Explainer : आने वाली 500 करोड़ की फिल्म PS-1 का क्या नाता ताकतवर चोल राजा से
Explainer : आने वाली 500 करोड़ की फिल्म PS-1 का क्या नाता ताकतवर चोल राजा से
30 सितंबर 2022 को 500 करोड़ की लागत से बनी निर्देशक मणि रत्नम की मेगा फिल्म पोननियन सेल्वन यानि PS-1 रिलीज होने वाली है. इसकी चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. इस फिल्म में चोल साम्राज्य के सबसे ताकतवर सम्राट राजाराजा चोल की कहानी है, खासकर उनके बाल्यकाल और युवावस्था के शौर्य की, इस फिल्म को बहुत भव्य तरीके से फिल्माया गया है तो इसमें जबरदस्त तरीके से स्पेशल इफेक्ट्स डाले गए हैं.
हाइलाइट्सये फिल्म पराक्रमी चोल सम्राट राजाराजा चोल की कहानी कहती हैइस ऐतिहासिक फिल्म की शूटिंग दक्षिण भारत, श्रीलंका और थाईलैंड में हुई चोल वंश दक्षिण भारत का ऐसा राजवंश था, जिसने अपने साम्राज्य को बाहर भी फैलाया
इन दिनों दक्षिण भारत की एपिक फिल्मों की धूम उत्तर भारत या यों कहें पूरे देश में है. बाहुबली की सफलता के बाद साउथ की बड़े बजट की फिल्में खूब हिट हो रही हैं. आमतौर पर ये फिल्में इतिहास, राजाओं या शख्सियतों की सच्ची कहानी से प्रेरणा लेकर रूपहले पर्दे पर बहुत जबदस्तर तरीके से फिल्माई गई हैं. इसी तरह की एक फिल्म इन दिनों रिलीज से पहले ही चर्चा में है. इसका नाम है PS-1 मतलब पोनियन सेलवन पार्ट 1. इसे देश की दूसरी बड़ी फिल्म बताया जा रहा है. दरअसल ये फिल्म महान चोल सम्राट राजाराजा चोला पर आधारित है, जिसने कमजोर पड़ चुके चोल साम्राज्य में ना केवल जान फूंकी बल्कि उसे फिर से ताकतवर साम्राज्य में बदला.
हम इस महान सम्राट और चोल साम्राज्य के बारे में बताएंगे लेकिन उससे पहले बता दें कि ये फिल्म कौन बना रहा है. इसमें कौन एक्टर काम कर रहे हैं. ये भारत की दूसरी सबसे महंगी फिल्म है. PS-1 का बजट 500 करोड़ रुपए है. इसके निर्देशक मणिरत्नम हैं. इसमें ऐश्वर्या राय बच्चन और विक्रम चियान जैसे एक्टर हैं. साथ ही कार्थी, तृषा कृष्णन और शोभिता धुलिपाला जैसे कलाकार. अमिताभ बच्चन इसमें छोटे रोल में नज़र आ सकते हैं. इसमें बड़े पैमाने पर स्पेशल इफेक्ट्स के लिए VFX और ग्राफिक्स का इस्तेमाल हुआ है.
बचपन से पराक्रमी और कुशाग्र
जैसे हमारे यहां चंद्रगुप्त मौर्य के सम्राट बनने से पहले तक उनके शौर्यपूर्ण बचपन की तमाम कहानियां प्रचलित हैं. उसी तरह महान चोल सम्राट राजाराजा चोल की कहानियां हैंं, जिनके बचपन और युवावस्था में पराक्रम, असाधारण शौर्य और पैनी बुद्धि नजर आती है. मणिरत्नम ने फिल्म का विषय उसी को बनाते हुए उसे भव्य तरीके से कैनवास पर पेश किया है. इसी नायक को पोननियन सेल्वन के नाम से पर्दे पर उतारा कर दर्शकों तक पहुंचाया जाने वाला है. पराक्रमी चोल राजा राजाराजा चोल का बहुत प्राचीन चित्र . (विकीकामंस)
इस चोल राजा ने बदल दी वंश की किस्मत
दरअसल चोल राजा राजाराजा चोल पर दक्षिण भारत के जाने माने लेखक कल्कि कृष्णामूर्ति ने कई हिस्सों में पोननियन सेल्वन के नाम से हिट नॉवेल लिखा था. फिल्म उसी पर बनी है. फिल्म राजकुमार अरुलमोजिवर्मन के शुरुआती दिनों की कहानी कहती है, जिसके बाद वह महान चोल सम्राट राज राज चोला बनते हैं. उसका शासन काल 947 ईंस्वी से 1014 ईंस्वी यानि 67 सालों तक होता है. इसी समय दक्षिण भारत एक कमजोर हो चुके चोल वंश को बहुत ताकतवर होते हुए देखता है. इस उपन्यास को पहले भी फिल्मी पर्दे पर उतारने की कोशिश तो हुई लेकिन बात बन नहीं पाई.
सबसे ताकतवर राजा
राजा राजाराजा चोला को चोल वंश का सबसे ताकतवर राजा कहा जाता है. उनके समय में चोल साम्राज्य खूब फलाफूला और विस्तार लेता गया. केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि हिंद महासागर को पार करते दूसरे देशों तक भी ये साम्राज्य फैला. चोल राजा राजाराजा 10वीं सदी में बनाई गई प्रतिमा. इस प्रतिमा से जाहिर है कि उस जमाने में चोल साम्राज्य के दौरान मूर्ति कला कितनी विकसित हो चुकी थी.
क्या था चोल वंश
चोल प्राचीन भारत का एक राजवंश था. दक्षिण भारत समेत पास के कई देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया, जिसके निशान और पुरानी भव्य इमारतें अब भी मिलती हैं. चोलों का उल्लेख बहुत प्राचीन काल से मिलता है. अशोक के अभिलेखों में इसका उल्लेख है.
इस वंश की स्थापना विजयालय में 850 ईंस्वी में की थी. ये वंश 400 से ज्यादा सालों तक शासन करता रहा. हालांकि स्थापना के बाद जब विजयालय का देहांत हुआ तो इस कुल में परांतक नाम का पराक्रमी राजा हुआ था लेकिन अंतिम दिनों में उसे कई हार का सामना करना पड़ा. चोल साम्राज्य की नींव हिलने लगी. तब राजा राज राज चोल ने खुद को ना केवल स्थापित किया बल्कि एक के बाद एक जीत हासिल कर तमाम राज्यों को साम्राज्य में मिलाना शुरू कर दिया. इसके बाद तो इस वंश ने खूब लंबे समय तक राज किया.
नटराज की कांस्य प्रतिमा इसी वंश के दौरान बनी
अभिलेखों से पता चलता है कि चोल साम्राज्य में शासन सुसंगठित था. राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी राजा, मंत्रियों एवं राज्याधिकारियों की सलाह से शासन करता था. सारा राज्य कई मंडलों में बंटा था. मंडल कोट्टम् या बलनाडुओं इकाईयों में बंटे थे. फिर नाडु (जिला), कुर्रम् (ग्रामसमूह) एवं ग्रामम् थे. इनका शासन जनसभाएं करती थीं. इन्हें काफी ताकत हासिल होती थी.
चोल शासक प्रसिद्ध भवननिर्माता थे. सिंचाई की व्यवस्था, राजमार्गों के निर्माण के अलावा उन्होंने बड़े नगरों और विशाल मंदिर बनवाए. तंजौर मंदिर उन्हीं का बनवाया हुआ है. मूर्तिकला का खूब विकास हुआ. कांस्य और दूसरी धातुओं से सजीव और कलात्मक मूर्तियां बनने लगीं. नृत्य करते नटराज की कांस्य प्रतिमा इसी साम्राज्य की देन है. साहित्य में उन्नति हुई. कई प्रसिद्ध महाकाव्य और ग्रंथों की रचना हुई.
कुल मिलाकर लगता है कि चोल वंश में राजशाही के तहत लोकतांत्रिक प्रणाली भी फलीफूली. खुशहाली और सांस्कृतिक चेतना के साथ बेहतर प्रशासन इस वंश की देन थी. चोल वंश के सबसे प्रतापी राजा, जिन पर पोननियन सेल्वन नाम से मणि रत्नम फिल्म बनाकर रिलीज करने वाले हैं. उनका साम्राज्य कलिंग से लेकर पूरे दक्षिण भारत और श्रीलंका, मालदीव तक फैला हुआ था. (विकीकामंस)
कौन सा धर्म मानते थे चोल राजा
चोल सम्राट शिव के उपासक थे लेकिन उनकी नीति धार्मिक सहिष्णुता की थी. उन्होंने बौद्धों को भी दान दिया. जैन भी शांतिपूर्वक धर्म का पालन और प्रचार करते थे. तमिल साहित्य के इतिहास में चोल शासनकाल को ‘स्वर्ण युग’ की संज्ञा दी जाती है.
अब बात फिल्म के नायक राजा की
राजा राजराज चोल दक्षिण भारत के चोल राजवंश के महान सम्राट थे. उनके शासन में चोलों ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में कलिंग तक साम्राज्य फैलाया.राजराज चोल ने कई नौसैन्य अभियान भी चलाये, जिसके फलस्वरूप मालाबार तट, मालदीव तथा श्रीलंका को अपने कब्जे में ले लिया.
उनका मूल नाम अरुलमोली था जिसे अरुलमोझी भी कहा गया. कहा जाता है कि अरुलमोली ने राजाराजा खुद रखा इसका मतलब था राजाओं का राजा. तजौर में ब्रिहदिश्वरा मंदिर जिसको राजा राजाराजा ने बनवाया था. 10वीं सदी में बना ये विशाल मंदिर आज भी वैसा ही खड़ा है. अब यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल है.
बहुत ताकतवर नौसेना बनाई थी
जिस तरह से राजा राजाराजा चोल ने हिंदमहासागर के कई देशों में युद्ध लड़कर विजय हासिल की, उससे जाहिर है कि उसकी नौसेना समय से कहीं आगे की थी और बहुत व्यवस्थित होने के साथ जरूरी हथियारों से लैस थे. नौसेना में बहुत कुशल नाविक थे.
कई शादियां की थीं राजाराजा ने
राजाराजा ने कई महिलाओं से शादी रचाई थी. कम से कम एक दर्जन खूबसूरत रानियों का उल्लेख मिलता है. लेकिन इतनी रानियों के बावजूद उसकी संतानें कम थीं. उसके तीन बेटियां और दो बेटे थे. बड़े बेटे का नाम राजेंद्र था, जो बाद में चोल वंश का पराक्रमी शासक बना. उसकी बड़ी बहन कुणालदेवाई प्रशासन और मंदिरों के प्रबंधन में उसकी मदद करती थी.
चोल वंश की खास बातें ये भी
– चोलों के विषय में पहली जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से मिलती है
– चोल वंश के विषय में जानकारी के अन्य स्रोत हैं – कात्यायन कृत ‘वार्तिक’, ‘महाभारत’, ‘संगम साहित्य’, ‘पेरिप्लस ऑफ़ दी इरीथ्रियन सी’ और टॉलमी का उल्लेख.
– चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमण्डल, त्रिचनापली एवं तंजौर तक फैला था.
– इस राज्य की कोई एक स्थाई राजधानी नहीं थी.
– साक्ष्यों के आधार पर माना जाता है कि, इनकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी. फिर ‘उरैयुर’ तथा ‘तंजावुर’ चोलों की राजधानी बनी.
– चोलों का शासकीय चिह्न बाघ था.
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Tags: Mani ratnam, South Indian Films, South Indian MoviesFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 13:50 IST