पारसी भक्त ने बनाई थी हिंदू संत की समाधि भक्त रोज दर्शनकल करके शुरू करते दिन

Mastramji bapu samadhi: बोटाद में मस्तराम बापा का मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है, जिसकी स्थापना 700 साल पहले हुई थी. यहां मस्तराम बापा, मस्तेश्वर महादेव, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं.

पारसी भक्त ने बनाई थी हिंदू संत की समाधि भक्त रोज दर्शनकल करके शुरू करते दिन
बोटाद: सौराष्ट्र की एक महत्वपूर्ण भूमि है, जो संतों और शूरों की भूमि मानी जाती है. यहां संतों और देवताओं के कई निवास स्थान हैं, जो इस इलाके की धार्मिक महत्वता को दर्शाते हैं. इनमें से एक सदियों पुराना मस्तराम मंदिर है, जो बोटाद के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल है. इस मंदिर में मस्तेश्वर महादेव और संत मस्तराम बापा की समाधि स्थित है. यह मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसकी स्थापना करीब 700 साल पहले मस्तरामजी महाराज के एक पारसी भक्त ने की थी. मस्तराम बापा की उपस्थिति से जुड़ी हुई यह मंदिर आज भी कई भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. मस्तराम बापू की समाधि का निर्माण मस्तराम बापू की समाधि का निर्माण भावनगर के महाराजा कृष्णकुमारसिंहजी के प्रेरणा से हुआ था. महाराजा उन्हें अपना गुरु मानते थे और अक्सर बोटाद आते थे. उनके साथ बाजीबा नामक एक भक्त भी था, जो बापू की सेवा और पूजा करता था. बोटाद के काठियावाड़ जिन में कार्यरत पारसी समुदाय के रुस्तमजी दीनशाहजी गांधी भी मस्तराम बापू के भक्त थे. बापू की समाधि मंदिर की स्थापना मस्तराम बापू की मृत्यु के बाद, बाजीबा ने भावनगर के महाराजा से भूमि की मांग की, जिस पर उन्होंने मस्तराम बापू की समाधि मंदिर की स्थापना की. इस मंदिर में मस्तेश्वर महादेव के साथ-साथ खोडियार मंदिर, गायत्री मंदिर, रामजी मंदिर और महाकाली मंदिर भी स्थापित किए गए. बाद में, बाजीबा ने भी इस मंदिर में सेवा करने के बाद अपना शरीर त्याग दिया. उनकी समाधि भी उसी समय बनाई गई थी. बाजीबा की समाधि और भक्तों की श्रद्धा मस्तराम मंदिर में मस्तेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु सुबह से ही पहुंच जाते हैं. मस्तराम बापू की समाधि के पास ही बाजीबा की समाधि स्थित है. श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए पांच श्रीफल की तोरण चौकी रखते हैं. यह लोक मान्यता है कि बाजीबा भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं. बोटाद के लोग रोज़ मस्तराम मंदिर के दर्शन कर अपने दिन की शुरुआत करते हैं. मस्तराम मंदिर में धूमधाम से मनाए जाने वाले त्यौहार मस्तरामजी मंदिर में दिवाली, सातम-अथमा, श्रावण मास और शिवरात्रि जैसे त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते हैं. विशेष रूप से मस्तरामजी बापा की तिथि आठवें दिन पड़ती है, और इस दिन बटुक भोजन, प्रसाद और भजन-कीर्तन बड़े हर्षोल्लास से आयोजित किए जाते हैं. इन त्यौहारों में बोटाद के नागरिक बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, और यह आयोजन शहरवासियों के लिए एक बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बन जाता है. Tags: Gujarat, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : November 16, 2024, 17:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed