खालिदा की BNP की टेढ़ी चाल मंत्री की सीधी बात पहले घर संभाले बांग्लादेश!
खालिदा की BNP की टेढ़ी चाल मंत्री की सीधी बात पहले घर संभाले बांग्लादेश!
Khalida Zia Bangladesh News Update: बांग्लादेश के लिए जरूरी है कि वह अभी अपने देश के भीतर की सिचुएशन की बेहतरी के लिए कदम उठाए न कि अच्छे संबंधों की नींव पर टिके पड़ोसी मुल्कों के संबंधों को ताक पर रखे. भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर नई सरकार के गठन का क्या असर हो सकता है...
India Bangladesh Relations: दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज में इंटरनेशनल रिलेश्नस की पढ़ाई के दौरान जब हम अपनी लेक्चरार से पूछते थे… हमारे पड़ोसी देशों में हमारा दोस्त कौन है और दुश्मन कौन, तब वह केवल एक बात कहकर चैप्टर के अगले हिस्से की ओर बढ़ जाती थीं कि There is no permanent enemy, there is no permamnet friend, there is only permanent interest (in international relations). इसका अर्थ कुछ इस प्रकार हुआ कि- अतंर्राष्ट्रीय संबंधों में न तो कोई हमेशा के लिए दुश्मन होता है और न ही कोई हमेशा के लिए दोस्त होता है, परमानेंट होते हैं तो केवल हित जिनके आधार देशों के बीच आपसी दोस्ती और दुश्मनी बनती-बिगड़ती हैं….. तो कुल मिलाकर यह है कि वर्तमान हालातों में बांग्लादेश को यह देखना होगा कि उसके लॉन्ग टर्म इंट्रेस्ट किस देश के साथ किस प्रकार का और कितना गहरा संबंध रखने में है. वोलाटाइल हालातों में, टेंपरेरी या अग्रेसिव हितों की पूर्ति के लिए लंबे समय के फायदों और स्थिरता को वह ताक पर नहीं लगा सकता..
बांग्लादेश के आंतरिकों हालातों की उथल पुथल के बीच उसके अलग अलग नेताओं, मंत्रियों द्वारा दिए जा रहे बयान माहौल को सुधारने की बजाय ‘दुविधापूर्ण कलेशात्मक’ माहौल की नींव डालते दिख रहे हैं. अपनी बातों से दो देशों की बात को बिगाड़ने की बजाय… बात को संभालना होगा उसे, क्योंकि खुद उसका घर इस समय अच्छा खासा धधक रहा है.
संक्षिप्त रूप से हालिया कुछ विवरण बात को थोड़ा और स्पष्ट करेंगे:
– खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा इस्लाम आलमगीर ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारतीय मीडिया यह प्रचारित कर रहा है कि बांग्लादेश में सांप्रदायिक अत्याचार हो रहे हैं जबकि कोई सांप्रदायिक अत्याचार नहीं हो रहे है. उन्होंने कहा कि मीडिया हमारे देश में आकर देखे कि क्या हो रहा है. यानी, आलमगीर ने इस बात से साफ इंकार किया कि हिन्दुओं पर बांग्लादेश में किसी प्रकार की हिंसा हुई है. (तमाम तस्वीरें, वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट और न्यूज एजेंसियों के जरिए मीडिया में आई तस्वीरों को धता बताते हुए एक ऐसी पार्टी का यह बयान हैरतअंगेज है जो पार्टी इस वक्त देश में सरकार बनाने की भूमिका में सबसे महत्वपूर्ण साबित होने वाली है. प्रत्यक्ष प्रमाणों को क्लियरली नकार देना… हालातों को छुपाने जैसा ही है.)
– बांग्लादेश के एक बड़े संगठन की ओर से भारत सरकार को पत्र लिखकर कहा गया कि भारत सरकार सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) की कट-ऑफ डेट आगे बढ़ा दे. यह शरणार्थियों के समूहों का संगठन है जोकि चाहता है कि सीएए लागू की तारीख 31 दिसंबर 2014 से बढ़ाकर 2024 कर दी जाए. मांगा यह भी जा रहा है कि बांग्लादेशियों के संदर्भ में एक साधारण हलफनामा ही पर्याप्त होना चाहिए.
– नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और अब बांग्लादेश की फिलहाल कमान संभाल रहे अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने कहा कि अगर बांग्लादेश में अस्थिरता आई तो म्यांमार के साथ-साथ भारत का उत्तर-पूर्व और पश्चिम बंगाल राज्यों पर भी असर पड़ेगा. (यूनुस शेख हसीना के कटु आलोचक हैं. शेख हसीना पिछले दिनों ही बांग्लादेश के हालातों के मद्देनजर भारत आ गई थीं. ऐसे में उनका यह धमकी भरा बयान कोई शांतिप्रिय बात नहीं कही जा सकती.)
– इस बीच अंतरिम सरकार में विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन से पूछा गया कि क्या हसीना के भारत में बने रहने से संबंधों को नुकसान पहुंचेगा तो उन्होंने कहा कि गर कोई व्यक्ति किसी देश में चला गया है तो उस देश के साथ उसके रिश्ते क्यों खराब होंगे? इसकी कोई वजह नहीं है.
साथ ही, मगर, बीएनपी हसीना के भारत में बने रहने की बात पर अपनी नाखुशी पहले ही जता चुका है. बीएनपी के एक सीनियर नेता ने ढाका से टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि बांग्लादेश और भारत को आपसी सहयोग करना चाहिए… भारत सरकार को इस भावना को समझना होगा और उसी तरह व्यवहार करना होगा… लेकिन अगर आप हमारे दुश्मन की मदद करते हैं तो आपसी सहयोग का सम्मान करना मुश्किल हो जाता है.
इन विरोधाभासी बयानों, संकेतों और संदेशों से भारत के प्रति बांग्लादेश के कुछ खास अच्छे विचार सामने नहीं आ रहे हैं. बेहतर तो यह होगा कि किसी तरह की अप्रियकर बयानबाजी न करते हुए बांग्लादेश के नेता और मंत्रीगण पहले अपने देश के हालातों को सुलझाने पर गौर करें.. इसके बाद पड़ोसी महत्वपूर्ण मुल्क भारत के साथ संबंधों की स्थिरता, बेहतरी के उपायों पर. जो बात हमें स्कूलों में ही पढ़ा दी जाती है, बांग्लादेश उसे समझे… दो देशों के बीच संबंध हितों के आधार पर होने चाहिए और पुरानी बुनियादों को भावावेश या बहकावे में आकर नेस्तनाबूद करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
Tags: Bangladesh news, International news, Pm modi news, World newsFIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 12:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed