LAC पर तैनात जवानों को दी जा रही है जूडो और कराटे की ट्रेनिंग चीनी सैनिकों से निपटने के सिखाए जा रहे हैं गुण

चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा में तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) 2020 की गलवान घाटी झड़प जैसी प्रतिकूल स्थितियों से निपटने में बेहतर कौशल हासिल करने के लिए अपने कर्मियों को नयी निरस्त्र ‘आक्रामक’ युद्ध तकनीक का प्रशिक्षण दे रही है.

LAC पर तैनात जवानों को दी जा रही है जूडो और कराटे की ट्रेनिंग चीनी सैनिकों से निपटने के सिखाए जा रहे हैं गुण
हाइलाइट्सएलएसी पर तैनात आईटीबीपी अपने कर्मियों को नयी निरस्त्र ‘आक्रामक’ युद्ध तकनीक का प्रशिक्षण दे रही है.प्रशिक्षण में जूडो, कराटे और क्राव मागा के 15-20 अलग-अलग युद्धाभ्यास शामिल हैं.ग्लवान में चीनी सैनिकों के साझ हुई झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे. भानु. चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा में तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) 2020 की गलवान घाटी झड़प जैसी प्रतिकूल स्थितियों से निपटने में बेहतर कौशल हासिल करने के लिए अपने कर्मियों को नयी निरस्त्र ‘आक्रामक’ युद्ध तकनीक का प्रशिक्षण दे रही है. गलवान घाटी में हुई झड़पों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर धारदार हथियारों से हमला किया था. आईटीबीपी के प्रशिक्षण में ‘मार्शल आर्ट’ की विभिन्न तकनीक जैसे कि जूडो, कराटे और क्राव मागा के 15-20 अलग-अलग युद्धाभ्यास शामिल हैं. ITBP के ट्रेनर दे रहे हैं ट्रेनिंग आईटीबीपी के अनुभवी प्रशिक्षक करीब तीन महीने तक चलने वाला यह प्रशिक्षण दे रहे हैं. आईटीबीपी के महानिरीक्षक ईश्वर सिंह दुहन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘नयी निरस्त्र युद्ध तकनीक में रक्षात्मक और आक्रामक दोनों स्वरूप शामिल हैं। हमने पूर्व महानिदेशक संजय अरोड़ा के निर्देश पर पिछले साल अपने कर्मियों के लिए यह मॉड्यूल अपनाया था. ये युद्ध कौशल, विरोधियों को रोक देंगे तथा उन्हें अशक्त कर देंगे.’ भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे दुहन चंडीगढ़ से करीब 25 किलोमीटर दूर भानु में स्थित मूल प्रशिक्षण केंद्र (बीटीसी) की अगुवाई करते हैं. चीन ने भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमले करने के लिए पत्थरों, नुकीली छड़ों, लोहे की छड़ों और एक प्रकार की लाठी ‘क्लब’ का इस्तेमाल किया था. भारतीय सैनिकों ने जून 2020 में गलवान (लद्दाख) में एलएसी पर भारतीय सीमा की ओर चीन द्वारा एक चौकी स्थापित करने का विरोध किया था. इन झड़पों में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन ने अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी. किसी भी सैनिक की 90 दिन से ज्यादा की तैनाती नहीं यहां प्रशिक्षण पर नजर रख रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निरस्त्र युद्ध तकनीक में सैनिकों को अपनी ताकत का इस तरीके से इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि विरोधियों को करारा जवाब मिले. दुहन ने कहा, ‘हमने एक योजना बनायी है जिसमें सीमा और अत्यधिक ऊंचाई पर किसी सैनिक को 90 दिन से ज्यादा तैनात नहीं किया जाएगा. ऐसी व्यवस्था की गयी है जिससे सीमा चौकियों से सैनिकों का समय रहते स्थानांतरण हो सकेगा.’ गंभीरता से लागू हो रहे हैं नियम उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि ये उपाय और निर्देश पहले नहीं थे, लेकिन अब हम इन चीजों को गंभीरता से लागू कर रहे हैं क्योंकि सीमा अब काफी सक्रिय है. अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी ने कई वैज्ञानिक मानदंडों का अध्ययन किया और उसे डीआरडीओ के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज (डीआईपीएएस) से सूचनाएं मिली कि कैसे लंबे समय तक सैनिकों की तैनाती से मानव शरीर को ‘‘अपूरणीय क्षति’’ पहुंच सकती है.’ 29 महीने से भारत-चीन के बीच जारी है गतिरोध उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए यह फैसला किया गया है कि अत्यधिक ऊंचाई पर तैनात सैनिकों की तीन महीने की अवधि के दौरान अदला-बदली करने की आवश्यकता है. उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख पर 29 महीने से गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: India china border, ITBPFIRST PUBLISHED : October 30, 2022, 17:54 IST