पेरेंट्स फीस देने में फेल हुए तो बच्चा क्या करे HC का सरकार को कड़ा आदेश
पेरेंट्स फीस देने में फेल हुए तो बच्चा क्या करे HC का सरकार को कड़ा आदेश
किसी बच्चे का ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) स्कूलों के लिए लंबित शुल्क वसूलने का कोई जरिया नहीं है, बल्कि यह छात्र के नाम से जारी किया गया एक निजी दस्तावेज है और इसमें बकाया शुल्क के संबंध में कोई एंट्री नहीं की जानी चाहिए. यह टिप्पणी मद्रास हाईकोर्ट ने की है.
हाइलाइट्स टीसी पेरेंट्स की वित्तीय क्षमता का आकलन करने का साधन नहीं है: कोर्ट 'स्कूल TC पर अनावश्यक एंट्री कर अपनी समस्या बच्चे पर नहीं डाल सकते' मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में आदेश जारी करने को कहा.
नई दिल्ली. मद्रास हाईकोर्ट ने एक बड़ा जजमेंट देते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूलों के लिए छात्रों का ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) उनके पेरेंट्स से बकाया फीस वसूलने या उनकी वित्तीय क्षमता का आकलन करने का साधन नहीं है. टीसी बच्चे के नाम पर जारी किया गया एक निजी दस्तावेज है. स्कूल टीसी पर अनावश्यक एंट्री कर अपनी समस्याओं को बच्चे पर नहीं डाल सकते. न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति सी. कुमारप्पन की बेंच ने कहा कि अगर अभिभावक फीस का भुगतान करने में विफल रहे तो बच्चा क्या करेगा? यह उनकी गलती नहीं है और बच्चे को कलंकित करना और परेशान करना आरटीई अधिनियम की धारा 17 के तहत मानसिक उत्पीड़न का एक रूप है.”
मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसी बच्चे का ट्रांसफर प्रमाण-पत्र (टीसी) स्कूलों के लिए लंबित शुल्क वसूलने का कोई जरिया नहीं है, बल्कि यह छात्र के नाम से जारी किया गया एक निजी दस्तावेज है और इसमें बकाया शुल्क के संबंध में कोई एंट्री नहीं की जानी चाहिए. हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्यभर के सभी स्कूलों को आदेश जारी करे, ताकि दाखिले के समय बच्चे से टीसी दिखाने पर जोर न दिया जाए और स्कूल प्रबंधन को दस्तावेज में शुल्क का भुगतान न करने या देरी से भुगतान करने जैसी जानकारी का उल्लेख करने से रोका जाये.
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स्कूलों पर एक्शन लिया जाए…
हाईकोर्ट ने यह निर्देश देते हुए कहा कि स्कूल द्वारा उल्लंघन की स्थिति में बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई अधिनियम) की धारा 17 और बच्चों के संरक्षण के लिए लागू कानूनों के तहत कार्रवाई शुरू की जायेगी. बेंच ने राज्य सरकार को तमिलनाडु शिक्षा नियमों और मैट्रिक स्कूलों के लिए विनियमन संहिता पर फिर से विचार करने और इसके अनुसार तीन महीने की अवधि के भीतर आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप सभी आवश्यक संशोधन करने का निर्देश दिया.
सिंगल बेंच का ये आदेश खारिज…
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए सिंगल जज की बेंच के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें अखिल भारतीय निजी स्कूल कानूनी संरक्षण सोसाइटी की याचिका को स्वीकार करते हुए पाया था कि छात्र द्वारा शुल्क के बकाया का संकेत मात्र से छात्र और अभिभावकों के खिलाफ कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है.
Tags: Madras high court, Private schools, Tamil Nadu newsFIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 18:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed