एक टीवी सीरियल ने बना दिया इन महिला को आर्मी कैप्टन मेहनत कर हासिल की सफलता
एक टीवी सीरियल ने बना दिया इन महिला को आर्मी कैप्टन मेहनत कर हासिल की सफलता
Captain Dinisha Bhardwaj Singh: कई महिलाएं अपनी मेहनत से सभी के लिए प्रेरणा बन गई हैं. कैप्टन दिनीशा भारद्वाज सिंह की जर्नी भी बहुत खास रही है. आइए जानते हैं उनके बारे में.
विशाल झा/गाजियाबाद: आज भारत की बेटियां पूरी दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं. स्कूल से लेकर सेना तक, हर क्षेत्र में महिलाएं तरक्की कर रही हैं. कई महिलाओं ने तो ऐसे मुकाम हासिल किए हैं कि अब वो लोगों के लिए इंस्पिरेशन बन गई हैं. कैप्टन दिनीशा भारद्वाज सिंह की कहानी भी यही बताती है. वो भारतीय सेना में महिला अफसरों के प्रथम बैच से हैं. उस वक्त महिलाओं के लिए आर्मी की नौकरी काफी चुनौतीपूर्ण थी. फिर भी उन्होंने मेहनत कर सफलता हासिल की.
कैप्टन दिनीशा भारद्वाज सिंह की कहानी
डॉ दिनीशा का आर्मी बनने का सपना उनके मन में काफी पहले ही आ चुका था. जब वो छोटी थी तब एक सीरियल आता था (उड़ान). इस सीरियल को देखकर दिनिशा का मन सेना के लिए बदला. उन्होंने शो को देखा और फौजी बनने की ठान ली. लेकिन ये सफर आसान नहीं था और दिनीशा के परिवार में कई चुनौती थी. दिनिशा बताती हैं, ‘जब ग्रेजुएशन खत्म हो गई और मैं पोस्ट ग्रेजुएशन के अपने फर्स्ट ईयर में थी तब आर्मी में लेडी ऑफिसर की भर्ती के लिए आवेदन पहली बार निकाली थे. उस वक्त ये फॉर्म बस देखा और उस पर ध्यान नहीं दिया. उस वक्त ऐसी परिस्थितियां थीं कि वो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए ट्यूशन पढ़ाती थीं. कई अलग शैक्षिक संस्थानों में भी सहयोग देती थीं. फॉर्म निकालकर भरने का बिल्कुल समय नहीं था, इसलिए मैंने आर्मी का रजिस्ट्रेशन फॉर्म अपने हाथ से A4 साइज पेपर पर बनाकर क्रिएट किया था.’
मुश्किल था, पर मेहनत की
समस्या ये थी कि सिर्फ एक ही वैकेंसी दिनीषा के विषय में निकली थी. इसके लिए अभ्यर्थी ऑल इंडिया से सिलेक्ट होना था. उस समय कई लोगों ने उन्हें कहा कि मिलिट्री जर्नी काफी मुश्किल रहेगी एक महिला होने के नाते. कई लोगों ने कहा कि एक ही भर्ती है इसलिए मत अप्लाई करो क्योंकि पहली नौकरी है. अगर नहीं सिलेक्ट होगी तो डिमोटिवेट हो जाओगी. लेकिन दिनीषा के मन में था कि शायद ये नौकरी मेरे लिए ही बनी है और ऐसा हुआ भी.
कुछ ऐसी होती है आर्मी की ट्रेनिंग
आर्मी में जब आप ट्रेनिंग लेते हैं, तब आप एक जनरल ऑफिसर की ट्रेनिंग लेते हैं. पूरी तरीके से लेडी अफसर को भी ऐसे ट्रेंड किया गया था कि आप एक आर्मी ऑफिसर हैं. उसके बाद असली रोल शुरू होता है. अपने काम के बारे में डॉ दिनिशा बताती हैं कि उनकी नौकरी का वर्किंग एरिया अलग-अलग जगह के हिसाब से तय होता था. वो आर्मी एजुकेशनल सेक्टर के लिए काम करती थीं.
Tags: Inspiring story, Local18FIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 12:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed