Twin Tower: सुपरटेक को घुटनों पर लाने में रेजिडेंट UBS तेवतिया को लगे 12 साल पढ़ें इनसे खास बातचीत
Twin Tower: सुपरटेक को घुटनों पर लाने में रेजिडेंट UBS तेवतिया को लगे 12 साल पढ़ें इनसे खास बातचीत
Super Tech Twin Tower: न्यूज18 हिंदी ने सुपरटेक के खिलाफ करीब 12 साल तक लड़ाई लड़ने वाली इस सीनियर सिटिजन की टीम का नेतृत्व करने वाले यूबीएस तेवतिया से खास बातचीत की है. तेवतिया ने इस अवधि के दौरान झेली गईं परेशानियों से लेकर इतने बड़े बिल्डर की मनमानी, थानों के चक्कर, सोसायटी के नजदीक लगातार और दिन रात होते कंस्ट्रक्शन, उड़ती धूल-मिट्टी और दिन रात का चैन खपा देने वाली मेहनत को लेकर विस्तार से बताया है.
नई दिल्ली. नोएडा में अवैध रूप से बनाई गईं सुपरटेक की ट्विन टावर को 28 अगस्त को गिराया जा रहा है. देश में पहली बार इतनी ऊंची, 30 और 32 मंजिला दोनों इमारतों को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले को पहुंचने और सुपरटेक के खिलाफ वहां जीत हासिल करने में एक दशक से ज्यादा का समय लगा है. वहीं जिन लोगों ने बिल्डर के खिलाफ इस लड़ाई को इतने लंबे समय तक लड़ा है, उनके बारे में जानना बेहद दिलचस्प और जरूरी है. सुपरटेक के अवैध निर्माण को चुनौती देने वाली एमेराल्ड कोर्ट सोसायटी में रहने वाली बुजुर्गों की एक टीम है. जिसने ऐसा कर दिखाया है कि उसके लिए आसपास की सोसायटीज के लोग और प्रशासन सभी इनकी तारीफ कर रहे हैं.
न्यूज18 हिंदी ने सुपरटेक के खिलाफ करीब 12 साल तक लड़ाई लड़ने वाली इस सीनियर सिटिजन की टीम का नेतृत्व करने वाले यूबीएस तेवतिया से खास बातचीत की है. तेवतिया ने इस अवधि के दौरान झेली गईं परेशानियों से लेकर इतने बड़े बिल्डर की मनमानी, थानों के चक्कर, सोसायटी के नजदीक लगातार और दिन रात होते कंस्ट्रक्शन, उड़ती धूल-मिट्टी और दिन रात का चैन खपा देने वाली मेहनत को लेकर विस्तार से बताया है.
सवाल. ट्विन टावर अब ढहने ही वाली हैं, कैसा महसूस हो रहा है?
जवाब. हां 28 अगस्त को ये टावरें ढहा दी जाएंगी. अब यहां आसपास की 15 टावरों में रहने वाले लोग खुलकर सांस ले सकेंगे. इन्हें धूप मिल सकेगी.
सवाल. आपको लगता है कि ध्वस्तीकरण के बाद अब सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी.
जवाब. नहीं ऐसा नहीं है. अलबत्ता अब एक बार फिर यहां अन्य टावरों में रहने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ने वाली हैं. ट्विन टावरों के गिरने के बाद महीनों तक यहां रहने वाले लोगों का जीवन मुश्किल होने वाला है. प्रदूषण, धूल, मिट्टी से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी पैदा होने वाली हैं. हालांकि राहत है कि जो परेशानी जीवन भर रहने वाली थी, वह अब महज कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी.
सवाल. इन टावरों को ढहाने के लिए आपने बहुत पसीना बहाया है?
जवाब. हां. ये हमने एक लंबी लड़ाई लड़ी है. इतनी लंबी और मुश्किल भरी कि रिटायरमेंट के बाद जब लोग आराम की जिंदगी जीने के लिए सोचते हैं, उस उम्र में सोसायटी के हम बुजुर्ग लोग कोर्ट, कचहरी, थाने, अथॉरिटी और बिल्डर के चक्कर काट रहे थे. हर पल यही लगता था कि जहां हमने उम्र के बाकी साल तसल्ली से गुजारने के लिए घर लिया है, वहां दो अवैध टावर हमारे सिर पर खड़ी की जा रही हैं, इन्हें कैसे रोका जाए, क्या किया जाए. ये बन जाएंगी तो कैसे रह पाएंगे.
सवाल. आपने ट्विन टावर को लेकर कैसे पहल की, संघर्ष की पूरी दास्तां बताएं.
जवाब. मैं सीआईएसएफ में डीआईजी के पद से रिटायर्ड हूं. रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए मैंने और मेरे जैसे अन्य लोगों ने नोएडा की इस पॉश सोसायटी एटीएस ग्रीन्स विलेज में अपार्टमेंट लिया. 2006 की योजना के अनुसार यहां 15 टावर बननी थीं. 2010 में आए तो मुझे एमेराल्ड कोर्ट में फ्लैट मिला. यहां सभी लक्जरी फ्लैट हैं लेकिन प्लान से अलग जहां एक चिल्ड्रन पार्क बनना और कुछ कॉमर्शियल प्लेस था, वहां अचानक निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया. इस बारे में पूछा गया तो बताया कि वहां ट्विन टावर बनाई जा रही हैं लेकिन ये सेपरेट प्रोजेक्ट है. ये झूठ बोल रहे थे. तब 2011 में हमने पहल की. हम पुलिस के पास गए. नोएडा अथॉरिटी के पास गए. सुपरटेक से कहा लेकिन आखिर में फिर हम दिसंबर 2012-14 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट गए और फिर सुप्रीम कोर्ट गए. इस दौरान बहुत परेशानियां हुईं. दिन रात का चैन चला गया. ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन हम लोग कोर्ट की तारीख करने जाते थे.
सवाल. आखिर क्यों तोड़ी गई हैं ट्विन टावर, क्या थीं कमियां
जवाब. हां. सुपरटेक ने कहा ये दो सेपरेट प्रोजेक्ट हैं. जबकि ट्विन टावर भी इसी 15 टावर वाले प्लॉट में बनाए जा रहे थे. इन्होंने झूठ बोला था. दूसरी बात थी कि अगर ये कोई टावर बना रहे थे तो बिना लेआउट के बदलाव करने के लिए रेजिडेंट्स से अनुमति ली जाती है लेकिन हम लोगों से पूछा ही नहीं गया. तीसरी सबसे बड़ी कमी थी कि दो टावरों के बीच में 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए. ताकि सभी फ्लैटों को हवा और धूप मिल सके साथ ही आग लगने पर दूसरी टावर चपेट में न आए. जबकि इन्होंने अन्य टावरों से ट्विन टावर के बीच में 9 मीटर की दूरी रखी जो रेजिडेंट्स के साथ खिलबाड़ है. इसके अलावा जहां बच्चों का पार्क और कॉमर्शियल प्लेस था वहां टावर बनाए गए. इस तरह सभी चीजों को देखने बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया. इन्होंने दो अतिरिक्त टावर खड़ी करके इस जगह में फ्लैटों की संख्या भी बढ़ाकर 1 हजार कर दी जबकि साढ़े 6 सौ बनने थे.
सवाल. कौन-कौन लोग इस लड़ाई में आपके साथ रहे?
जवाब. सुपरटेक के खिलाफ इस जंग में मेरे साथ मेरे अन्य साथी कदम से कदम मिलाकर रहे. हम सभी सीनियर सिटिजन एस के शर्मा, रवि बजाज और दिवंगत एम के जैन इस लड़ाई में साथ रहे. अभी जीत हो चुकी है लेकिन सभी यहां सोसायटी में साथ नहीं हैं. दो लोग बाहर हैं जबकि एम के जैन कोरोना काल में छोड़कर चले गए.
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Tags: Supertech twin towerFIRST PUBLISHED : August 25, 2022, 14:56 IST