क्या मंकीपॉक्स के मरीज के साथ रहने से फैल जाएगा संक्रमण जानिए क्या बताते हैं एक्सपर्ट
क्या मंकीपॉक्स के मरीज के साथ रहने से फैल जाएगा संक्रमण जानिए क्या बताते हैं एक्सपर्ट
पिछले 50 साल में सबसे ज्यादा भयानक रूप में सामने आए मंकीपॉक्स के 72 देशों में 15 हजार से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कोई ज्यादा देर तक मंकीपॉक्स मरीज के आसपास रहे, उसकी सांसों के करीब रहे तो उसे भी ये वायरस चपेट में ले सकता है. हालांकि ये कोरोना या इन्फ्लूएंजा वायरस जितना संक्रामक नहीं है.
नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बाद अब मंकीपॉक्स की बीमारी दुनिया में डर की नई वजह बन गया है. ये अब तक 72 देशों में फैल चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक चिंता की पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. दुनिया भर के देशों से अपने लोगों खासकर समलैंगिक समुदायों पर नजर रखने और उन्हें पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की अपील की है. ये बीमारी खासी तेजी से अपने पैर पसार रही है. लोगों में सवाल हैं कि क्या मंकीपॉक्स के मरीज के साथ रहने पर भी ये बीमारी उन्हें घेर सकती है? क्या इसका वायरस हवा में फैल सकता है? किन लोगों को इसकी चपेट में आने का सबसे ज्यादा खतरा है? आइए बताते हैं इन्हीं सवालों के जवाब.
जानवरों खासकर बंदरों से इंसानों में फैली मंकीपॉक्स बीमारी वैसे से 70 के दशक से जानकारी में हैं. इसका पहला केस 1970 में कांगो में मिला था. तब ये अफ्रीकी देशों तक सीमित रहा था. लेकिन अब मंकीपॉक्स के मरीज दुनिया के हर कोने में मिल रहे हैं. वैज्ञानिकों को इसके वायरस के नए तेवरों से हैरानी है. इसका ऐसा रूप पिछले 50 साल में नहीं देखा गया है. ये काफी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है. इसके केस इसी साल बढ़ने शुरू हुए थे, और देखते ही देखते 47 देशों में मई में इसके पुष्ट मरीजों की संख्या 3040 तक पहुंच गई. अब 20 जुलाई तक 72 देशों में इसके मरीजों की पुष्टि हो चुकी है और इसकी चपेट में आए लोगों की संख्या 15 हजार तक पहुंच गई है.
इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
मंकीपॉक्स की चपेट में आने का सबसे ज्यादा खतरा चार तरह के लोगों को होता है. ये हैं- पुरुष- मंकीपॉक्स के अब तक के ज्यादातर केस पुरुषों में ही देखे गए हैं. LGBTQ- ये बीमारी उन पुरुषों में ज्यादा फैल रही है, जो पुरुषों से यौन संबंध बनाते हैं. स्वास्थ्यकर्मी- मंकीपॉक्स मरीज के ज्यादा देर तक संपर्क में रहने वाले, उनकी देखभाल करने वाले और उनके घाव छूने वालों को ये बीमारी चपेट में ले लेती है कमजोर लोग- जिन लोगों के शरीर के प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिन्हें लंबे समय से बीमारियां हैं, उन्हें भी मंकीपॉक्स का वायरस जल्दी शिकार बना लेता है.
समलैंगिक पुरुषों में ज्यादा फैल रही बीमारी
डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस का कहना है कि मंकीपॉक्स का आउटब्रेक उन पुरुषों में ज्यादा हो रहा है, जो किसी पुरुष के साथ यौन संबंध बनाते हैं. इनमें भी खासकर उन पुरुषों में ये बीमारी ज्यादा फैल रही है, जिनके कई यौन पार्टनर होते हैं. मंकीपॉक्स के मरीज के करीबी संपर्क में रहने वाले और उसके घाव को छूने वाले लोगों को भी ये बीमारी हो सकती है.
कोरोना जितना संक्रामक नहीं, लेकिन…
मंकीपॉक्स का वायरस संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर से निकलने वाले द्रव, जख्मों से रिसने वाले पानी के संपर्क में आने से फैलता है. इंसानों से इंसानों में इस वायरस का फैलाव भी इसी तरह देखा गया है. इसके अलावा अगर कोई ज्यादा देर तक मरीज के आसपास रहे, उसकी सांसों के करीब रहे तो उसे भी ये वायरस अपनी चपेट में ले सकता है. हालांकि ये कोरोना या इन्फ्लूएंजा वायरस जितना संक्रामक नहीं है. अगर थोड़ी देर के लिए चेहरे के सामने चेहरा आए तो मंकीपॉक्स होने की आशंका कम ही होती है.
कोरोना ने कमजोर कर दी है इम्युनिटी
दिल्ली में लिवर के सबसे बड़े अस्पताल ILBS में वायरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. एकता गुप्ता बताती हैं कि इस वक्त मंकीपॉक्स वायरस के इतना फैलने की एक वजह ये भी हो सकती है कि कोरोना की वजह से इंसानों की इम्युनिटी कमजोर हो गई है. वायरस उन्हें ज्यादा घेर रहे हैं. संभवतः इसी वजह से मंकीपॉक्स का वायरस भी उनके इंसानों के लिए खतरनाक बन गया है.
अभी कम जानलेवा है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स ऐसा वायरल इन्फेक्शन है, जिस पर इंसानी शरीर आमतौर पर खुद ही काबू कर लेता है. इसके लक्षण 2 से 4 हफ्ते तक रहते हैं. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों का दर्द, पीठ में दर्द, कमजोरी महसूस होना और शरीर पर फफोले जैसे दाने उभर आना शामिल होता है. मंकीपॉक्स बीमारी की वजह से मौतों की संख्या भी फिलहाल ज्यादा नहीं है. 0 से 11 फीसदी तक मरीजों की मौत होने की बात कही जाती है. हालांकि अभी 5 लोगों की ही मौत की पुष्टि हुई है. इनमें 3 नाइजीरिया में और 2 सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के देश हैं, जहां ये वायरस पहले भी फैल चुका है.
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Tags: Corona, Influenza, Virus, WHOFIRST PUBLISHED : July 25, 2022, 12:03 IST