जब 81 साल पहले नेताजी ने अंडमान में पहली बार फहराया तिरंगा कैसे जीता यह द्वीप

First Time Tricolour Hoist : 30 दिसंबर 1943 को सुभाष ने पोर्ट ब्लेयर जाकर वहां तिरंगा फहराया. दूसरे विश्व युद्ध में जापान ने ये द्वीप ब्रिटेन से जीतकर उसपर कब्जा कर लिया. फिर इसे सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार को दे दिया गया.

जब 81 साल पहले नेताजी ने अंडमान में पहली बार फहराया तिरंगा कैसे जीता यह द्वीप
हाइलाइट्स सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराया यह द्वीप द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने ब्रिटेन से जीता था जापान ने बाद में यह द्वीप सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार को सौंप दिया 29 दिसंबर 1943 नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंडमान एंड निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर पर पहुंचे. वो 03 दिनों के लिए यहां आए थे. 30 दिसंबर 1943 को जिमखाना ग्राउंड पर नेताजी ने तिरंगा फहराया. आज इसकी 81वीं वर्षगांठ है. दूसरे वर्ल्ड वार में जापान ने इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था. 1942 में उनका इस पर कब्जा हुआ, जो 1945 तक बरकरार रहा. इसे 29 दिसंबर को उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार को सौंप दिया. हालांकि इस पर जापान का वास्तविक नियंत्रण बना रहा. पहले डच और फिर ब्रिटिश कब्जा, उसके बाद जापान का अधिपत्य वैसे इस द्वीप पर पहले हालैंड ने कब्जा किया था. फिर ब्रिटिश नियंत्रण में चला गया. फिर दूसरे विश्व युद्ध में जापानियों ने इसे जीत लिया. जब दूसरे विश्व युद्ध में जापान हारा तो ये वापस ब्रिटेन के पास आ गया. सुभाष ने अंडमान का नाम शहीद द्वीप रखा था जब सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को तिरंगा फहराया तो उन्होंने अंडमान का नाम शहीद और निकोबार का नाम स्वराज रखा. सुभाष ने जो तिरंगा फहराया था, वो कांग्रेस द्वारा अपनाया गया तिरंगा ही था, जिसके बीच की सफेद पट्टी पर चरखा बना था. इसके बाद आजाद हिंद सरकार ने जनरल लोकनाथन को यहां अपना गवर्नर बनाया. 1947 में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद ये भारत का केंद्र शासित प्रदेश है. नेताजी सुभाष चंद्र 29 दिसंबर 1943 को अंडमान निकोबार पहुंचे थे. जापान ने इस द्वीप को जीतने के बाद इसे आजाद हिंद सरकार को दे दिया था. (netaji research bureau ) नेताजी ने कहा था कि हम भारतीय भूमि पर होंगे नेताजी ने इससे पहले जापान और सिंगापुर में अपने भाषणों में कहा भी था कि इस साल के आखिर तक आजाद हिंद फौज भारतीय धरती पर कदम जरूर रखेगी. जब पोर्ट ब्लेयर पहुंचे तो उन्होंने सेल्यूलर जेल जाकर यहां एक जमाने में बंदी बनाए गए भारतीय क्रांतिकारियों और शहीदों के प्रति श्रृद्धांजलि भी व्यक्त की. फिर सुभाष ने क्या भाषण दिया था अंडमान पर भारतीय तिरंगा फहराने के बाद सुभाष 03 दिन यहां रहे. 01 जनवरी को वो सिंगापुर पहुंचे. सिंगापुर में उन्होंने भाषण में कहा, आजाद हिंद फौज हिंदुस्तान में क्रांति की वो ज्वाला जगाएगी, जिसमें अंग्रेजी साम्राज्य जलकर राख हो जाएगा. अंतरिम आजाद हिंद सरकार, जिसके अधिकार में आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं और जिसे जर्मनी और जापान सहित विश्व के 09 महान देशों ने मान्यता दी है. उन्होंने हमारी सेना को भी पूरा समर्थन देने का वादा किया है. क्या है अंडमान का मतलब अंमान शब्द मलय भाषा के शब्द हांदुमन से आया है जो हिन्दू देवता हनुमान के नाम का परिवर्तित रूप है. निकोबार शब्द भी इसी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है नग्न लोगों की भूमि. सुन्दरता में एक से बढ़कर एक यहां कुल 572 द्वीप हैं. सेल्यूलर जेल को अंग्रेजों ने आक्टोपस की तरह आठ खंडों में बनाया था. अब तीन ही सुरक्षित बची हैं. आजादी की लड़ाई में क्या है इसका महत्व  ब्रिटिश शासन द्वारा इस स्थान का उपयोग स्वाधीनता आंदोलन में दमनकारी नीतियों के तहत क्रांतिकारियों को भारत से अलग रखने के लिये किया जाता था. इसी कारण यह स्थान आंदोलनकारियों के बीच काला पानी के नाम से जाना जाता था. कैद के लिए पोर्ट ब्लेयर में एक अलग कारागार सेल्यूलर जेल का निर्माण किया गया था, जो ब्रिटिश इंडिया के लिए साइबेरिया की तरह ही था. इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं. इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था. आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं. कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं. यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को देखा जा सकता है जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों पर अत्याचार किए जाते थे. सुभाष के नाम पर यहां एक द्वीप भी है यहां पर एक द्वीप रास है, जिसे सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से भी जाना जाता है. ये ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है. ये द्वीप 200 एकड़ में फैला है. यहां बहुत ढेर सारे पक्षी रहते हैं. Tags: Andaman and Nicobar, Netaji Subhash Chandra Bose, Subhash Chandra Bose, Tricolor flagFIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 08:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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