रिटायर होने के बाद क्या करते रहे हैं भारतीय राष्ट्रपति

देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रिटायर हो गए. भारत में आमतौर पर राष्ट्रपति रिटायर होने के बाद या तो नई दिल्ली में अलाट हुए सरकारी बंगले में रहना पसंद करते हैं या फिर गृह जनपद चले जाते हैं. कुछ राष्ट्रपति तो रिटायर होने के बाद लेक्चर देने और किताबें लिखने में काफी सक्रिय रहे. कुछ नहीं

रिटायर होने के बाद क्या करते रहे हैं भारतीय राष्ट्रपति
हाइलाइट्सराधाकृष्णन रिटायर होकर मद्रास चले गए. लेक्चर देने लगे और कई चीजों में सक्रिय रहते थेवेंकटरमन ने कार्यकाल खत्म होने के बाद 03 किताबें लिखीं, तीनों चर्चित रहींप्रतिभा पाटिल रिटायर होने के बाद सरकारी आवास में पुणे में रहती हैं बहुत सक्रिय नहीं हैं रामनाम कोविंद पांच साल तक राष्ट्रपति की भूमिका निभाने के बाद अब रिटायर हो चुके हैं. वह अब अपना समय दिल्ली में पृथ्वीराज रोड स्थित बड़े बंगले में एक सीमित स्टाफ के साथ गुजारेंगे. अभी तक उन्होेंने जाहिर नहीं किया है कि वह अब अपने समय का उपयोग कैसे करना चाहेंगे. वह भारत के 14वें राष्ट्रपति थे. क्या आपको मालूम है कि उनसे पहले के राष्ट्रपति रिटायर होने के बाद क्या करते थे. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अब तक के अकेले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 1952 से लेकर 1962 तक दो टर्म पूरे किए. इसके बाद वो रिटायर होकर पटना के सदाकत आश्रम चले गए. जब वो राष्ट्रपति भवन से गए तो केवल अपने जरूरी सामानों के साथ विदा हुए. सदाकत आश्रम में जाने के बाद उनकी योजना अपने राष्ट्रपति कार्यकाल पर किताब लिखने की थी लेकिन वो गंभीर तौर पर बीमार रहने लगे. रिटायर होने के कुछ ही महीनों बाद 78 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. राधाकृष्णन रिटायर होने के बाद भी मुखर रहते थे डॉक्टर राधाकृष्ण अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धी के दार्शनिक थे. उन्होंने एक से एक चर्चित किताबें लिखीं. जब वो राष्ट्रपति थे, उस दौरान भी उनकी एक दो किताबें प्रकाशित हुईं. 1967 में रिटायर होने के बाद वह मद्रास (अब चेन्नई) चले गए. अपने निजी घर में रहने लगे. हालांकि जब वह रिटायर हुए तब उनकी उम्र 79 वर्ष थी लेकिन इसके बाद भी वो काफी सक्रिय रहते थे. उन्हें लेक्चर और सेमिनारों में बुलाया जाता था. वह वहां जाते थे. राधाकृष्णन रिटायरमेंट के बाद ऐसे पूर्व राष्ट्रपतियों में थे जो विभिन्न मुद्दों पर मुखर भी रहते थे और विभिन्न कामों में सक्रिय भी रहते थे. (विकीकॉमंस) आमतौर पर राष्ट्रपति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने से बचते हैं. लेकिन राधाकृष्णन हमेशा खुलकर बोलते थे. वह इतने सक्रिय रहते थे कि वियतनाम में एक शांति समझौता कराने के लिए जाने को तैयार थे. उसमें उन्होंने भूमिका भी निभाई थी. 86 साल की उम्र में हृदयगति रुकने से उनका निधन हुआ. वीवी गिरी ने चेन्नई में शांत जीवन गुजारा राधाकृष्णन के बाद डॉक्टर जाकिर हुसैन राष्ट्रपति बने. वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षाविद और इकोनामिस्ट के तौर पर प्रसिद्ध थे लेकिन कार्यकाल के बीच में ही हार्टअटैक से उनका निधन हो गया. उनके बाद वीवी गिरी राष्ट्रपति बने, जो देश-विदेश में श्रमिक अधिकारों पर काम के लिए जाने जाते थे. उनका जन्म मद्रास में हुआ था. 1974 में जब उनका कार्यकाल खत्म हुआ तो वह 80 साल के थे. वह मद्रास में अपने निजी घर में रहने के लिए चले गए. वह आमतौर पर घऱ पर ही शांत जीवन गुजारते थे. 86 साल की उम्र में हृदयाघात से उनका निधन हुआ. नीलम संजीव रेड्डी गृह जनपद चले गए नीलम संजीव रेड्डी जब राष्ट्रपति पद से 1982 में रिटायर हुए तो वह कमोवेश दूसरे राष्ट्रपतियों की तुलना में कम उम्र के कहे जाएंगे. तब वह 69 साल के थे. वह रिटायर होने के बाद आंध्र प्रदेश के अपने गृह जनपद अनंतपुर चले गए. वहां सरकार ने उनके लिए तीन बेडरूम का एक घर बनवाया. जिसमें वह रहने लगे. वह हल्के फुल्के तौर पर सक्रिय रहते थे लेकिन उन्होंने अपना बाकि जीवन पढ़ने लिखने और परिवार के बीच बिता दिया. उनका पैतृक गांव इलुरू उनके इस घर नाग विहार से 30 किलोमीटर दूर था. वह अक्सर वहां भी चले जाते थे. वहां उनका फॉर्महाउस था. जिसकी गतिविधियों में वह सक्रिय रहते थे. भारत के आठवें राष्ट्रपति आर वेंकटरमन राष्ट्रपति भवन में पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी से मिलते हुए. (courtesy – rashtrapati sachivalaya) वैसे जब रेड्डी ने पद का कार्यकाल खत्म किया तो उन्होंने विदाई भाषण में पूर्ववर्ती सरकारों की इसलिए आलोचना की कि वो जनता के जीवनस्तर को बेहतर नहीं कर पाईं. उन्होंने रिटायर होने के बाद अपने कार्यकाल पर एक किताब भी लिखी. इस किताब का नाम था विदआउट फीयर आर फेवर-रिमिनिसेंसेज एंड रिफलेक्शंस ऑफ ए प्रेसीडेंट. 83 साल की उम्र में 1996 में बेंगलुरु के एक अस्पताल में न्यूमोनिया से उनकी मृत्यु हो गई. जैल सिंह लगातार अपने गांव जाते रहते थे जैल सिंह जब 1989 में राष्ट्रपति पद से विदा हुए तो बहुत कटुता वाला माहौल था. क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनके रिश्ते बहुत खराब हो गए थे. उन्होंने दिल्ली में ही बसने का फैसला किया. सरकार ने उन्हें बंगला अलाट किया. लेकिन वो पंजाब के कार्यक्रमों में सक्रिय रहते थे. अपने करतारपुर के गांव भी काफी जाते थे. एक बार अपने गांव से लौटते समय ही उन्हें सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं. वह चंडीगढ़ के पीजीआई में एक महीने से ज्यादा कोमा की स्थिति में रहे. इसी दौरान उनकी मृत्यु भी हुई. रिटायर होकर वेंकटरमन के तीन चर्चित किताबें लिखीं आर वेंकटरमन को काफी सक्षम और संविधान विशेषज्ञ राष्ट्रपति के तौर पर जाना जाता था. वह जब 1994 में रिटायर हुए तो मद्रास में जाकर गृह जनपद में रहने का फैसला किया. वहां उनके पास तीन मकान थे लेकिन इसके बाद भी उन्होंने जब लंबे चौड़े सरकारी आवास में जाने का फैसला किया और इसके रेनोवेशन में अन्नाद्रमुक की राज्य सरकार ने अच्छा खासा धन खर्च किया तो द्रमुक के नेता करुणानिधि ने इसकी कड़ी आलोचना की. जब आठवें राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन पद से हटे तो उन्होंने एक आत्मकथात्मक किताब लिखी माई प्रेसीडेंशियल ईयर्स. इस किताब में तमाम ऐसे खुलासे थे, जिससे 90 के दशक की शुरुआत में भारतीय राजनीति में सनसनी फैल गई. उन्होंने आरोप लगाया कि वेंकटरमन अपने वीवीआईपी एरिया में बने इन तीनों मकानों के लिए मोटा किराया पा रहे हैं और सरकारी मकान में भी उन्होंने काफी खर्च कराया है. तब इस सरकारी बंगले की रंगत बदलने और सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए 15 लाख रुपए खर्च हुए थे. वेंकटरमन ने इस पर चुप रहना ही बेहतर समझा. उन्होंने रिटायर होने के बाद अपने कार्यकाल पर एक किताब लिखी – माई प्रेसीडेंशियल ईयर्स. जो काफी धमाकेदार और चर्चित किताब रही. इसके बाद उन्होंने दो किताबें और लिखीं. वह सबसे लंबा जीने वाले राष्ट्रपति रहे. वर्ष 2009 में जब उनका निधन हुआ तो वह 98 वर्ष के थे. कई गंभीर बीमारियों के बाद उन्हें दिल्ली के आर्मी हास्पिटल में इलाज के लिए लाया गया था लेकिन वह नहीं बच सके. उनका निधन गणतंत्र दिवस के दिन हुआ. शंकर दयाल शर्मा बीमार रहने लगे थे शंकर दयाल शर्मा का कार्यकाल 1997 में खत्म हुआ. वह राष्ट्रपति रहने के दौरान ही कई बीमारियों से घिर चुके थे. कार्यकाल खत्म होने के बाद वह सरकार द्वारा अलाट किए गए सरकारी बंगले में नई दिल्ली में ही रहने लगे लेकिन बीमारियों की वजह से वह बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहे. 1999 में तगड़े हार्टअटैक ने उनकी जान ले ली. उनका निधन 81 साल की उम्र में हुआ. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम रिटायर होने के बाद दिल्ली में रहने लगे. हालांकि वह बहुत एक्टिव रहते थे. लगातार विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर देशभर के कॉलेजों में स्टूडेंट्स से रू-ब-रू होते थे. (फोटो सोशल मीडिया) केआर नारायण ने अपनी संपत्ति आश्रम को दान दे दी  अगले राष्ट्पति केआर नारायण जाने माने राजनयिक और शिक्षाविद थे. रिटायर होने के बाद वह दिल्ली में ही सरकार से अलाट बंगले में रहने लगे. वह कई तरह की संस्थाओं के साथ सक्रिय रहे. उन्होंने अपनी पैतृक संपत्ति किसी आश्रम को दान में दे दी थी. कलाम लगातार कॉलेजों में लेक्चर लेने जाते थे मिसाइलमैन एपीजे कलाम दो सूटकेस लेकर वर्ष 2002 में राष्ट्रपति भवन गए थे जब वह रिटायर हुए तो यही दो सूटकेस लेकर वहां से विदा हुए. जिसमें से एक में किताबें और एक में उनके कपड़े थे. रिटायर होने के बाद वह किसी बंगले में जाने की बजाए एक हास्टल में चले गए. वहीं दो कमरों में रहने लगे. कलाम काफी एक्टिव रहते थे. प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल 2017 में खत्म हुआ. उसके बाद वो सक्रिय रहे. ना केवल उनके सरकारी बंगले पर मुलाकातियों की भीड़ होती थी बल्कि वो तमाम कार्यक्रमों में आमंत्रित होते थे. उन्होंने एक किताब भी लिखी. (विकी कामंस) वह लगातार आईआईएम और आईआईएससी ही नहीं कई शिक्षा संस्थानों में जाकर छात्रों को लेक्चर देते थे. आईआईएम शिलांग में एक लेक्चर के दौरान ही 2015 में वह यकायक गिरे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन कार्डिक अरेस्ट के बाद उनका निधन हो गया. वह अंतिम क्षणों तक सक्रिय रहने वाले राष्ट्रपति थे. उन्होंने रिटायर होने के बाद बेस्ट सेलर बुक्स भी लिखीं. प्रतिभा पाटिल अपने रिटायरमेंट आवास को लेकर विवादों में थीं उनके बाद राष्ट्रपति बनने वाली प्रतिभा पाटिल रिटायर होने के बाद तब आलोचना में आ गईं. जब पुणे में उन्होंने बड़ी लागत से अपने लिए रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए घर तैयार कराना शुरू किया. हालांकि जब इसकी मीडिया में आलोचना होने लगी तो उन्होंने उस घर में जान की बजाए एक सरकारी घर की ओर रुख किया. हालांकि ये घर भी काफी लंबा चौड़ा है. पाटिल यहीं रहती हैं. वह सार्वजनिक तौर पर बहुत सक्रिय नहीं रहतीं. प्रणब भी सक्रिय रहे, किताब भी लिखी प्रणब मुखर्जी 14वें राष्ट्पति थे. वह वर्ष 2017 में जब रिटायर हुए तो नई दिल्ली के एक बड़े सरकारी आवास में शिफ्ट हो गए. प्रणब काफी सक्रिय रहते थे. उन्हें ना केवल तमाम कार्यक्रमों में बुलाया जाता था बल्कि वो इसमें सहर्ष जाते थे. दिल्ली में उनके घर पर भी मुलाकातियों का तांता लगा रहता था. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद एक किताब भी लिखी, जो उनकी राजनीतिक यात्रा के अनुभवों पर थी. ये काफी चर्चित किताब रही. हालांकि 2020 में वह गंभीर तौर पर बीमार हुए और उन्हें बचाया नहीं जा सका. 84 साल की उम्र में उनका निधन हुआ. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Draupadi murmu, President of India, Ram Nath Kovind, Rashtrapati bhawanFIRST PUBLISHED : July 25, 2022, 12:21 IST