रह दिन’ में लिखा है कि इन जली हुई दुकानों और घरों को देखकर महात्मा गांधी कुछ पलों के ठिठक जाते हैं और उदास मन से उनकी तरफ निहारते रहते हैं. महात्मा गांधी के साथ चल रहे कार्यकर्ता उन्हें बताते हैं कि बीते दिनों हुए दंगों में मुस्लिम लीग के गुंडों ने हिंदुओं की इन दुकानों और मकानों को जला दिया है. कुछ पल वहां रुकने के बाद महात्मा गांधी फिर आगे बढ़ जाते हैं. हालांकि इस बीच, महात्मा गांधी को यह भी बताया जाता है कि आपके आह्वान के चलते बीते दिन कोलकाता से दंगों की एक भी खबर नहीं आई है. यह भी पढ़ें:- 12 AUG 1947: गांधी बोले- मूर्खता होगी 15/8 को… भारत में शामिल होगा लाहौर, J&K विलय पर महाराजा संग काक की चाल… कोलकाता स्थिति आश्रम में शांति सभा के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 15 अगस्त को … वहीं लाहौर को भारत में शामिल करने की खबरों ने दंगों को नरसंहार में बदल दिया. उधर, जम्मू और कश्मीर के प्रधानमंत्री काक ने महाराजा को भारत के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया था. 12 अगस्त 1947 को और क्या क्या हुआ, जानने के लिए क्लिक करें.
पाकिस्तान में माउंटबेटन का पहला भाषण
वहीं, सुबह करीब नौ बजे पाकिस्तान के असेंबली हॉल में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है. कुछ ही पलों में पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर अस्तित्व में आने वाला है. असेंबली हॉल में लॉर्ड माउंटबेटन अपनी नौसेना की वर्दी में मौजूद हैं. आज पहला भाषण उन्हीं का होने वाला है. कुछ ही मिनटों बाद जॉन क्रिस्टी भाषण की कॉपी माउंटबेटन की तरफ बढ़ा देते हैं. इसके बाद, माउंटबेटन एक एक शब्द पर जोर देते हुए भाषण को पढ़ना शुरू करते हैं… पाकिस्तान का उदय यह एक ऐतिहासिक घटना है. प्रत्येक इतिहास कभी किसी हिमखंड की तरह धीमी गति से, तो कभी पानी के जोरदार प्रवाह की तरह तेजी से आगे बढ़ता है. हमें केवल इतिहास के प्रवाह की अड़चनें दूर करते हुए इन घटनाओं के प्रवाह में स्वयं को झोंक देना चाहिए. अब हमें पीछे नहीं देखना है, हमें केवल आगे भविष्य की ओर देखना चाहिए.
अपना भाषण पूरा करने के बाद लॉड माउंटमेटन और मोहम्मद अली जिन्ना खुली छत वाली रॉल्स रॉयस कार में सवार होते हैं. अब उन्हें जुलूस में शामिल होने के लिए आगे बढ़ना था. यह जुलूस असेंबली हॉल से गवर्नर हाउस तक जाना था. गर्वनर हाउस यानी मोहम्मद अली जिन्ना वर्तमान निवास स्थान. करीब 3 मील की दूरी में दोनों तरफ जनता खड़ी थी. कार की पिछली सीट पर जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन बैठे हुए थे. इक्कीस तोपों की सलामी के बाद उनकी कार आगे बढ़ना शुरू कर देती है. जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन ने करीब तीन मील की यह दूरी लगभग पौने घंटे में पूरी की. यह भी पढ़ें: 11 AUG 1947: आरोपों पर बोले गांधी… जिन्ना के जाल में फंसी बीकानेर रियासत, माउंटबेटन ने हैदराबाद को दी मोहलत… कोलकाता स्थिति आश्रम में आयोजित प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी अपने ऊपर लगे एक आरोप का उत्तर दे रहे थे. वहीं दूसरी तरफ, काराची में मोहम्मद अली जिन्ना ने बीकानेर रियासत को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए चाल चल दी थी. 11 अगस्त 1947 को और क्या क्या हुआ, जानने के लिए क्लिक करें.
श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडे को लेकर हुआ विवाद
लेखक प्रशांत पोल के अनुसार, सुबह करीब 10 बजे श्रीनगर के शहर के मुख्य पोस्ट ऑफिस का एक अधिकारी पाकिस्तान के झंडे को दफ्तर की छत पर लगा रहा है. वहां खड़े कुछ लोगों ने जब इसका विरोध किया तो पोस्ट मास्टर अपना तर्क देते हुए बोला कि… “अभी श्रीनगर पोस्ट ऑफिस, सियालकोट सर्कल के अंतर्गत आता है और अब चूँकि सियालकोट पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका है, इसलिए इस पोस्ट ऑफिस पर हमने पाकिस्तान का झंडा लगा दिया.”
इसी बीच, प्रेमनाथ डोगरा नामक एक शख्स ने यह सूचना महाराजा हरि सिंह के कार्यालय में जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचा दी. जिसके बाद, उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को मुख्य पोस्ट ऑफिस की तरफ रवाना कर दिया. इन कार्यकर्ताओं ने उस पोस्ट मास्टर को समझाया, और अगले आधे घंटे में पाकिस्तान का झंडा उतार लिया गया.
Tags: 15 August, Independence dayFIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 15:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed