सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित नहीं होंगे अन्य प्रोजेक्ट बाॅयर्स को समय पर मिलेंगे फ्लैट्स- सुपरटेक

सुपरटेक की ओर से कहा गया है कि कंपनी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करती है और इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए ट्विन टाॅवर्स को गिराने के लिए उसने एक विश्व प्रसिद्ध डिमोलिशन कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को यह काम सौंपा है, जिनके पास ऊंची इमारतों को सुरक्षित रूप से गिराने में विशेषज्ञता है. साथ ही कंपनी ने यह भी कहा है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से सुपरटेक की अन्य चल रही परियोजनाएं प्रभावित नहीं होंगी और उनका काम जारी रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित नहीं होंगे अन्य प्रोजेक्ट बाॅयर्स को समय पर मिलेंगे फ्लैट्स- सुपरटेक
नई दिल्लीः नोएडा सेक्टर 93 ए स्थित एमराॅल्ड कोर्ट सोसाइटी में ट्विन टाॅवरों के ध्वस्तीकरण से पहले इसकी निर्माणकर्ता कंपनी सुपरटेक ने एक बयान जारी किया है. अपने बयान में सुपर टेक ने कहा है कि साल 2009 में नोएडा अथाॅरिटी को पूरा भुगतान करने और सभी तरह की मंजूरी हासिल करने के बाद ही इन टाॅवरों का निर्माण किया गया था. सुपरटेक के मुताबिक उसने भवन निर्माण से संबंधित राज्य सरकार के तत्कालीन सभी नियमों का पालन किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर इन टाॅवरों के निर्माण को संतोषजनक नहीं पाया और इन्हें गिराने का आदेश पारित किया. सुपरटेक की ओर से कहा गया है कि कंपनी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करती है और इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए ट्विन टाॅवर्स को गिराने के लिए उसने एक विश्व प्रसिद्ध डिमोलिशन कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को यह काम सौंपा है, जिनके पास ऊंची इमारतों को सुरक्षित रूप से गिराने में विशेषज्ञता है. साथ ही कंपनी ने यह भी कहा है कि  उच्चतम न्यायालय के आदेश से सुपरटेक की अन्य चल रही परियोजनाएं प्रभावित नहीं होंगी और उनका काम जारी रहेगा. कंपनी तय समयसीमा के अंदर निर्माण पूरा करने और अपने बाॅयर्स को फ्लैटों का आवंटन करने के लिए प्रतिबद्ध है. जानिए क्या है पूरा मामला और क्यों गिराए जा रहे ट्विन टाॅवर्स सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ, जिसमें 14 टाॅवरों का नक्शा पास हुआ. इसके बाद योजना में 3 बार संशोधन हुआ और बिल्डर को 2 नए टाॅवरों के निर्माण की मंजूरी दे दी गई. ये दोनों टाॅवर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और 2 मंजिला कमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए, जिन्हें आज ट्विन टाॅवर्स के नाम से जाना जाता है. ट्विन टॉवरों के निर्माण में कानून का जमकर उल्लंघन होने के आरोप साबित होने पर 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें 30 नवंबर, 2021 तक गिराने और खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे लौटाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच सांठगांठ की बात करते हुए जांच कराने को भी कहा था. इसके बाद यूपी सरकार ने एसआईटी का गठन कर 24 तत्कालीन अधिकारियों, बिल्डर प्रबंधन के 4 सदस्यों व 2 आर्किटेक्ट के खिलाफ जांच के आदेश दिए. इन सभी के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने एफआईआर दर्ज करवाई थी. इससे पहले 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी ट्विन टॉवर को गिराने का आदेश दिया था. सुपरटेक ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. शीर्ष अदालत ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Supertech Emerald Tower, Supertech twin tower, Supertech Twin Tower caseFIRST PUBLISHED : August 28, 2022, 13:26 IST