इस पेड़ के बड़ा होने से पहले ही व्यापारी लगा देते हैं बोली ऐसा करके आप भी
इस पेड़ के बड़ा होने से पहले ही व्यापारी लगा देते हैं बोली ऐसा करके आप भी
sandalwood trees: देश के सभी इलाकों का अपना मौसम और वातावरण है. वहां के हिसाब से ही उन जगहों पर फसलें और पेड़-पौधे तैयार होते हैं. हालांकि, कई इलाके ऐसे भी हैं जहां दूसरे राज्यों में होने वाले पेड़ पौधे भी तैयार होते हैं. ऐसा ही साउथ इंडिया में होने वाला एक पेड़ है जिसे....
रजनीश यादव/प्रयागराज: किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर कई तरह के प्रयास करते हैं. इसके लिए वह कभी फल तो कभी सब्जियों और फूलों की खेती करते हैं. इसमें भी उन्हें कई बार बहुत फायदा नहीं मिलता. जब अच्छी पैदावार नहीं होगी तो उन्हें मुनाफा नहीं मिलेगा और उनकी मेहनत और लागत भी बर्बाद जाएगी. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि किसानों को अपनी मिट्टी के बारे में जानकारी नहीं हो पाती है कि वहां की मिट्टी में किस सब्जी या फल-फूल की अच्छी पैदावार होगी. जो किसान मिट्टी की जांच कराकर यह पता लगा लेते हैं वह देशी ही नहीं विदेशी फसलों की भी खेती करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं. इसका एक उदाहरण प्रयागराज मंडल में स्थित प्रतापगढ़ जिले के किसान उत्कृष्ट पांडे हैं. उन्होंने दक्षिण भारत में होने वाले चंदन की खेती उत्तर भारत में करके दिखाया है.
उत्तर भारत में भी हो सकती है चंदन की खेती
प्रयागराज में स्थित भारतीय वानिकी रिसर्च अनुसंधान केंद्र पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना केंद्र की वैज्ञानिक डॉक्टर अनुभा श्रीवास्तव बताती हैं कि दक्षिण भारत के वैज्ञानिक डॉक्टर सुंदर राज के बल पर उत्तर भारत में चंदन की खेती करने की शुरुआत की गई.
अनुभा ने बताया कि पहले यहां किसानों में भ्रम था कि इस मिट्टी में चंदन की खेती हो पाएगी कि नहीं. इस पर वैज्ञानिकों ने मिलकर किसानों को इस बात को समझने की पूरी कोशिश की की चंदन की खेती के लिए उत्तर भारत की मिट्टी और जलवायु दोनों उपयुक्त हैं. इसी से प्रेरित होकर प्रयागराज मंडल के किसान उत्कृष्ट पांडे ने 5 साल पहले 1,000 चंदन के पौधों की रोपाई करवाई. इसे प्रेरित होकर आसपास के किसान भी अब चंदन की खेती कर रहे हैं.
उत्कृष्ट पांडे बने मिशाल
प्रतापगढ़ के किसान उत्कृष्ट पांडे आज प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल हैं. वह सेना में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने खेतों में चंदन की खेती से किसानी करने की शुरुआत की. आज उनके पास केवल चंदन ही नहीं कई प्रकार की पौधों की प्रजातियां मौजूद हैं. वह अब चंदन के पौधे की नर्सरी भी तैयार करते हैं और इसे सप्लाई भी करते हैं. उत्कृष्ट बताते हैं कि खेती किसानी में उनकी रुचि पहले से थी. मौका मिलने पर उन्होंने इस दिशा में लगन के साथ काम शुरू किया.
ऐसे होगी कमाई
बताते हैं कि चंदन का पौधा मात्र 12 साल में तैयार हो जाता है जिसकी कीमत न्यूनतम 75 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक होती है. आज चंदन के पौधे बड़े होने से पहले ही व्यापारी उसका दाम लगा लेते हैं. जैसे ही वह तैयार होता है व्यापारी उसे ले जाते हैं. उत्कृष्ट पांडे बताते हैं कि किसानों को चंदन की खेती करने के बाद इसे बेचने के लिए बाजार में भटकना नहीं पड़ेगा क्योंकि इसका प्रयोग औषधि से लेकर परफ्यूम तक में किया जाता है. चंदन का पाउडर, चंदन का तेल और उससे तैयार कीमती फर्नीचर भी बनाए जाते हैं. इसकी खेती कर किसान बिना ज्यादा मेहनत के मालामाल हो सकते हैं.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 14:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed