Opinion : मजबूत राजनीतिक नेतृत्व से आर्थिक मोर्चे पर तेजी से महाशक्ति के रूप में उभरा भारत
Opinion : मजबूत राजनीतिक नेतृत्व से आर्थिक मोर्चे पर तेजी से महाशक्ति के रूप में उभरा भारत
भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार जारी मजबूती का असर रैंकिंग में भी देखने को मिल रहा है. घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ के कारण भारत दुनिया की TOP 5 अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है.
हाइलाइट्सघरेलू अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी के कारण भारत दुनिया की TOP 5 अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है.शोध रिपोर्ट के मुताबिक भारत 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है.IMF के मुताबिक इस साल दुनिया की GDP विकास दर 3.2% रहेगी.
नई दिल्ली. 3 सितम्बर शनिवार को जब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से इस वर्ष जीडीपी वृद्धि के दहाई अंकों में रहने की उम्मीद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि ‘मुझे ऐसा होने की उम्मीद है, हम इसके लिए काम करेंगे.” ये सिर्फ “न्यूज़ बाईट” नहीं बल्कि भारत की बढ़ती हुई आर्थिक शक्ति का “स्टेटमेंट” है और ये आत्मविश्वास ऐसे ही नहीं आया है. 4 दिन पहले जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी है. पिछले तीन सालों में अधिकांश छोटे देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी है और बड़े से बड़े देश मंदी से जूझ रहे हैं.
ऐसे में भारत की GDP का 13.5 फीसदी की दर से बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए बहुत शुभ संकेत है. जीडीपी बढ़ने का सीधा मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, यानी व्यापार बढेगा, कमाई बढ़ेगी, क्रय-विक्रय बढ़ेगा, सरकारी खजाने में ज्यादा टैक्स आएगा, जिससे आम नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं तो मिलेंगी ही. साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी बढ़ोतरी होगी. सरल शब्दों में कहें तो जीडीपी का बढ़ना बताता है कि देश की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार जारी मजबूती का असर रैंकिंग में भी देखने को मिल रहा है. घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ के कारण भारत दुनिया की TOP 5 अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है.
अर्थव्यवस्था की रेस में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा
सबसे ख़ास बात ये है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की रेस में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है. वो ब्रिटेन जो 75 साल पहले इस देश पर शासन कर रहा था, अब भारत से नीचे छठे पायदान पर है. अर्थशास्त्रियों का आंकलन है कि इस तेजी को अगर भारत बरकरार रखता है तो सालाना आधार पर भी जल्द दुनिया की 5वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय इकोनॉमी की विकास दर 7 फीसदी से अधिक रह सकती है. वैसे आर्थिक मोर्चे पर ब्रिटेन का फिसलना वहां की आने वाली नई सरकार के लिए जोरदार झटका होगा.
वित्त वर्ष में भारत की GDP की ग्रोथ रेट 8.7 फीसदी
5 सितम्बर सोमवार को संभवतः ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य प्रधानमंत्री चुन लेंगे, अब चाहें भारतीय मूल के ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने या फिर लिस ट्रस, दोनों के सामने ढ़ीली पड़ चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी. IMF के आंकड़ों के अनुसार, मार्च की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर रही जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर थी. इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 (Q4FY22) की चौथी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 4.1 फीसदी की दर से बढ़ा था. पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो 2021-22 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ रेट 8.7 फीसदी रही थी.
कामयाबी की वजह
बीते कुछ सालों में भारत ने सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर बड़े सुधार किये हैं. ये सुधार कड़े फैसलों के जरिये हुए हैं जिसके लिए मज़बूत राजनीतिक नेतृत्व ज़िम्मेदार है. ऐसा नहीं है कि हर सुधार का स्वागत ही हुआ हो, लेकिन फिर भी उस दिशा में बढ़ने से सरकार घबराई नहीं है. सबसे पहले मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कई इनीशिएटिव लिए गए जिनका ग्रोथ पर सकारात्मक असर पड़ा है. बीच में कोरोना काल के दौरान जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्था तबाह हो रही थी और 135 करोड़ जनसंख्या वाले हिंदुस्तान को लेकर सब चिंता जता रहे थे, तब भी भारत में मंदी नहीं आई. वर्तमान परिपेक्ष्य में बात करें तो रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, यूरोप की तो कमर ही तोड़ दी फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है.
भारत में हालात नियंत्रण में हैं
आंकड़े बता रहे हैं कि दुनिया भर में मंदी की आहट है और अमेरिका समेत हर देश महंगाई की मार से परेशान है लेकिन भारत में हालात नियंत्रण में है. इस बारे में जब केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड से पूछा गया तो उन्होंने कहा है कि ‘‘भारत में महंगाई है, लेकिन दुनिया में अन्य देशों की तुलना में कम. हमारे यहां महंगाई दर 7% है, जो विकसित देशों से कम है. अमेरिका और चीन में महंगाई दर 8% से अधिक है, जबकि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं.’’ अर्थशास्त्री डॉ चरण सिंह “फेस्टिवल सीज़न” के शुरू होने से पहले अर्थव्यवस्था से ऐसे संकेत मिलने को बेहद उत्साहवर्धक मान रहे हैं. सरकार की नीतियों के कारण कृषि और सेवा क्षेत्र ने रफ़्तार पकड़ी है. इसके अलावा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भारत के पक्ष में जो एक और बात जाती है वो है हमारा समृद्ध लोकतंत्र. पश्चिमी दुनिया को भारत की परंपरा और सामजिक विरासत भी बहुत भाती है.
आगे की चुनौतियाँ
IMF के मुताबिक इस साल दुनिया की GDP विकास दर 3.2% रहेगी जबकि भारत की विकास दर के 7.4% होने का अनुमान लगाया था. कम विकास दर के चलते दुनिया भर के देश कम व्यापार कर पायेंगे और इससे हमारे निर्यात को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा पूरी दुनिया में बैंको ने ब्याज दर बढ़ाई है, भारत में भी RBI अब तक ब्याज दरों में 1.4% की बढ़ोतरी कर चुका है. ऐसे में अगर आगे भी ब्याज दरें बढ़ती रही तो इससे विकास दर पर असर पड़ना तय है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भी कहा है कि बढ़ती ब्याज दरें, धीमी वैश्विक वृद्धि और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का गिरना भारत की आर्थिक गति को प्रभावित कर सकती है.
2029 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की जारी एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ के मुताबिक अगस्त में GST संग्रह करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा है जबकि सकल स्थिर पूंजी निर्माण अप्रैल-जून में 34.7% बढ़ा, जो 10 साल में सबसे अधिक है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी का संकेत मिल रहा है. जानकारों के मुताबिक दुनिया की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में चीन का सबसे बड़ा प्रतियोगी भारत बनने वाला है. अभी भी इस तिमाही में भारत की वृद्धि दर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में दूसरे नंबर पर काबिज चीन से कहीं आगे है. सालाना आधार पर भी भारत के मुकाबले में चीन पीछे रह सकता है. यानी हम सही रास्ते पर हैं, बस बढ़ते चले जाना है.
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Tags: India economy, India GDPFIRST PUBLISHED : September 05, 2022, 15:35 IST