सैनिकों के बीच दीवाली मना कर मूल सनातन परंपरा का ही निर्वाह करते हैं पीएम मोदी

PM Narendra Modi: PM नरेंद्र मोदी ने इस बार कच्छ में भारतीय सुरक्षा बल के जवानों के साथ मनाई. पिछले साल वे हिमाचल प्रदेश के लेप्चा गए थे. मोदी हर साल देश के किसी न किसी हिस्से में सैनिकों के बीच जा कर उन का हौसला बढ़ाते हैं, तो ऐसा कर वे दीपावली की मूल परंपरा का ही निर्वाह करते हैं.

सैनिकों के बीच दीवाली मना कर मूल सनातन परंपरा का ही निर्वाह करते हैं पीएम मोदी
नई दिल्ली. अंधकार पर प्रकाश की विजय के पावन पर्व दीपावली पर इस बार ऐसा कुछ हुआ, जो पहले नहीं हुआ करता था. साथ ही ऐसा भी हुआ, जो पिछले 10 साल से होता चला आ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार गुजरात के कच्छ में भारतीय सुरक्षा बल के जवानों के साथ मनाई. उन्होंने सरक्रीक के पास बीएसएफ के जवानों का मुंह मीठा कराया. पिछले साल वे हिमाचल प्रदेश के लेप्चा गए थे. मोदी हर साल देश के किसी न किसी हिस्से में भारत की रखवाली करने वाले सैनिकों के बीच जा कर उन का हौसला बढ़ाते हैं, तो ऐसा कर वे दीपावली की मूल परंपरा का ही निर्वाह करते हैं. दीपावली के मौके पर आजकल धन की देवी लक्ष्मी और प्रथम पूज्य श्रीगणेश की ही पूजा पर खास ध्यान दिया जाता है, लेकिन असल में श्रीलंका में रावण पर विजय हासिल कर वनवास के 14 साल पूरे करने पर भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में यह त्यौहार मनाने की परंपरा पड़ी. आमतौर पर श्रीराम का स्मरण भारत के लोग और दुनिया भर में रह रहे भारत वंशी दशहरे के पर्व तक ही खास तौर पर करते हैं. दीपावली पर राम का स्मरण कम ही किया जाता है, जबकि इसकी बहुत आवश्यकता है. भगवान राम समरसता के सबसे बड़े प्रतीक भगवान राम समरसता के सबसे बड़े प्रतीक हैं. इसलिए दीपावली पर निर्धनों के घरों में भी खुशी का वातावरण बने और साल भर कायम रहे, ऐसा संकल्प सभी संपन्न लोगों को करना चाहिए. हमारे सशस्त्र बलों की ताकत ही देश की समृद्धि की रखवाली करती है. इसलिए दीपावली के मौके पर जवानों का हौसला बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल बेहद स्वागतयोग्य है. इससे पहले किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया. 500 साल बाद अयोध्या में राम मंदिर में दीवाली मनी इस बार की दीपावली इस मामले में भी खास रही कि करीब पांच सौ साल बाद अयोध्या में राम लला के अपने भव्य मंदिर में बाकायदा विराजमान होने के बाद यह पहला प्रकाश पर्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उल्लेख जवानों के बीच किया भी. इस बार दीपावली देश की विविधिता के बीच सामंजस्य कायम करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन पड़ी. इसलिए भी यह खास मौका रहा. कई जगह दीवाली का विरोध लेकिन देश में कई जगहों पर प्रकाश और आतिशबाजी का विरोध भी पहली बार किया गया. याद नहीं पहले कभी ऐसा हुआ था, लेकिन हुआ भी था, तो उसकी इतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी इस बार हुई है. टीवी चैनलों पर इस मसले पर गर्मागर्म बहसें आयोजित की गईं. मुंबई की एक सोसायटी में कुछ मुसलमानों ने हिंदुओं के रोशनी करने का विरोध किया. उनकी दलील थी कि क्योंकि कुछ साल पहले सोसायटी में ईद पर मुस्लिमों को खुलेआम कुर्बानी नहीं करने दी गई थी, लिहाजा वे हिंदुओं को दीपावली भी नहीं मनाने देंगे. हद होती तो तब नजर आई कि तमाम टीवी चैनलों पर एकाध को छोड़ कर मुस्लिम स्कॉलर के तौर पर डिबेट में शामिल होने वाले सभी लोगों ने इसका समर्थन ही किया. दिल्ली- एनसीआर में जमकर चले पटाखे दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से दीपावली पर आतिशबाजी पर कड़े नियंत्रण का ऐलान किया गया था. रात 10 बजे तक ही ग्रीन पटाखे चलाने की इजाजत थी. लेकिन लोग नहीं माने और 31 अक्टूबर की रात डेढ़-दो बजे तक जम कर आतिशबाजी की गई. कई साल से हिंदू संगठन दलीलें दे रहे हैं कि सनातन धर्म के त्यौहारों को निशाना बनाया जा रहा है. होली पर पानी की बर्बादी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाता है, जबकि दीपावली पर प्रदूषण के नाम पर पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. इस बार लोगों ने देर रात तक पटाखे चलाए, तो लगता है कि यह हिंदू त्यौहारों पर परोक्ष-अपरोक्ष हमलों का ही जवाब है. America Chunav: अमेर‍िकी चुनाव में ट्रंप जीतेंगे या कमला हैर‍िस, आ गया नया सर्वे, बदलता दिख रहा वोटों का गण‍ित परंपरा पर रोक का विरोध हजारों वर्षों से चली आ रही किसी परंपरा पर किसी भी वजह से अगर रोक लगाई जाएगी, तो लोग प्रतिक्रिया करेंगे ही. होना तो यह चाहिए कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए साल के हर दिन काम किया जाए, बारिश के पानी के संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर देश भर में मुहिम चलाई जानी चाहिए. बाढ़ और सूखे की समस्या से निपटने के लिए व्यापक योजनाओं पर काम किया जाना चाहिए, लोगों को तमाम स्तरों पर जागरूक किया जाना चाहिए. इसी तरह प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए रोज ही प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए. ऐसा होगा, तो साल में एक-दो दिन पटाखे चलेंगे भी या होली पर एक दिन लोग पानी बहाएंगे भी, तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कुल मिला कर दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाला पर्व है. भाईचारे का छद्म ही सही संदेश देने के लिए कई मुगल बादशाह भी यह त्यौहार धूमधाम से मनाया करते थे. ऐसे में इस मौके पर रोशनी या फिर आतिशबाजी का विरोध करना कितना सही है, जरा सोचिए. Tags: Diwali, Diwali Celebration, Pm narendra modi, PM Narendra Modi NewsFIRST PUBLISHED : November 1, 2024, 16:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed