टॉप डॉक्टर में शुमार हैं अमित उपाध्याय हजारों बच्चों की बचा चुके हैं जान

मेरठ के प्राइवेट सेक्टर में डॉक्टर अमित उपाध्याय बाल रोग एवं नवजात विशेषज्ञ के तौर पर अपनी विशेष पहचान रखते हैं. उनके द्वारा वर्तमान समय में मेरठ न्यूटीमा अस्पताल में एम्स दिल्ली की तर्ज पर सभी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं. जहां बच्चों को बेहतरीन इलाज दिया जाता है.

टॉप डॉक्टर में शुमार हैं अमित उपाध्याय हजारों बच्चों की बचा चुके हैं जान
मेरठ /विशाल भटनागर: मेरठ के प्राइवेट सेक्टर में डॉक्टर अमित उपाध्याय बाल रोग एवं नवजात विशेषज्ञ के तौर पर अपनी विशेष पहचान रखते हैं. उनके द्वारा वर्तमान समय में मेरठ न्यूटीमा अस्पताल में एम्स दिल्ली की तर्ज पर सभी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं. जहां बच्चों को बेहतरीन इलाज दिया जाता है. डॉक्टर अमित उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि एक दौर हुआ करता था, जब बच्चों की नवज से ही उसकी बीमारियों का पता लगा लिया करते थे. लेकिन,  जिस तरीके से बीमारियां उभर कर आ रही हैं. जल्दी से जल्दी रोग पकड़ने की उम्मीद मरीज व उसके तीमारदार भी करते हैं. ऐसे में टेक्नोलॉजी एवं आधुनिक उपकरणों का इलाज में एक अहम योगदान हो गया है. यह सब बच्चों व बड़ों सभी को सटीक इलाज दिलाने में मददगार हैं. न्यूटीमा हॉस्पिटल में उच्चतम एनआईसीयू और पीआईसीयू हैं, जहां सभी तरह की सुविधाएं एवं आधुनिकतम उपकरण मौजूद है. इस एनआईसीयू में अत्यंत प्रीमैच्योर नवजात शिशु का इलाज कर मात्र छह माह पर जमने 500 ग्राम तक के बच्चे अधिकतम बचा लिये जाते हैं. वह बताते हैं कि इन आधुनिक सुविधाओं से आपातकालीन स्थिति में जन्में या आए बच्चों का ट्रीटमेंट 24 घंटे उपलब्ध है. जीवन शैली में बदलाव भी है एक प्रमुख कारण डॉक्टर उपाध्याय बताते हैं कि जिस तरीके से जीवन शैली में बदलाव हो रहा है. हमारे जीवन में काम काफी बढ़ गया है. पति-पत्नी भी अब नौकरी की तरफ बढ़ने लगे हैं. कहीं ना कहीं जिस तरीके से प्रेगनेंसी के दौरान आराम मिलना चाहिए, वह अक्सर नहीं मिल पा रहा. इसका असर माता एवं बच्चे दोनों पर पड़ता है. काम एवं स्ट्रेस से कई बार ओलिगोहाइड्रेमनियोस (पानी कम) हो जाता है. कई बार ऐसे बच्चे भी जन्म लेते हैं, जिनका वजन अनुमान से कम होता है. इन्हें IUGR कहते हैं. ऐसे बच्चों में भी कई असामान्य परेशानियां आती है. जैसे शुगर कम होना और सेप्टीसीमिया. बच्चों को लेकर भी नर्सरी में विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं. इलाज में हाईटेक जांच एवं उपकरण होते हैं. जैसे देर से रोये (एस्फिक्सिया) के इलाज के लिए हाइपोथर्मिया (शरीर ठंडा करने की मशीन) एवं नाइट्रिक ऑक्साइड( iNO) उपयोग करते हुए बच्चों की जान बचाना प्राथमिकता रहती है. यह मेरठ ही नहीं उत्तर प्रदेश में ऐसे उपकरणों से लैस अकेली एनआईसीयू है. अब तक डॉक्टर अमित 25 वर्षों के अपने अनुभव मेडिकल कार्यकाल में हजारों की संख्या में गंभीर बच्चों की जान बचा चुके हैं. यहां से हासिल की है शिक्षा डॉ अमित उपाध्याय बताते हैं कि वर्ष 2006 में उन्होंने लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विभाग में जॉइनिंग की थी. जहां उन्होंने वर्ष से 2017 तक सेवाएं प्रदान की. उन्होंने मेडिकल में भी अति उत्कृष्ट NICU की स्थापना की. इसके बाद से वह मेरठ के नामचीन न्यूटिमा हॉस्पिटल में अपनी सेवा देते हुए आ रहे हैं. डा. उपाध्याय ने 1996 में जहां मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. इसके बाद एमडी पीडियाट्रिक्स सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली से उत्तीर्ण की. नवजात शिशु व रिसर्च ऑफिसर एम्स दिल्ली से 2002 में पास की. उसके बाद उन्होंने 3 साल मोनाश सेंटर मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया में भी अपनी उच्च ट्रेनिंग पूरी की. मां का सपना किया पूरा आगे उन्होंने बताया कि उनके पिता डॉ वी के उपाध्याय भी लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में ही बतौर चाइल्ड स्पेशलिस्ट कार्य कर चुके हैं. उनसे ही प्रेरणा लेकर वह मेडिकल के क्षेत्र में और फिर बाल रोग विषय में आए. उनकी मां का भी सपना था कि बेटा डॉक्टर बने. क्योंकि, उनकी मां भी मेरठ की नामचीन गायनी डॉक्टर हैं. Tags: Local18, Medical18, Meerut newsFIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 17:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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