यह अघोरी बाबा रात को श्मशान में करता है चिता साधना वजह जान रह जाएंगे दंग

अघोरी तपस्वी स्वामी ईशानानंद ने बताया कि लखनऊ का बैकुंठ धाम यानी शमशान घाट की आग कभी बुझती नहीं है, क्योंकि यहां रोज 20 से 25 लाशें जलाई जाती हैं. यहां की तपस्या और साधना अघोरी बाबा की सफल मानी जाती है.

यह अघोरी बाबा रात को श्मशान में करता है चिता साधना वजह जान रह जाएंगे दंग
अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: शमशान घाट को लेकर अक्सर लोग यह कहते हैं कि रात में यहां नहीं जाना चाहिए. यहां भूत प्रेत दिखाई देते हैं और यहां जाने वाले के पीछे नकारात्मक शक्तियां लग जाती हैं. लेकिन लोकल-18 ने लखनऊ शहर के 100 साल से भी ज्यादा पुराने गोमती नदी के किनारे बने हुए बैकुंठ धाम यानी शमशान घाट जाकर यह देखना चाहा कि आखिर रात में यहां का माहौल कैसा होता है, तो करीब 11 से 12 के बीच में पाया कि यहां पर जो लोग शाम 5:00 बजे चिता जला कर गए थे, वो रात 12:00 तक भी जल रही थीं, उनमें आग थी. आगे बढ़कर जो देखा उसने टीम के होश उड़ दिए. दरअसल यहां पर एक अघोरी बाबा चिता साधना कर रहे थे. जब उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि वह गोमती नगर स्थित मां कामाख्या धाम के पीठाधीश स्वामी ईशानानंद सरस्वती जी महाराज हैं, जोकि अघोरी तपस्वी हैं और यहां पर रविवार को चिता साधना करने आए थे. इसलिए करते हैं चिता साधना अघोरी तपस्वी स्वामी ईशानानंद ने बताया कि लखनऊ का बैकुंठ धाम यानी शमशान घाट की आग कभी बुझती नहीं है, क्योंकि यहां रोज 20 से 25 लाशें जलाई जाती हैं. यहां की तपस्या और साधना अघोरी बाबा की सफल मानी जाती है, इसलिए वह यहां पर हर अमावस्या और हर रविवार को चिता साधना करते हैं. इस साधना से ऐसे मिलता है फायदा स्वामी ईशानानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि क्योंकि वह अघोरी तपस्वी हैं और कामाख्या धाम के पीठाधीश भी हैं, ऐसे में उनके पास पूरे देश भर से परेशान लोग अपनी दिक्कतों को लेकर के आते हैं. कई बार आईसीयू और वेंटीलेटर में जा चुके इंसान को भी उन्होंने अपनी साधना से बचाया है. साधना जिसको शक्ति प्राप्त होगी, वही कर सकता है. उन्होंने बताया कि जहां पर साइंस फेल हो जाता है वहां पर अघोरी बाबा की तपस्या काम करती है. पंचतत्व की शक्ति लेते हैं स्वामी ईशानानंद ने बताया कि शरीर पंचतत्व से मिलकर बना होता है और जब लाश जलती हैं, तो पंचतत्व में विलीन हो जाती हैं और वही पंचतत्व शमशान घाट में ही रह जाते हैं. इस पंचतत्व की शक्ति अपने में लेने के लिए वह हमेशा चिता साधना करते हैं. 1980 से यह साधना कर रहे हैं इसलिए अब वह एक अघोरी तपस्वी बन गए हैं और उन्हें तपस्या करने से कोई डर नहीं लगता है. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 14:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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