मध्य प्रदेश: खरगोन का ‘सफेद सोने’ का कारोबार पहुंचा बर्बादी के कगार पर जानें क्या बिगड़ी है बात
मध्य प्रदेश: खरगोन का ‘सफेद सोने’ का कारोबार पहुंचा बर्बादी के कगार पर जानें क्या बिगड़ी है बात
Khargone News: कभी ‘सफेद सोने’ के लिए विख्यात खरगोन और निमाड़ अंचल आज अनदेखी और लापरवाही के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने के मजबूर है. हालात यह हैं कि राज्य सरकार की गलत उद्योग नीतियों के चलते कपास फैक्ट्रियां बंद हो गईं हैं. तालाबंद इन जिनिंग फैक्ट्रीयो में पहले अलग ही रौनक रहती थी, लेकिन पिछले 15 वर्षो में खरगोन सहित निमाड़ अंचल में जिनिंग फैक्ट्री अंतिम सांस ले रही हैं.
हाइलाइट्सकपास फैक्ट्रियों के कई हुनरमंद मजदूर चिप्स के ठेले लगाने और सब्जी बेचने को मजबूरमध्यप्रदेश में बिजली साढ़े नौ रूपये प्रति यूनिट और महाराष्ट्र में मात्र साढ़े चार रूपये प्रति यूनिट
खरगोन. कपास उद्योग खरगोन (Cotton Industry Khargone) सहित निमाड़ अंचल को छोड़कर महाराष्ट्र, गुजरात (Maharashtra and Gujrat) और राजस्थान में शिफ्ट हो रहे हैं. कपास की जिनिंग फैक्ट्रियों के पलायन का मुख्य कारण है मंडी टैक्स (Mandi tax) हित उद्योगपतियो को मिलने वाली सुविधा है. मध्यप्रदेश (Madhay Pradesh) में मंडी टैक्स एक रूपये 70 पैसे है, लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात में मात्र 50 पैसे टैक्स है. अन्य सुविधाएं भी मध्यप्रदेश की अपेक्षा अन्य राज्यों बेहतर हैं. यही वजह है कि कई जिनिंग फैक्ट्री के हुनरमंद मजदूर पेट की आग बुझाने के लिये सड़क किनारे केले की चिप्स बेचने, कोई सब्जी बेचने या अन्य स्थानों पर मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं.
कपास उद्योगों के लगातार महाराष्ट्र गुजरात और अन्य राज्यो में पलायन करने को लेकर मध्याचंल काटन एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष मंजीत सिह चावला का कहना है की मंडी टैक्स ज्यादा और सरकार की उदासीनता के कारण कपास उद्योगों का पलायन हो रहा है. खरगोन सहित निमाड़ अंचल से 50 प्रतिशत सफेद सोना के उद्योगों का पलायन हो चुका है. मंडी टैक्स ज्यादा होने से करीब 150 फैक्ट्री पलायन कर गई हैं.
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महाराष्ट्र में आधे दाम पर ही मिल रही है बिजली
दीपावली पर सफेद सोने के नगद भुगतान से कभी बहुत रौनक होती थी. काटन व्यापारियों का मानना है की खरगोन सहित पश्चिम निमाड़ के चारों जिलो में कपास का उत्पादन नहीं बढ़ने से जिनिंग फैक्ट्रियों का पलायन हुआ है. मध्यप्रदेश में काटन और कृषि उद्योग को बिजली साढे नौ रूपये प्रति यूनिट मिल रही है, जबकि महाराष्ट्र में सब्सिडी सहित मात्र साढ़े चार रूपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है.
हुनरमंद मजदूर ठेले लगाने को हो रहे मजबूर
कभी खरगोन सहित पश्चिम निमाड़ की पहचान यहां स्थापित काटन की जिनिंग फैक्ट्रीयों से थी. लेकिन कपास उद्योग के पलायन से मजदूरों का बुरा हाल है. बंद जिनिंग फैक्ट्रियों के हुनरमंद मजदूर राधाबाई और कल्लू खान बताते हैं कि कई मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात या राजस्थान पलायन कर गए. जो नहीं जा पाए वो सड़क किनारे केले की चिप्स, सब्जी या अन्य मजदूरी कर पेट की आग बुझाने को मजबूर हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2022, 15:41 IST