सड़कें बनेंगी लोहालाट ना टूटेंगी न बरसात में खराब होंगी खर्च भी आएगा कम

डा. वीके सारस्‍वत ने बताया कि बिटुमिन की सड़कें गर्मी ज्‍यादा पड़ने पर या बारिश में खराब हो जाती हैं. सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्‍टीट्यूट ने पिछले दिनों सड़क निर्माण में स्‍टील स्‍लैग का इस्‍तेमाल का सफल प्रयोग किया है.

सड़कें बनेंगी लोहालाट ना टूटेंगी न बरसात में खराब होंगी खर्च भी आएगा कम
नई दिल्‍ली. बारिश में सड़कें खराब नहीं होंगी और भीषण गर्मी में भी इसमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस सड़क का फायदा पहाड़ों समेत उन इलाकों में ज्‍यादा होगा, जहां बारिश अधिक होती है. सबसे फायदे की बात यह होगी कि इसकी लागत भी कम आएगी. नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया भी अपनी रोड निर्माण में स्‍टील स्‍लैग का इस्‍तेमाल करेगा. यह जानकारी नीति आयोग के सदस्‍य डा. वीके सारस्‍वत ने न्‍यूज18 हिन्‍दी को दी. डा. वीके सारस्‍वत ने बताया कि बिटमिन की सड़कें गर्मी ज्‍यादा पड़ने पर या बारिश में खराब हो जाती हैं. सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्‍टीट्यूट ने पिछले दिनों सड़क निर्माण में स्‍टील स्‍लैग का इस्‍तेमाल किया,जो काफी सफल रहा है. इसके बाद नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को इस तकनीक के इस्‍तेमाल के लिए प्रस्‍ताव भेजा गया था. एनएचएआई ने इसे स्‍वीकार कर लिया है. अब देश में इस तकनीक से सड़कों का निर्माण होगा. यहां हुआ है इस तकनीक का इस्‍तेमाल देश की पहली स्‍टील स्‍लैग रोड सूरत के हजीरा में बनाई गयी है. यहां पर प्रोसेस्‍ड स्‍टील स्‍लैग एएमएनएस के हजीरा प्‍लांट से लेकर उपयोग किया गया था. प्रोसेस्‍ड स्‍टील स्‍लैग रोड की गुणवत्‍ता पत्‍थर की गिट्टी से निर्मित सामान्‍य सड़क की तुलना में काफी अच्‍छी है. ये होंगे बड़े फायदे . इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है. थिकनेस कम होने से कीमत कम है. इस तरह के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है. . देश में स्‍टील इंडस्‍ट्री से सालाना 20 मिलियन टन स्‍टील स्‍लैग निकलता है. 2030 तक देश मे 300 मिलियन टन स्‍टील उत्‍पादन का लक्ष्‍य रखा गया है. इस तरह सालाना 45 मिलियन टन स्‍टील स्‍लैग निकलेगा, सड़क निर्माण में इस्‍तेमाल कर इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है. . स्‍टील स्‍लैग की रोड सामान्‍य रोड के मुकाबले अधिक मजबूत होती हैं. सूरत में इस रोड से रोजाना 18 से 20 टन वजनी 1000 से 1200 वाहन रोज गुजर रहे हैं, पर रोड की क्‍वालिटी पर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ा है. . इस तरह की रोड का निर्माण कर प्राकृतिक संसाधान को बचाया जा सकता है. सामान्‍य रोड के निर्माण में पत्‍थर का इस्‍तेमाल होता है, इसके लिए खनन करना होता है. लेकिन स्‍टील स्‍लैग के इस्‍तेमाल से पत्‍थरों की जरूरत नहीं पड़ेगी. Tags: Niti Aayog, Road and Transport Ministry, Road brokenFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 18:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed