खेती में पारंपरिक किस्मों का खास महत्व जैव विविधता-संरक्षण में भी अहम भूमिका
खेती में पारंपरिक किस्मों का खास महत्व जैव विविधता-संरक्षण में भी अहम भूमिका
पारंपरिक किस्मों का महत्व कृषि विविधीकरण, जैव विविधता संरक्षण व पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में बहुत महत्वपूर्ण है. इन किस्मों का संरक्षण और संवर्धन कृषि की स्थिरता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. प्रोफेसर बताते हैं कि हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि आधुनिक कृषि तकनीकों के साथ-साथ पारंपरिक किस्मों को भी उचित स्थान मिले, ताकि हम अपनी कृषि विरासत और पर्यावरण दोनों को संरक्षित कर सकें.
रजत भट्ट. आज के तेजी से बदलते कृषि परिदृश्य में पारंपरिक किस्मों का महत्व न केवल किसानों के जीवन में बल्कि व्यापक पारिस्थितिकी में भी बहुत महत्वपूर्ण है. आधुनिक कृषि में हाइब्रिड और अधिक उत्पादन वाली फसलों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है लेकिन पारंपरिक किस्मों का महत्व आज भी बहुत जरुरी है. किसान को अगर अपनी फसलों की अच्छी उपज चाहिए, तो पारंपरिक किस्मों की खेती को विशेष तौर पर महत्व देना होगा.
पारंपरिक किस्में कृषि विविधीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. गोरखपुर यूनिवर्सिटी एग्रोनॉमी के प्रोफेसर निखिल लोकल 18 को बताते हैं कि किसान विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की पारंपरिक फसलों का उपयोग करके अपनी फसलों में विविधीकरण कर सकते हैं. इससे उन्हें विभिन्न प्रकार की फसलों से भी लाभ प्राप्त होता है. यह विविधीकरण न केवल किसानों की आय में वृद्धि करता है बल्कि फसलों की नाकामी के जोखिम को भी कम करता है.
जैव विविधता और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने आगे कहा कि किसानों की फसल के लिए पारंपरिक किस्में जैव विविधता और संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये किस्में हजारों वर्षों के कृषि विकास का परिणाम भी रही हैं. इनमें कई प्रकार के विशेष आनुवंशिक गुण पाए जाते हैं, जो किसानों की फसलों को विभिन्न प्रकार के रोगों, कीटों और पर्यावरणीय तनावों से भी बचाते हैं. हाइब्रिड किस्म और जीएमओ क्रॉप्स फसलों की तुलना में पारंपरिक किस्में अधिक स्थायी होती हैं. वो कम पर्यावरणीय प्रभाव छोड़ती हैं.
पारंपरिक किस्मों का महत्व
पारंपरिक किस्मों का महत्व कृषि विविधीकरण, जैव विविधता संरक्षण व पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में बहुत महत्वपूर्ण है. इन किस्मों का संरक्षण और संवर्धन कृषि की स्थिरता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. प्रोफेसर बताते हैं कि हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि आधुनिक कृषि तकनीकों के साथ-साथ पारंपरिक किस्मों को भी उचित स्थान मिले, ताकि हम अपनी कृषि विरासत और पर्यावरण दोनों को संरक्षित कर सकें. इस प्रकार, पारंपरिक किस्मों का उपयोग एक सतत और संतुलित कृषि प्रणाली के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है.
Tags: Gorakhpur news, Indian Farmers, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 16:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed