हाइलाइट्स अंडरवीयर का सबसे पुराना रूप लंगोटी है, इसे धागों और कपास से बनाया जाता था ये पूरी दुनिया में ईसापूर्व से ही प्रचलित थी, लिहाजा इसे सबसे पुराना कहना चाहिए बाद में यूरोप में कॉडपीस के तौर पर एक अश्लील अंडरगारमेंट भी पहना गया
अगर आप साथ की इस तस्वीर में जूट की बनी इस अंडरवीयर को देख रहे हैं. प्राचीन समय से मध्यकाल तक दुनियाभर में लोग ऐसी ही अंडरवीयर पहना करते थे, जो त्रिभुजाकार होती थी. जूट, कपास और धागे के कपड़े से बनती थी. मध्यकाल से ये बदली. अब आधुनिक अंडरवीयर्स और अंडरगारमेंट का जमाना है.
ये चित्र प्राचीन समय में पुरुषों के अंडरवीयर का है, जो उत्तरी टायरॉल के लेंगबर्ग कैसल में मिले. ये जगह अब आस्ट्रिया में है. माना जाता है कि ये 15वीं शताब्दी की शुरुआत के समय के हैं. जिन्हें हाथ से ही बनाया जाता था.
अब हम आपको बताते हैं कि प्राचीन मिस्र के लोग अंदर लंगोट के तरह की शेंटी पहनते थे तो रोमन लोग सबलिगकुलम पहनते थे. बाद में मध्यकाल में यूरोप में कॉडपीस की शुरुआत हुई. इससे वो अपने निजी अंगों को ढंकते थे.
क्या था अंडरवीयर का सबसे पहला रूप
अंडरवियर का सबसे पहला रूप लंगोटी था. जो लगता है कि प्राचीन काल में पूरी दुनिया में ही पहना जाता था. इसे महिला और पुरुषों द्वारा पहना जाता था. कपड़े की पट्टियों से बनी होती थी जिसे पैरों के बीच से होकर कमर के चारों ओर बांधा जाता था. भारत में प्राचीन काल में लंगोट ही पहनी जाती थी. प्राचीन कॉल की एक मूर्ति, जिसमें मूर्ति का पुरुष अंडरवीयर पहना हुआ है. ये अंडरवीयर मध्यकाल की लगती है.
इसे मिस्र में क्या कहा जाता था
प्राचीन मिस्र के लोग लिनेन के त्रिकोणीय आकार के कपड़े बनाते थे, जिनके सिरों पर तार लगे होते थे. आधुनिक पर्यवेक्षक इस लुक को किल्ट से जोड़ सकते हैं. इन शेंटी की लंबाई अलग-अलग होती थी. शेंटी को फिरौन और बाद में निम्न सामाजिक वर्गों के सदस्यों द्वारा पहना जाता था.
वो राजा जिसे 145 लंगोटियों के साथ दफनाया गया
आप हैरान हो सकते हैं कि लेकिन मिस्र के राजा टुट को वास्तव में 145 शेंटी यानि लंगोटियों के साथ दफनाया गया. कहा जा सकता है तब राजाओं के पास लंगोटियों का बड़ा संग्रह होता रहा होगा.
कहा जाता है कि मिस्र का ये फिरौन सिंहासन पर केवल 9 या 10 साल रहने के बाद 19 साल की उम्र में मर गया. उसे उसके कुछ कपड़ों के साथ दफनाया गया.
मकबरे में पाए गए प्राचीन वस्त्रों में 100 सैंडल, 12 ट्यूनिक्स, 28 दस्ताने, 25 सिर ढकने वाले कपड़े, चार मोज़े और बुने हुए लिनन के त्रिकोणीय आकार क 145 लंगोटियां थीं, जिन्हें तब मिस्र में पुरुष और महिला दोनों पहनते थे. हेनरी अष्टम जो कॉडपीस पहने हुए हैं. 15वीं सदी के आसपास ब्रिटेन और यूरोप में इस तरह का अंडरगारमेंट पुरुष खूब पहना करते थे, जिससे अपनी मर्दांगी का भी प्रदर्शन करते थे. बाद में इसकी विदाई हो गई.
कपड़ा इतिहासकारों के अनुसार, एक साधारण मिस्र के लिनन लंगोटी की बुनाई में प्रति इंच 37 से 60 धागे होते थे, लेकिन राजा तुत के अधोवस्त्र में प्रति इंच 200 धागे थे, जिससे कपड़ा रेशम जैसी कोमलता देता था. किसी राजा को इतनी लंगोटियों के साथ दफनाये जाने का ये अकेला मामला है.
प्राचीन रोमवासियों के पास अंगरखा, टोगा या लबादे के नीचे पहनने के लिए अपने खुद के अंडरगारमेंट्स थे. ये दूसरी शताब्दी के मध्य में पहने जाते थे. इसका मतलब ये है कि अंडरगारमेंट का इतिहास हमारी समझ से कहीं ज्यादा पुराना है.
फिर मध्ययुग में क्या पहना जाने लगा
मध्य युग के दौरान, सेल्ट्स और जर्मनिक जनजाति के लोग बैगी अंडरशॉर्ट्स पहनते थे जिन्हें ब्राईज़ कहा जाता था. पुरुष अपनी ब्राईज़ को थामे रखने के लिए बेल्ट या स्ट्रिंग का इस्तेमाल करते थे. 15वीं सदी में यूरोप में इन अंडरगारमेंट्स की जगह अधिक बड़े कॉडपीस ने ले ली, जो न केवल पुरुषों के गुप्तांगों को ढकने के लिए बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी डिजाइन किए गए थे.
क्या होते थे कॉडपीस अंडरवीयर
कॉडपीस को सख्त सामग्री से बनाया जाता था, सजाया जाता था. किसी की मर्दानगी का संकेत देने के लिए उसे बड़ा बनाया जाता था. शुरू में कॉडपीस स्टील से बनाए जाते थे. कवच में जोड़े जाते थे. जिससे युद्ध के मैदान में शूरवीरों की प्रचनन क्षमता की रक्षा हो सका.
इटली के फ्लोरेंस की गलियों में उन्हें सैको के नाम से जाना जाता था. पेरिस में ब्रैगेट्स कहा जाता था. , युवा पुरुष इनके साथ घूमते थे. ये अपने आकार प्नकार और फूली हुई आकृति के कारण अलग ही नजर आते थे. कपड़ों के बीच इन्हें इस तरह पहना जाता था कि ये नजर आएं. लिहाजा इन्हें पहनकर कोई भी जब कहीं जाता था तो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता था. मजे कि बात है कि कॉडपीस की शुरुआत शालीनता वाले उपकरण के रूप में शुरू हुआ था लेकिन बाद में अश्लीलता का प्रदर्शन करने लगा. शब्द “कॉडपीस” पुरानी अंग्रेजी “कॉड” से आया है, जिसका अर्थ है “अंडकोश”.
कितनी पुरानी है लंगोटी
तो कहा जा सकता है कि अंडरवियर का सबसे पहला ज्ञात रूप प्राचीन मिस्र में मिला. इसके अनुसार वहां 4,400 ईसा पूर्व में लंगोटी पहनी जाती थी. ये वस्त्र आमतौर पर लिनन से बनाए जाते थे. मध्य युग के दौरान, पुरुष शुरुआती बॉक्सर शॉर्ट्स जैसे कपड़े पहनते थे, जबकि महिलाओं के अंडरगारमेंट अधिक जटिल होते थे. अक्सर कोर्सेट और कपड़ों की परतें शामिल होती थीं.
बाद में पुरुषों और महिलाओं के लिए पैंटालून आए
19वीं सदी की शुरुआत में पैंटालून पुरुषों और महिलाओं के लिए किसी भी पोशाक का एक व्यावहारिक हिस्सा बन गया, जो मुख्य बाहरी कपड़ों के अंदर चिपके हुए पहने जाते थे, वो गंदगी और पसीने को सोखकर बाहरी कपड़ों को साफ रखते थे. इसके बाद ही कहीं ज्यादा आधुनिक अंडरवीयर और ब्रा डिजाइन हुए. जब साइकल आईं तो उस समय उन्हें चलाने के लिए अंदर बॉक्सर जैसे कपड़े आने लगे.
1928 में आर्थर नीबलर को कूपर अंडरवीयर कंपनी ने काम पर रखा, जहां परिधान इंजीनियर के तौर पर उसने जॉकस्ट्रैप की शैली में अंडरवियर ब्रीफ बनाए. 1935 में नीबलर के जॉकी शॉर्ट्स तुरंत हिट हो गए.
अब आरामदायक अंडरवीयर
भारत में जांघिए जैसा अंडरवियर 19वीं सदी में ही प्रचलित हुआ लेकिन 1950 और 1960 के दशक में अंडरवियर ऐसे आने लगे जो अंदर पहने जाने वाले अंडरगारमेंट के तौर पर ज्यादा आरामदायक और बेहतर थे. तब तक इनके रंग और नए तरह के कपड़ों का विकास भी हुआ.
Tags: Designer clothesFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 12:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed