150 साल पहले क्या इतनी ही पड़ती थी गर्मी बुजुर्गों से सुनिये कैसे कटती थी रात
150 साल पहले क्या इतनी ही पड़ती थी गर्मी बुजुर्गों से सुनिये कैसे कटती थी रात
अगर आपको भी लगता है कि गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है तो यह रिपोर्ट जरूर पढ़ें. यह रिपोर्ट आपको 150 साल पहले पड़ने वाली उस गर्मी का अहसास दिलाएगी, जिसको आपने अनुभव नहीं किया है. 92 और 93 साल के दो बुजुर्ग बूढ़े शख्स अपने माता-पिता और उस समय के लोगों से बातचीत के आधार पर बता रहे हैं पहले ज्यादा गर्मी पड़ती थी कि अब?
नई दिल्ली. देश के कई राज्यों में आसमान से आग बरसना कब बंद होगा, इसका लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. दिल्ली, पटना, लखनऊ, कोलकाता, मुंबई और अहमदाबाद जैसे शहरों को छोड़ दीजिए बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, रांची, जमशेदपुर, भागलपुर, गोरखपुर, वाराणसी और भोपाल जैसे शहरों में भी तापमान 50 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है या उसके आस-पास पहुंच गया है. गावों की भी स्थिति कमोबेश यही बनी हुई है. ऐसे में न्यूज 18 हिंदी ने 92 साल और 93 साल के दो बुजुर्ग शख्स से उनके मां-बाप के साथ बातचीत और अनुभव के आधार पर पिछले 150 साल की गर्मी के बारे में समझने और जानने की कोशिश की. आइए जानते हैं कि क्या 150 साल पहले भी इतनी ही गर्मी पड़ती थी या आज ज्यादा पड़ रही है?
बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले 93 साल के रामजीवन सिंह एक बड़े समाजवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं. बिहार की राजनीति को जिसको भी थोड़ी बहुत समझ है, वह रामजीवन सिंह के व्यक्त्वि से प्रभावित हुए बिना रह नहीं सकता. रामजीवन सिंह गर्मी को लेकर अपने अनुभव सुनाते हुए कहते हैं, ‘देखिए मेरा जो अपना तजुर्बा है उसके हिसाब से मैं देख रहा हूं कि जाड़ा का रेसियो घट रहा है और गर्मी थोड़ी बढ़ रही है. पहले चार महीना बरसात, चार महीना गर्मी, चार महीना ठंडा रहता था. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. पहले इतनी बरसात होती थी कि मेरे घर के बगल में जो गड्ढा है उसमें पानी महीनों भरा रहता था और हमलोग मछली मारने लगते थे. वह गड्ढा अभी भी वैसा ही है, लेकिन देख रहा हूं कि पिछले 10-15 साल से यह गड्ढा सूखा ही रहता है. बारिश होती है, लेकिन इतनी नहीं होती है कि महीनों तक इस गड्ढे में पानी रहे. अब बरसात घट गई है और गर्मी बढ़ गई है.’
93 साल के समाजवादी नेता ने सुनाया अपना अनुभव
रामजीवन सिंह आगे कहते हैं, ‘देखिए प्रकृति के साथ अगर खिलवाड़ करेंगे तो प्रकृति भी आपके साथ खिलवाड़ करेगा ही. रामायण के उत्तर कांड अगर आपने पढ़ा है तो उसमें साफ लिखा है कि एक दिन ऐसा आएगा कि नदियां सूख जाएंगी.. झरनों से पानी हो जाएंगे गायब… देखिए, अब तो आकाश में तारों ने भी अपना स्थान बदल लिया है. हमलोगों के समय स्कूल सुबह होता था और 11.30 बजे छुट्टी हो जाती थी. बच्चा थे तो स्कूल से आते ही बस्ता फेंक कर जमीन पर गमछी बिछा कर सो जाते थे. माय कहती थी खाय लें न..मैं कहता था माय तनिक आराम करैल दहिन…पहले भी गर्मी थी..ऐसा नहीं है कि गर्मी नहीं थी… मुझे तो कभी-कभी लगता है कि अब उतनी गर्मी नहीं दिख रही है. इसका कारण कुछ भी हो सकता है..पहले बिजली कहां थी? एसी कहां था?’
देखिए, ‘मैं किसान परिवार से आता हूं. मेरे पिताजी पुराने आदमी थे और उन लोगों को मौसम के बारे में सारी जानकारी पहले से पता रहता था. कब बारिश होने वाली है, कब मौसम साफ हो जाएगा, उसी हिसाब से वे लोग काम भी करते थे. पहले भी इतनी ही गर्मी पड़ती थी, लेकिन अब लगता है थोड़ा ज्यादा पड़ रही है. पहले लोग पसीना-पसीना हो जाते थे. कुआं का ठंडा पानी निकाल कर हमलोग पीते थे. किस महीने कौन सी सब्जी खाना है. कब दही खाना है, कब घोर पीना है.. यह मां और पिता जी ने सिखाया. मेरे पिताजी की तो 82 साल में निधन हो गया, लेकिन मेरी माता जी 102 साल तक जीवित रहीं. मेरे हिसाब से पहले भी गर्मी पड़ती थी, लेकिन अब थोड़ा ज्यादा पड़ने लगी है.’
150 साल पहले गर्मी और अबकी गर्मी में क्या है समानता
बेगूसराय के ही मेघौल गांव के रहने वाले 92 साल के बुजुर्ग गुलाब झा न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘बौआ, गर्मी तो सबदिन पड़ैत रहे.. पहले गर्मी का पता नहीं चलता था, लेकिन अब पता चलता है. पिछले कुछ दिनों से गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है. 100-150 साल भी इसी तरह गर्मी पड़ती थी. हां, लेकिन जो बरसात पहले हुआ करती थी, वह बरसात अब नहीं होती है. एक-एक महीना पहले बारिश हुआ करती थी. पूरबा हवा चलने पर हमलोग समझ जाते थे बारिश आने वाली है. इसी तरह ठंडी इतनी पड़ती थी कि मकई में दाना नहीं निकलता था. सांप निकलने लगता था.’
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92 साल के गुलाब झा का गर्मी को लेकर अनुभव
गुलाब झा आगे कहते हैं, ‘देखिए हमलोग बचपन में घर के अंदर नहीं सोते थे. बाहर ही सोने पर जोर देते थे. मां आंगन में बाहर सोती थी और हमलोग पिताजी और चाचा के साथ चौकी पर या दलान के नीचे पत्थर पर सो जाते थे. बोरा बिछाते थे. पहले मच्छर नहीं था. हमलोगों को पता नहीं है कि बचपन में किसी मच्छर को मारे होंगे. पहले भी लोग पसीना से तरबतर हुआ करते थे. हमलोगों को खाने की बहुत दिक्कत थी. हमलोग अलुहा सुथनी, जौ, सामा और सत्तू खाकर रहते थे. गर्मी में हमलोग घोर खूब पीते थे. मां छाली काट कर घोर बनाती थी. कहीं से आते थे घैला से निकाल कर देती थी. बौआ ..गर्मी-गर्मी छिये जब समय आबै छै त गर्मी अपन रूप देखवे छै.’
देश में बढ़ते तापमान को देखते हुए कई राज्यों ने स्कूल-कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है तो नौकरी-पेशा करने वाले लोग भी छुट्टी लेकर हिल स्टेशन निकलने का प्लान तैयार कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है जैसे देश में एक बार फिर से तीन साल पहले कोराना वाली स्थिति आने वाली है.
Tags: Delhi Weather Update, Environment ministry, Environment news, Heat WaveFIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 22:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed