Explainer : राष्ट्रपति चुनावों में क्रासवोटिंग करने वालों का क्या होगा क्या हैं प्रावधान
Explainer : राष्ट्रपति चुनावों में क्रासवोटिंग करने वालों का क्या होगा क्या हैं प्रावधान
18 जुलाई को जब राष्ट्रपति चुनावों के लिए वोटिंग हुई . इन चुनावों में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकतीं. लिहाजा देशभर में जमकर क्रासवोटिंग हुई. एक अनुमान के अनुसार इस चुनाव में एनडीए प्रत्याशी के लिए यूपीए अन्य विपक्षी दलों की ओर से 125 विधायकों और 17 सांसदों ने क्रासवोटिंग की. जानते हैं क्या है क्रासवोटिंग औऱ ऐसा करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है.
हाइलाइट्सराष्ट्रपति चुनावों में जमकर क्रासवोटिंग लेकिन ऐसा करने वालों पर कार्रवाई आसान नहींइन चुनावों में कोई भी सियासी पार्टी व्हिप जारी नहीं कर सकती, ये सदन की कार्रवाई से अलगअगर पार्टियां किसी नेता पर कार्रवाई भी करें तो उसकी सदन की सदस्यता ले नहीं सकतीं
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने जबरदस्त जीत हासिल की है. अपेक्षा के विपरीत उन्हें ज्यादा वोट मिले. इसका मतलब ये हुआ कि पूरे देश में उनके पक्ष में पार्टी के लोगों ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ जाकर मुर्मू को वोट दिया है. जब आप अपनी पार्टी की बजाए दूसरी पार्टी को वोट करते हैं तो ये क्रास वोटिंग होती है. ऐसी स्थिति में क्रास वोटिंग करने वाले नेताओं पर पार्टियां एक्शन ले सकती हैं लेकिन क्या इतना आसान है.
माना जा रहा है कि पूरे देश के कई राज्यों में एनडीए प्रत्याशी मुर्मू के पक्ष में क्रासवोटिंग हुई. अनुमान के अनुसार 125 के आसपास विधायकों और 17 सांसदों ने पार्टीलाइन के खिलाफ वोटिंग की. अब बड़ा सवाल यही है कि क्या पार्टियां ऐसा करने वालों को दंडित करेंगी. क्या ऐसा कोई प्रावधान है. अगर वो ऐसा करती हैं तो इसकी प्रक्रिया क्या है.
सवाल – क्या होती है क्रासवोटिंग?
– इसका सीधा सा मतलब है कि अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर दूसरी पार्टी के पक्ष में वोट करना. आमतौर पर दुनियाभर में राजनीतिक दलों के बीच संसद या महत्वपूर्ण मामलों में क्रासवोटिंग के उदाहरण हैं. हालांकि पार्टियां इसे व्हिप से रोकने की कोशिश करती हैं लेकिन उसमें भी कई बार सफलता नहीं मिलती. निश्चित तौर पर अगर ये साबित हो जाए कि पार्टी का कोई नेता पार्टी हितों के खिलाफ गया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है लेकिन ये इतना आसान है नहीं.
हाल ही में राज्यसभा चुनावों में ऐसा देखा गया है. हरियाणा के कुलदीप विश्नोई ने राज्यसभा चुनावों में क्रास वोटिंग की थी, इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें सभी पदों से बर्खास्त कर दिया. राष्ट्रपति चुनावों में तो ये अक्सर ही होता है. देश की नई राष्ट्रपति पदभार 25 जुलाई को संभालेंगी लेकिन राष्ट्रपति चुनाव बताता है कि उन्होंने अपेक्षा से कहीं ज्यादा वोट हासिल किए हैं. उनके पक्ष में जमकर क्रासवोटिंग हुई है. (फोटो PIB)
सवाल – क्या राष्ट्रपति चुनावों में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकतीं?
– ये प्रावधान है कि भारत में राष्ट्रपति चुनावों में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकतीं. क्योंकि राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनावों को सदन की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं माना जाता. इसमें सांसद या विधायक अपनी इच्छा से वोट कर सकते हैं लेकिन उनसे अपेक्षा की जाती है कि वो पार्टीलाइन पर ही वोट दें.
राष्ट्रपति चुनाव में किसी वोटर का वोट करना या न करना पूरी तरह वोट देने वाली की इच्छा पर निर्भर करता है. ये दल-बदल विरोधी कानून के तहत नहीं आता है.
सवाल – इसका मतलब ये है कि क्रासवोटिंग करने पर पार्टियां कार्रवाई नहीं कर सकतीं?
– पार्टियां कार्रवाई बेशक कर सकती हैं लेकिन उनकी जो भी कार्रवाई होगी, वो संविधान या प्रावधानों के दायरे में नहीं आती. वो जो भी कार्रवाई करेंगी, वो उनका अपना अंदरूनी मसला होगा. उसमें अगर वो ये चिन्हित कर लेती हैं कि इन नेताओं ने क्रासवोटिंग की तो उन्हें कारण बताओ नोटिस दे सकती हैं और जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उसे पार्टी से निलंबित या बर्खास्त कर सकती हैं.
सवाल – क्या राष्टपति चुनावों में क्रासवोटिंग करने वाले नेता चिन्हित हो सकते हैं?
– सच कहें तो ऐसे नेताओं को चिन्हित कर पाना आसान नहीं होता. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव सीक्रेट बैलेट बॉक्स के जरिए होता है, लिहाजा वो किसको वोट दे रहे हैं ये गुप्त ही रहता है लेकिन कई बार वोटिंग स्थल पर पार्टी का सचेतक वोट देने वाले नेताओं का जायजा लेता रहता है. हालांकि वो इस बात का अधिकारी नहीं होता कि उनके मतपत्रों को देखे. वैसे तो सियासी दल सदन में तमाम कार्यवाहियों के लिए व्हिप जारी कर सकती हैं लेकिन राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति चुनावों के लिए व्हिप जारी नहीं किया जा सकता है. (Image- RASHTRAPATI BHAVAN)
लेकिन इसके बाद भी पार्टी में अंदरूनी तौर पर इस बात का पता कई तरीकों से लगाया जा सकता है. कई बार इसका पता नहीं लगता. लिहाजा इन चुनावों में क्रासवोटिंग करने वालों के खिलाफ पार्टी बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं होती.
सवाल – क्या राष्ट्रपति चुनावों में अवैध मतदान और क्रास वोटिंग दोनों हुई है?
– हां ऐसा हुआ है. क्योंकि देशभर में कुछ विधायकों और सांसदों को मतपत्र में गलत अंकन करने या सही तरीके से मतदान प्रक्रिया का पालन नहीं करने का दोषी पाया गया तो उनके वोट निरस्त कर दिये गए. ये अवैध मतदान की श्रेणी में आता है. हालांकि कई बार ये काम भी पार्टी के नेता जानबूझकर विपक्षी उम्मीदवार को जिताने के लिए करते हैं. लेकिन क्रास वोटिंग अलग है, उसमें तो साफतौर पर पार्टी के खिलाफ जाकर विरोधी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिया जाता है.
सवाल – क्या ये सही है कि राष्ट्रपति चुनावों में क्रास वोटिंग करने वालों का पता लगाना आसान नहीं होता?
– हां, इस चुनावों में क्रास वोटिंग करने वालों का पता लगाना आसान नहीं होता, क्योंकि इस चुनाव में एक तो सीक्रेट तरीके से बैलेट बॉक्स में वोट डालना होता है और जब कोई वोट देने वोटिंग क्लोजर में जाता है तो उसे ना तो फॉलो किया जा सकता है औऱ ना ही उस पर नजर रखी जा सकती है.
सवाल – अगर पार्टी को पुख्ता तरीके से क्रास वोटिंग करने वालों का पता लग जाए तो क्या करती हैं?
– जाहिर है कि पार्टी उन पर कार्रवाई करेगी. उन्हें सबसे पहले कारण बताओ नोटिस जारी की जाएगी और उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उन्हें पार्टी से निकाल सकते हैं या निलंबित कर सकते हैं लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इस स्थिति में दोनों कार्रवाई की सूरत में उस नेता की सदन में सदस्यता पर कोई आंच नहीं आएगी. वह अगर सांसद है तो इस पद पर बना रहेगा और अगर विधायक है तो उसकी विधायकी जारी रहेगी.
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Tags: Congress Whip, Draupadi murmu, MLA Cross Voting, Presidential election 2022FIRST PUBLISHED : July 22, 2022, 13:14 IST