ग्राउंड रिपोर्ट: माता वैष्णो देवी सीट पर बारीदारों ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किल

Shri Mata Vaishno Devi:

ग्राउंड रिपोर्ट: माता वैष्णो देवी सीट पर बारीदारों ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किल
जम्मू/राहुल कपूर. श्री माता वैष्णो देवी लाखों-करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. त्रिकुटा पर्वत पर बसीं माता रानी के दर्शन करने वालों की भीड़ यहां हमेशा लगी रहती है. रियासी जिले के अंतर्गत आने वाली श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट इस बार सुर्खियों में है क्योंकि परिसीमन के बाद पहली बार श्री माता वैष्णो देवी को विधानसभा क्षेत्र बनाया गया. यह जानना भी बेहद जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर चुनाव के दूसरे चरण में 25 सितंबर को हुई वोटिंग में सबसे ज्यादा मतदान (80 प्रतिशत) यहीं किया गया. आइए जानते हैं श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट के बारे में, जहां कुल 56506 मतदाता हैं, जिनमें से पुरुष वोटरों की संख्या 29660 है, जबकि महिला वोटरों की तादाद 26846 है. माता वैष्णो देवी विधानसभा में एक बड़ा अहम योगदान बारीदार समाज का है जिनका वोट वोट लगभग 14000 से 15000 के करीब बताया जाता है. बताया जा रहा है कि भाजपा से बारीदार समाज की नाराजगी है, लेकिन ऐसा हुआ क्यों? चलिए जानते हैं… 1986 में जब श्राइन बोर्ड का गठन हुआ तो बारीदार समाज को वहां से जबरन बंदूक की नोक पर निकाल दिया गया था, जिसके बाद हर साल 30 अगस्त को बारीदार ‘काला दिवस’ मनाते हुए श्राइन बोर्ड के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करते है. हर सरकार ने बरीदारों से वादा किया उनको उनके हक दिए जाएंगे, लेकिन साल 2014 में उधमपुर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बारीदरों से यह वादा किया था कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सरकार बनेगी, तो बारीदारों को उनके हक दिए जाएंगे. बारीदारों ने बड़ी उम्मीद से भाजपा के उम्मीदवार को रातों-रात अपना समर्थन देकर जीता दिया, लेकिन उसके बाद भी बारीदारों के बारे में कोई बात नहीं की गई. कौन हैं बारीदार विश्व में प्रसिद्ध श्री माता वैष्णो देवी बारीदारों की कुलदेवी हैं. बारीदार शब्द ही बारी बारी, दर की सेवा से बना है. बारीदारों को बारीदार इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड नहीं बना था, उस समय यह समाज श्री माता वैष्णो देवी के मंदिर में पूजा के साथ-साथ श्रद्धालुओं की देखरेख किया करता था और वहां पर चढ़ने वाली चढ़ावे को अपने पास रख लिया करता था. यह लोग शिफ्ट वाइज यहां सेवाएं दिया करते थे. इसलिए इन्हें बारीदार कहा जाता है. 4 बिरादरी से बनता है बारीदार. क्या है बारीदारों की मांगें बारीदारों की मांगें साल 1986 से लेकर के अभी तक समय-समय पर बदलती आई हैं, लेकिन एक मांग उनकी आज तक रही है कि उन्हें माता वैष्णो देवी जी के मंदिर में पहले की तरह पूजा-अर्चना करने के हक दिए जाएं, जो की श्राइन बोर्ड नहीं देता. इसके अलावा वह कहते हैं कि श्राइन बोर्ड में उनके बच्चों को नौकरियां रिजर्वेशन कोटा के तौर पर मिलनी चाहिए, जहां श्राइन बोर्ड द्वारा नारायण हॉस्पिटल बनाया गया है वहां पर भी उन्हें मुफ्त इलाज के साथ-साथ नौकरियों की रिजर्वेशन मिलनी चाहिए तथा अन्य कोई फैसला जो श्राइन बोर्ड लेता है जैसे कि नया मार्ग हो ताराकोर्ट से हिमकोटी तक… इसके अलावा हवाई जहाज की सुविधा हो या फिर अब नया रोपवे जो श्राइन बोर्ड लगाने जा रहा है… बारीदार इन सब चीजों के खिलाफ हैं. इन चीजों के चलते वो श्राइन बोर्ड से नाराज रहते हैं और भाजपा सरकार को यह याद दिलाते हैं कि आपने 2014 में जो वादा किया था उस वादे का क्या हुआ. श्राइन बोर्ड एक के बाद एक कदम ऐसे उठा रहा है, जिससे हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ होता है. 2024 विधानसभा चुनाव में बारीदारों ने नहीं दिया भाजपा का साथ माता वैष्णो देवी विधानसभा में अधिकतर आबादी हिंदू वोटर की है. इसके बाद भाजपा को यह लगता है कि इस विधानसभा में उनकी जीत पक्की होगी, लेकिन दूसरी तरफ भाजपा से नाराज बारीदारों ने अपने उम्मीदवार श्याम सिंह (निर्दलीय) को चुनावी मैदान में उतार दिया. इसके साथ ही बारीदारों ने भाजपा का साथ इसलिए भी नहीं दिया क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले टिकट यहां के जिला प्रधान रोहित दुबे को दिया था, जिनकी छवि बारीदारों में काफी अच्छी दिखाई देती थी और बारीदार उनके साथ चलने को तैयार भी थे, लेकिन भाजपा ने रोहित दुबे का नाम 24 घंटे के अंदर लिस्ट से काटकर पूर्व विधायक बलदेव राज शर्मा को दे दिया और इसके बाद बारीदारों ने भाजपा से बिल्कुल किनारा कर दिया. बारीदारों का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस उम्मीदवार को टिकट दिया है वह हमेशा से ही श्राइन बोर्ड का साथ देते हैं और बारीदारों के खिलाफ चलते हैं जिसके चलते कुछ बारीदारों ने यहां के पूर्व में विधायक और मंत्री रहे जुगल किशोर को आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में लड़ने के लिए प्रेरित किया और उनका सीधा मुकाबला भाजपा के बलदेव राज से देखा जा सकता है. बारीदार समाज के अपने उम्मीदवार श्याम सिंह भाजपा का वोट तोड़ने का काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार जुगल किशोर की पकड़ इस विधानसभा में मजबूत दिखाई दे रही है. भाजपा इस विधानसभा में पीछे होने का सबसे बड़ा कारण रोहित दुबे का टिकट काटकर बलदेव राज शर्मा को देना. बलदेव राज शर्मा के पिछले कुछ समय में श्राइन बोर्ड के पक्ष में दिए गए बयानबाजी के चलते बारीदारों ने उनसे किनारा कर लिया. श्राइन बोर्ड का यहां रोपवे लगाने का प्रपोजल लाना तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कटरा में हुई रैली में इस बार बारीदारों को कोई खास आश्वासन न मिलना… यहां दिखा रहा है कि बारीदारों की वजह से बीजेपी की जीत मुश्किल नजर आ रही है. Tags: Jammu kashmirFIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 16:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed