11/8/1947: गांधी पर आरोप जिन्ना के जाल में बीकानेर हैदराबाद को मिली मोहलत
11/8/1947: गांधी पर आरोप जिन्ना के जाल में बीकानेर हैदराबाद को मिली मोहलत
कोलकाता स्थिति आश्रम में आयोजित प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी अपने ऊपर लगे एक आरोप का उत्तर दे रहे थे. वहीं दूसरी तरफ, काराची में मोहम्मद अली जिन्ना ने बीकानेर रियासत को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए चाल चल दी थी. 11 अगस्त 1947 को और क्या क्या हुआ, जानने के लिए पढ़ें आगे...
अगस्त 11, 1947: आज की सुबह की शुरूआत महात्मा गांधी के कोलकाता (तब का कलकत्ता) स्थिति आश्रम से करते हैं. शहर के बाहर इलाके स्थिति महात्मा गांधी के इस आश्रम में होने वाली प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए आज अच्छी खासी भीड़ लगी थी. आज प्रार्थना सभा में महात्मा गांधी के संबोधन का विषय कुछ अलग था. सभा को संबोधित करते हुए वह बोले- आज मैं मेरे सामने उपस्थिति किए गए प्रश्नों के उत्तर देने वाला हूं.
प्रशांत पोल ने अपनी पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ में इस सभा का जिक्र करते हुए लिखा है कि महात्मा गांधी ने आगे कहा- मुझ पर आरोप यह है कि मेरी प्रार्थना सभाओं में महत्वपूर्ण और धनवान नेताओं को ही स्थान मिलता है. सामान्य व्यक्ति को अगली पंक्ति में स्थान नहीं मिलता है. चूंकि कल रविवार था, इसलिए भीड़ हो गई थी, संभवत: इसलिए ऐसा हुआ होगा. मैंने कार्यकर्ताओं से कह दिया है कि बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को अंदर आने दें. यह भी पढ़ें:- 10 AUG 1947: तिरंगे के साथ यूनियन जैक… नेहरू की हामी, एक हिंदू बना पाक असेंबली का अध्यक्ष, इन कारगुजारियों का मिला इनाम… लॉर्ड माउंटबेटन से मिले पत्र ने जवाहरलाल नेहरू के माथे पर सिकन ला दी थी. दरअसल, लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त के साथ-साथ 10 प्रमुख तरीखों पर भारतीय राष्ट्रध्वज के साथ यूनियन जैक (ब्रिटिश हुकूमत का झंडा) फहराने के लिए कहा था, जिसे नेहरू ने… विस्तृत खबर के लिए क्लिक करें.
जिन्ना को मिली पाकिस्तान संविधान सभा की कमान
उधर, कराची में सुबह के करीब 9:55 बजे होंगे. कायदे काजम मोहम्मद अली जिन्ना अपनी शाही बग्घी से असेंबली भवन पहुंचते हैं. असंबेली में आज पाकिस्तान संविधान सभा की पहली बैठक शुरू होती है. बैठक में गयासुद्दीन पठान, हमीदुल हक चौधरी, अब्दुल कासिम खान, लियाकत अली, ख्वाजा नझिमुद्दीन, एमके खुहरो और मौलाना शब्बीर अहमद उस्मानी के प्रस्ताव पर जिन्ना को संविधान सभा का अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है.
अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद अपने संबोधन में जिन्ना ने बोला कि इस कॉन्स्टीट्यूएंट असेंबली के दो प्रमुख मकसद हैं. पहला- पाकिस्तान का संविधान तैयार करना और दूसरा- संपूर्ण राष्ट्र के रूप में अपने पैरों पर खड़े होना. हमारा पहला मकसद कानून-व्यवस्था कायम करते हुए रिश्वतखोरी और कालाबाजारी को पूरी तरह से बंद करना है. पंजाब और बंगाल में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्होंने विभाजन स्वीकार नहीं किया है.
चूंकि यह फैसला अब हो चुका है, लिहाजा निर्णय हो ही चुका है, लिहाजा सामने वाला चाहे किसी भी धर्म का हों, पाकिस्तान में अपनी इबादतगाहों पर इबादत के लिए आजाद होंगे. कोई मंदिर जाए या फिर मस्जिद, किसी के ऊपर कोई बंधन नहीं होगा. पाकिस्तान में सभी धर्मों के लोग पूर्ण सद्भाव के साथ आपस में मिल-जुलकर रहेंगे. कोई भी किसी भी धर्म को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगा. यह भी पढ़ें: 9 AUG 1947: एक ‘हिंदू’ का गीत बना पाक का कौमी तराना, अखबार में छपा गांधी के हाथों लिखा इस्तीफा, तभी अमृतसर में… आजादी के पहले की 9 अगस्त को जिन्ना ने पाकिस्तान का कौमी तराना लिखने की जिम्मेदारी एक हिंदू को सौंपी. वहीं भारत में एक मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी से अपना इस्तीफा लिखवाया और उसे अखबारों में छपवा दिया. वहीं अमृतसर में मोहम्मद सईद की गिरफ्तारी के बाद नरसंहार शुरू हो गया. 9 अगस्त 1947 को और क्या-क्या हुआ, जानने के लिए क्लिक करें.
जिन्ना के जाल में फंसी बीकानेर सियासत
लॉर्ड माउंटबेटन आज जिन्ना के जाल में फंसी बीकानेर रियासत का फैसला करना चाहते थे. दरअसल, माउंटबेटन नहीं चाहते थे कि जिन्ना की चाल में फंसी छोटी-छोटी रियासतें भविष्य में उनके लिए कोई मुसीबत बने. उन्हें पता था जितने राज्य स्वतंत्र होंगे, मुसीबत उतनी बड़ी होगी. बीकानेर रियासत ने भी भोपाल के नवाब की बातों में आकर भारत में विलय करने से इंकार कर दिया था.
इसी सिलसिले में माउंटबेटन ने बीकानेर रियासत के डॉ. कुंवर सिंह और सरदार पणिक्कर को मिलने के लिए बुलाया था. लॉर्ड माउंटबेटन ने डॉ. कुंवर सिंह और सरदार पणिक्कर के साथ लंबी बैठक की और उनहें समझाया कि पाकिस्तान के साथ विलय करने पर उनका भविष्य कैसा होगा. पाकिस्तान से करीबी किस तरह उनके लिए अनिश्चितता और अशांति पैदाकर सकती है. इस मुलाकात के बाद लॉर्ड माउंटबेटन को भरोसा हो गया था कि अब बीकानेर रियासत का पाकिस्तान में विलय का अध्याय समाप्त हो गया है. यह भी पढ़ें:- 8 AUG 1947: गांधी के लिए क्यों बदले 8 अगस्त के मायने? जिन्ना की चाल पर कैसे भारी पड़े वेंकटाचारी, और धधक उठा कोलकाता… महात्मा गांधी के जीवन में 8 अगस्त की दो तारीखें बेहद अहम हैं, पर इन दोनों तारीखों के मायने उनके लिए बिल्कुल उलट गए थे. वहीं, जोधपुर रियासत को पाकिस्तान में शामिल करने की जिन्ना की साजिश पर वेंकटाचारी ने एक झटके पर पानी फेर दिया था. इस दिन कोलकाता से भी सांप्रदायिक नरसंहार की खबरें आने लगी थीं. भारत की स्वतंत्रता में क्या है 8 अगस्त की अहमियत, जानने के लिए क्लिक करें.
माउंटेबल ने हैदराबाद को दी मोहलत
बीकानेर की तरह हैदराबाद रियासत भी पाकिस्तान की तरफ जाने का मन बना रही थी. हैदराबाद रियासत के नवाब की मंशा अब तक लॉर्ड माउंटबेटन के समझ में आ चुकी थी. 11 अगस्त 1947 की दोपहर लॉर्ड माउंटबेटन ने हैदराबाद रियासत के नवाब के नाम एक पत्र लिखवाया और उन्हें भारत में शामिल होने संबंधी पेशकश पर विचार करने के लिए दो महीने का अतिरिक्त समय दे दिया.
Tags: 15 August, Independence dayFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 15:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed