कुमार विश्वास पहुंचे रमणरेती लोट लगाने पर गिरा फोन बोले-भगवान से सीधा संबंध

Kumar Vishwas in Mathura: गोकुल महावन के मध्य रमणरेती आश्रम पहुंचे विश्व विख्यात कवि कुमार विश्वास के द्वारा पीठाधीश्वर कार्ष्णि गुरु शरणा नन्द महाराज से साष्टांग दंडवत कर आशीर्वाद लिया. वहीं महाराज जी के समीप ही बैठकर उन्होंने ठाकुर जी की लीलाओं पर कविता सुनाई और मौजूद श्रद्धालु एवं साधु संतों को प्रफुल्लित कर दिया. उनके द्वारा भगवान श्री कृष्ण पर बनाए गए कविता सुनाई.

कुमार विश्वास पहुंचे रमणरेती लोट लगाने पर गिरा फोन बोले-भगवान से सीधा संबंध
गाजियाबाद: अगर आप पेड़-पौधों के प्रति समर्पण और उनसे जुड़ी संवेदनाओं की मिसाल देखना चाहते हैं, तो गाजियाबाद के ‘ग्रीन मैन’ विजय पाल बघेल से मिलना चाहिए. एक ऐसा समय जब पेड़ों की संख्या लगातार घट रही है, विजय पाल पिछले 40 वर्षों से प्रतिदिन एक नया पेड़ लगाते आ रहे हैं. इसके अलावा वे अब तक लगभग 10 लाख पेड़ों को कटने से भी बचा चुके हैं. एक आम व्यक्ति से ग्रीन मैन ऑफ़ इंडिया बनने की कहानी विजय पाल बघेल का जन्म गाजियाबाद के चंद्रगढ़ी गांव में हुआ. बचपन में उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी. एक दिन वे अपने दादा के साथ हाथरस जा रहे थे, तभी उनकी नज़र कुछ लोगों पर पड़ी, जो एक गूलर के पेड़ को काट रहे थे. पेड़ से निकलते दूध जैसे पदार्थ को देखकर विजय पाल ने अपने दादा से पूछा कि यह क्या हो रहा है. दादा ने जवाब दिया कि पेड़ को काटा जा रहा है और वह दर्द में है, इसलिए ‘रो’ रहा है. इस जवाब ने विजय पाल के मन में गहरी छाप छोड़ी. वे दौड़कर उस पेड़ से लिपट गए और काटने वालों से उसे न काटने की गुहार की. मेरा वृक्ष योजना की शुरुआत की इस घटना के बाद विजय पाल ने ठान लिया कि वे पेड़ों की रक्षा के लिए अपनी जिंदगी समर्पित करेंगे. 1976 में उन्होंने पेड़ लगाने और उनकी सुरक्षा का अभियान शुरू किया, जो 1993 में एक व्यापक आंदोलन का रूप ले चुका था. विजय पाल ने ‘पर्यावरण सचेतक समिति’ का गठन किया और ‘मेरा वृक्ष’ योजना की शुरुआत की. इसके तहत उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया. बड़े पैमाने पर जन आंदोलन विजय पाल के प्रयास यहीं नहीं रुके. उन्होंने ‘ऑपरेशन ग्रीन’, ‘ग्लोबल ग्रीन मिशन’, ‘मेरा पेड़ मेरी शान’, ‘मिशन सवा सौ करोड़’, और ‘पेड़ लगाएं, सेल्फी भेजें’ जैसे कई आंदोलनों की शुरुआत की. इनके अलावा, वे ‘ग्लोबल ग्रीन पीस’ मिशन के तहत देश भर में वृक्षारोपण और संरक्षण के कार्य को बढ़ावा दे रहे हैं. गुल्लक स्कीम’ की लोकप्रियता विजय पाल की ‘गुल्लक स्कीम’ भी हरियाली बचाने के उनके प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके अंतर्गत वे लोगों को फलों के बीजों को संरक्षित करने और उन्हें पक्षियों का आहार बनाने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि प्रकृति के चक्र को बनाए रखा जा सके. उनका मानना है कि पक्षियों द्वारा फैलाए गए बीजों से कई पौधों का जन्म होता है. सम्मान और भविष्य की योजनायें  विजय पाल बघेल को उनके इस अनुकरणीय कार्य के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें ‘हरित ऋषि’, ‘जेपी अवार्ड’, ‘ग्रीन मैन’ और ‘हिमालय भूषण’ शामिल हैं. यहां तक कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी उन्हें सम्मानित किया. कहा जाता है कि कलाम साहब ने उनके जुनून को देखकर उन्हें हरे रंग में खुद को रंगने की बात कही थी, और यही वजह है कि विजय पाल अधिकतर हरे रंग के कपड़े पहनते हैं. विजय पाल बघेल पेड़ों के लिए जीवित प्राणी का वैधानिक दर्जा, राष्ट्रीय वृक्ष नीति और राष्ट्रीय ध्वज की तरह राष्ट्रीय वृक्ष (बरगद) को सम्मान मिलने जैसी चीज़ों की वकालत करते हैं. उनकी इन आकांक्षाओं से स्पष्ट है कि समाज को उनके जैसे और लोगों की ज़रूरत है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हों. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 15:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed