300 साल पुराना है यह शिव मंदिर दिव्य ज्योति के साथ हुई शिवलिंग की उत्पत्ति

गौर ब्लॉक के बैदोलिया ग्राम पंचायत में स्थित बाबा भारीनाथ का मंदिर करीब 300 सौ वर्ष पुराना माना जाता है. हालांकि इसका कोई पुरातात्विक प्रमाण तो नहीं है, लेकिन यहां के लोगों का इस मंदिर के प्रति अटूट विश्वास है. मान्यता है कि एक दिव्य ज्योति के साथ यहां पर भगवान शिव की उत्पत्ति हुई थी.

300 साल पुराना है यह शिव मंदिर दिव्य ज्योति के साथ हुई शिवलिंग की उत्पत्ति
बस्ती: जनपद मुख्यालय से पश्चिम करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बैदोलिया में बाबा भारी नाथ शिव मंदिर स्थित है. यह मन्दिर अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय है. बुजुर्ग बताते हैं कि मंदिर स्थल पर महुआ का पेड़ था. पूरा इलाका जंगल था. सैकड़ों वर्ष पूर्व चरवाहे ने महुआ के पेड़ में शिवलिंग देखा. जब खुदाई होने लगी, तब जैसे-जैसे नीचे खोदते गए तो शिवलिंग का आकार बढ़ता गया. गहराई तक खुदाई के बाद भी नीचे शिवलिंग से लगे अरघा का आकर बढ़ने के साथ शिवलिंग श्वेत रंग का होता गया.मान्यता है कि एक दिव्य ज्योति के साथ यहां पर भगवान शिव की उत्पत्ति हुई थी. इसकी जानकारी बगल के ही पंडित को हुई, तो उन्होंने बताया कि यह शिवलिंग है. तभी से पूजा अर्चना शुरू हो गई. लोगों ने मन्नतें पूरी होती गई और मंदिर का निर्माण हो गया. मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी हर मुराद को भोलेनाथ पूरा करते हैं. यहां से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा है.  इस मंदिर में सावन के महीने में दूर-दूर से आकर शिवभक्त जलाभिषेक व रुद्राभिषेक कर पुण्यलाभ अर्जित करते हैं. यही नहीं मंदिर परिसर में हर सोमवार व्यापक स्तर पर मेला भी लगता है. क्या है मंदिर का इतिहास गौर ब्लॉक के बैदोलिया ग्राम पंचायत में स्थित बाबा भारीनाथ का मंदिर करीब 300 सौ वर्ष पुराना माना जाता है. हालांकि इसका कोई पुरातात्विक प्रमाण तो नहीं है, लेकिन यहां के लोगों का इस मंदिर के प्रति अटूट विश्वास है. मान्यता है कि एक दिव्य ज्योति के साथ यहां पर भगवान शिव की उत्पत्ति हुई थी. बताते हैं कि बाबा भारीनाथ मंदिर से आज तक कोई निराश नहीं लौटा है. बाबा भारीनाथ के दरबार मे आने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. क्या बताते हैं लोग मंदिर के महंत अजय पांडेय बताते हैं कि जब मंदिर का निर्माण कार्य हो रहा था, तब जैसे-जैसे चारों तरफ नींव बनती वैसे ही शिवलिंग ऊपर की तरफ बढ़ने लगता. यह लगभग तीन से चार दिनों तक चलता रहा. अंत में थक हार कर मिस्त्री ने नींव बांध दिया. एक मान्यता और प्रचलित है कि मंदिर निर्माण के समय सांपों का आना-जाना लगा रहता था, जो मंदिर की रखवाली भी करते थे. एक दूसरी मान्यता यह है कि एक गोसाई ने बाबा की परीक्षा लेने के लिए रात को मंदिर से घंटा चुरा लिया, लेकिन वह मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकल पाए और अंधे हो गए थे. सुबह होने पर कुछ लोग उनको देखते हैं बाबा भारी नाथ से बहुत मिन्नतें करने के बाद उनकी रोशनी लौटी, फिर वह बाबा के भक्त बन गए. बाबा भारीनाथ मंदिर के पास ही इटहिया गांव है. यहां रहने वाले देवतादीन स्वर्णकार के कोई संतान नहीं थी. उनके पास धन-संपदा की कोई कमी नहीं थी. संतान न होने से वह काफी दुखी रहा करते थे. एक रात की बात है उन्हें सपने में बाबा भारीनाथ का मंदिर निर्माण करने की प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया. यह मंदिर वर्ष 1966 में बनकर तैयार हुआ. बाबा भारीनाथ शिवमंदिर में हरदी बाबू गांव के मूसे और राम अजोर गोस्वामी के वंशज काफी समय से पूजा अर्चना और देखभाल करते आ रहे हैं. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 14:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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