सुपरटेक ट्विन टावर: 15 एकड़ में समेट दिया 12 एकड़ वाला प्रोजेक्ट जानें फर्जीवाड़ा
सुपरटेक ट्विन टावर: 15 एकड़ में समेट दिया 12 एकड़ वाला प्रोजेक्ट जानें फर्जीवाड़ा
व्यापारियों के संगठन कैट (CAIT) ने मांग करते हुए कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने 12 अप्रैल, 2014 को निर्देश दिया कि नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के जिन अधिकारियों ने निर्माण की स्वीकृति दी है, उनकी पहचान कर उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास क्षेत्र अधिनियम 1976 के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया जाए. यूपी अपार्टमेंट अधिनियम, 2010 के अंतर्गत भी उनके खिलाफ कार्रवाई हो.
नोएडा. सुपरटेक बिल्डर (Supertech Builder) का एमराल्ड कोर्ट एक बड़ा प्रोजेक्ट था. बिल्डर ने 13.5 एकड़ में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. साल 2009 में बिल्डर ने प्रोजेक्ट को पूरा कर करीब 900 फ्लैट तैयार किए थे. प्रोजेक्ट लांच करने और फ्लैट बेचते वक्त कुल जमीन के 10 फीसद हिस्से को ग्रीन जोन (Green Zone) दिखाया था. कहीं पार्क तो कहीं दूसरे रूप में ग्रीन जोन तैयार करना था. लेकिन 2011 में बिल्डर (Builder) की तरफ से ग्रीन जोन में भी दो टावर तैयार कर फ्लैट बनाने की चर्चा होने लगी. यानि जो प्रोजेक्ट बिल्डर 12 एकड़ में तैयार कर चुका था, अब उसी जैसा या उससे थोड़ा सा छोटा प्रोजेक्ट 1.5 एकड़ में बनाने की तैयारी होने लगी. इसमे 900 के बजाए 800 फ्लैट का प्लान तैयार किया गया. टावर का काम शुरू होते ही 40 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये में फ्लैट की बुकिंग (Flat Booking) भी होने लगी.
ट्विन टावर की 19 मंजिल सिर्फ 1.6 साल में बन गई
जानकारों की मानें तो साल 2011 में ट्विन टावर का काम शुरू हुआ था. और 2012 तक बिल्डर ने 13 मंजिल बनाकर तैयार कर दी थी. इसी दौरान आसपास रहने वाले सोसाइटी के लोग इलाहबाद हाईकोर्ट चले गए. 2014 में कोर्ट ने टावर को अवैध मानते हुए गिराने के आदेश जारी कर दिए. लेकिन कोर्ट की प्रक्रिया के दौरान बिल्डर ने चालाकी दिखाते हुए फटाफट टावर की 19 मंजिल और तैयार कर दी.
यह सारा काम सिर्फ 1.6 साल जैसे छोटे वक्त में हुआ. बिल्डर को लगा कि टावर की इतनी ऊंचाई की लागत देखकर कोर्ट शायद कोई बड़े नुकसान का आदेश न दे. लेकिन कोर्ट ने नियम और प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए टावार को गिराने के आदेश दिए. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को जारी रखा.
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2004 में नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डर को दिया था प्लाट
नोएडा अथॉरिटी की योजना के मुताबिक 23 नवंबर 2004 अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित ग्रुप हाउसिंग के लिए प्लॉट नंबर-4 सुपरटेक को आवंटित किया था. 29 दिसंबर 2006 अथॉरिटी ने बिल्डिंग प्लान में संशोधन करते हुए बिल्डर को दो मंजिल अतिरिक्त बनाने की इजाजत दे दी. 26 नवंबर 2009 को अथॉरिटी ने फिर से परियोजना में बदलाव करते हुए 15 की जगह 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया. 2 मार्च 2012 अथॉरिटी ने टावर नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया. इस तरह से जहां 17 टावर बनने थे वहां दोनों टावर को 40-40 मंजिल तक ले जाने की मंजूरी मिल गई.
24 अप्रैल 2012 एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. और इस तरह से मामले की कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई. करीब दो साल तक कोर्ट में मामला चलने के बाद अप्रैल 2014 हाईकोर्ट ने ट्विन टावरों को अवैध घोषित करते हुए गिराने के आदेश जारी कर दिए. इस फैसले के खिलाफ बिल्डर कोर्ट पहुंच गया और 5 मई 2014 को सुप्रीम कोर्ट में ट्विन टावर मामले की पहली सुनवाई हुई. 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने भी ट्विन टावरों को गिराने का आदेश जारी कर दिया.
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Tags: Allahbad high court, Noida Authority, Supertech twin tower, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 29, 2022, 07:34 IST