कैसे देखते हैं हिंदू पंचांग किसने बनाया इसे ज्योतिषी से जानें सबकुछ

Hindu Panchang: प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य संजय उपाध्याय के अनुसार, पंचांग न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में संतुलन और अनुशासन बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है. इसमें वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों पहलुओं का समावेश होता है, जो इसे अद्वितीय और महत्वपूर्ण बनाता है.

कैसे देखते हैं हिंदू पंचांग किसने बनाया इसे ज्योतिषी से जानें सबकुछ
अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: हिंदू पंचांग, जिसे विक्रम संवत या हिंदी कैलेंडर भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में समय की गणना और त्योहारों के तिथियों को निर्धारित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. खास बात यह है कि इसे समझकर तिथियों को ज्ञात करना अपने आप में एक कला है. यह पंचांग धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व रखता है. ऐसे में लोगों में जानने की उत्सुकता रहती है कि हिंदू पंचांग कैसे देखा जाता है और इसका अविष्कार किसने किया था. काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने सिलसिलेवार तरीके से समझाने का प्रयास किया है. क्या है हिंदू पंचांग हिंदू पंचांग में पांच अंग होते हैं, जिनकी गणना से दिन की तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार का निर्धारण होता है. इन पांचों तत्वों का संयोजन एक निश्चित दिन के लिए होता है, जो दिन की शुभ-अशुभता और धार्मिक क्रियाकलापों के लिए मार्गदर्शन करता है. तिथि चंद्रमा की स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है और नक्षत्रों का महत्व जन्म और धार्मिक कार्यों में होता है. कैसे हुआ अविष्कार और इतिहास हिंदू पंचांग का अविष्कार किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि वर्षों के वैज्ञानिक और ज्योतिषीय अध्ययन के परिणाम स्वरूप हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इसका मूल प्रारूप प्राचीन काल में राजा विक्रमादित्य के समय में विकसित हुआ था, लेकिन इसकी जड़ें वैदिक काल तक जाती हैं. उस समय के ऋषि-मुनियों ने ग्रहों की गति, चंद्रमा और सूर्य की स्थितियों के आधार पर समय की गणना की और पंचांग की रचना की. क्या है वैज्ञानिक और धार्मिक आधार पंचांग का वैज्ञानिक आधार ग्रहों की गति और खगोलीय घटनाओं पर आधारित है. चंद्रमा की गति, सूर्य की स्थिति और अन्य ग्रहों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए समय का विभाजन किया गया है. धार्मिक दृष्टिकोण से पंचांग का उपयोग विभिन्न त्योहारों, व्रतों और शुभ कार्यों के लिए सही समय का निर्धारण करने में होता है. धार्मिक और वैज्ञानिक है महत्व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य संजय उपाध्याय के अनुसार, पंचांग न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में संतुलन और अनुशासन बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है. इसमें वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों पहलुओं का समावेश होता है, जो इसे अद्वितीय और महत्वपूर्ण बनाता है. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 11:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed